
हर साल जब नवरात्रि का समय आता है तो मेरे मन में एक खास उत्साह जाग उठता है। बचपन से ही नवरात्रि मेरे लिए सिर्फ व्रत या पूजा का पर्व नहीं रहा, बल्कि यह आत्मिक शांति और ऊर्जा पाने का एक माध्यम रहा है। मुझे याद है, मेरी नानी हर साल घर में कलश स्थापना करती थीं और हम सब बच्चों को समझाती थीं कि ये सिर्फ एक रीति-रिवाज नहीं है बल्कि हमारी शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।
Navratri 2025 भी हमारे लिए ऐसा ही एक पावन अवसर लेकर आ रहा है। यह पर्व पूरे नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का अवसर देता है। इन दिनों में व्रत रखने वाले लोग न केवल अपनी आस्था प्रकट करते हैं, बल्कि अपने जीवन में अनुशासन और सकारात्मकता भी लाते हैं।
नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर भी गहरा है। इन दिनों में परिवार एक साथ मिलकर पूजा-पाठ करते हैं, घर में साफ-सफाई और सजावट होती है और हर तरफ एक भक्ति-भाव का माहौल बनता है। मैंने खुद अनुभव किया है कि नवरात्रि के दौरान वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा होती है, मानो हर तरफ माँ की शक्ति का संचार हो रहा हो।
अगर आप इस बार नवरात्रि को खास बनाना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग में मैं आपके साथ Navratri 2025 की पूरी जानकारी साझा करूँगी। इसमें आपको नवरात्रि की तारीख़ों से लेकर पूजा विधि, नौ देवियों की कथाएँ, मंत्र, आरती और कवच तक सब मिलेगा। साथ ही मैं अपने अनुभव और पारंपरिक किस्से भी बताऊँगी, ताकि ये लेख सिर्फ जानकारी देने वाला न होकर आपके दिल को भी छू सके।
जब भी नवरात्रि की बात आती है, सबसे पहला सवाल यही होता है कि “इस बार नवरात्रि कब से शुरू हो रही है?” बचपन में मैं भी यही पूछती थी और नानी बड़े प्यार से बताती थीं कि हर साल शारदीय और चैत्र नवरात्रि की तिथियाँ बदलती हैं, क्योंकि ये चंद्र मास के अनुसार तय होती हैं।
Navratri 2025 इस साल 22 सितंबर (सोमवार) से शुरू होकर 30 सितंबर (मंगलवार) तक चलेगी। पूरे नौ दिनों तक माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी।
शुभारंभ (प्रतिपदा): 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
अष्टमी / दुर्गाष्टमी: 29 सितंबर 2025 (सोमवार)
नवमी: 30 सितंबर 2025 (मंगलवार)
विजयादशमी (दशहरा): 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
इस बार की नवरात्रि खास मानी जा रही है क्योंकि यह सोमवार से शुरू हो रही है और मंगलवार को समाप्त हो रही है। मान्यता है कि जब नवरात्रि सोमवार से आरंभ होती है तो इसे चंद्र नवरात्रि कहा जाता है और इसमें विशेष फल प्राप्त होते हैं।
मेरे अनुभव में तिथियों की जानकारी पहले से होने से पूजा की तैयारी करने में आसानी रहती है। जैसे नानी हमेशा कहती थीं कि “माँ को घर बुलाना है तो घर भी पहले से सजा-संवरा होना चाहिए।” यही कारण है कि नवरात्रि शुरू होने से एक-दो दिन पहले ही घर की साफ-सफाई, पूजन सामग्री का संग्रह और व्रत नियम तय कर लेना चाहिए।
Navratri 2025 Calendar के हिसाब से हर दिन का अपना महत्व है। इन नौ दिनों में देवी माँ के नौ रूपों की पूजा की जाएगी और हर दिन से जुड़ा रंग भी खास होता है, जिसके बारे में मैं आगे विस्तार से बताऊँगी।
जब भी नवरात्रि आती है, तो सबसे ज़्यादा उत्सुकता हमें सिर्फ कलश स्थापना और व्रत नियम की ही नहीं होती, बल्कि यह भी जानने की होती है कि Navratri 2025 में माँ दुर्गा की सवारी कौन सी है। हमारे बुजुर्ग अक्सर कहा करते थे कि माँ किस वाहन पर आती हैं और किस पर जाती हैं, इसका सीधा असर पूरे साल के शुभ-अशुभ संकेतों पर पड़ता है।
इस बार Navratri 2025 की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से हो रही है। शास्त्रों के अनुसार, जब नवरात्रि सोमवार को शुरू होती है, तो माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं।
हाथी की सवारी का महत्व
मेरी नानी हमेशा कहती थीं कि जब माँ दुर्गा हाथी पर आती हैं, तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। हाथी समृद्धि, ऐश्वर्य और स्थिरता का प्रतीक है। जैसे एक हाथी अपने भारी कदमों से ज़मीन को स्थिर करता है, वैसे ही माँ दुर्गा अपने भक्तों के जीवन में स्थिरता और खुशहाली लाती हैं।
Navratri 2025 में माँ दुर्गा की सवारी हाथी होने का मतलब है कि यह साल भक्तों के लिए सुख-समृद्धि और शांति से भरा रहेगा।
हाथी को राजसी वैभव और गरिमा का प्रतीक भी माना गया है।
माना जाता है कि इस वर्ष माँ दुर्गा का आगमन घर-घर में सुख-शांति और वैभव लेकर आएगा।
सिंह या हाथी – कौन है माँ दुर्गा का असली वाहन?
यहाँ पर कई लोग थोड़ा भ्रमित हो जाते हैं, क्योंकि शास्त्रों में माँ दुर्गा का मूल वाहन सिंह बताया गया है। लेकिन नवरात्रि के शुभारंभ के दिन के आधार पर माँ का आगमन वाहन बदलता है।
पारंपरिक रूप से — सिंह (Lion) शक्ति और साहस का प्रतीक है।
जबकि Navratri 2025 में माँ दुर्गा की सवारी हाथी है, क्योंकि सोमवार को नवरात्रि प्रारंभ हो रही है।
इस तरह माँ दुर्गा का वास्तविक वाहन सिंह ही है, लेकिन विशेष अवसरों पर उनके आगमन और प्रस्थान के वाहन अलग-अलग माने जाते हैं।
भक्तों के लिए संदेश
माँ दुर्गा की हाथी वाली सवारी हमें यह संदेश देती है कि धैर्य, संयम और स्थिरता से ही जीवन में सुख और समृद्धि आती है। नानी की बात याद आती है — “जो माँ का ध्यान करता है, उसके जीवन में कभी कमी नहीं रहती।”
इसलिए इस नवरात्रि, जब आप व्रत करेंगे, पूजा करेंगे या दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंगे, तो यह विश्वास रखिए कि Navratri 2025 में माँ दुर्गा की सवारी हाथी पर आने का संकेत है कि माँ आपके जीवन में स्थायी सुख और समृद्धि लेकर आई हैं।
“माँ दुर्गा की सवारी और उनका महत्व”
(हाथी = समृद्धि, घोड़ा = युद्ध और परिवर्तन, नाव = यात्रा और मुक्ति, पालकी = घर-घर आगमन)
नवरात्रि केवल व्रत या उपवास का नाम नहीं है, बल्कि यह शक्ति की उपासना और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने का पर्व है। मुझे याद है, जब मैं छोटी थी तो नानी हर साल हमें नवरात्रि की कहानियाँ सुनाती थीं। वो कहती थीं कि नवरात्रि का असली अर्थ है – “अपने अंदर की नकारात्मकता को हराकर, शक्ति और भक्ति को जीवन में उतारना।”
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि शब्द का अर्थ है नौ रातें, और इन नौ रातों में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इन दिनों व्रत रखने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह समय मौसम बदलने का होता है, और उपवास से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है।
Navratri 2025 हमारे लिए इसलिए खास है क्योंकि यह सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखती बल्कि जीवन को संतुलित और अनुशासित बनाने का भी संदेश देती है।
शक्ति की उत्पत्ति की कथा
पुराणों में वर्णन मिलता है कि जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़े, तब-तब देवी शक्ति ने अलग-अलग रूप धारण करके दुष्टों का नाश किया। नवरात्रि का संबंध सबसे अधिक महिषासुर वध की कथा से है।
महिषासुर, एक शक्तिशाली असुर था जिसने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी से वरदान पाया था कि कोई भी देवता या दानव उसे मार नहीं सकता। इस वरदान के बाद उसने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया। देवताओं ने परेशान होकर भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से प्रार्थना की। तभी उनकी सम्मिलित ऊर्जा से माँ दुर्गा का प्रकट होना हुआ।
माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। यही कारण है कि दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
व्यक्तिगत दृष्टिकोण
जब नानी ये कहानी सुनाती थीं, तो अंत में हमेशा यही कहती थीं – “बेटा, जैसे माँ दुर्गा ने महिषासुर जैसे दुष्ट को हराया, वैसे ही हमें भी अपने भीतर की बुराइयों – आलस, क्रोध, और नकारात्मक विचारों को हराना चाहिए।” सच कहूँ तो नवरात्रि मेरे लिए आज भी यही संदेश लेकर आती है कि शक्ति केवल बाहरी युद्ध में नहीं, बल्कि अंदर की कमजोरियों को हराने में है।
नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है और नौ दिनों तक माता दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हर क्षेत्र में इसकी विधि थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन मुख्य नियम और आस्था एक जैसी रहती है। बचपन में मुझे सबसे अच्छा लगता था जब नानी सुबह-सुबह पूजा की तैयारी करती थीं और पूरा घर चंदन, कपूर और अगरबत्ती की खुशबू से भर जाता था।
कलश स्थापना
Navratri 2025 में भी पहले दिन यानी प्रतिपदा को कलश स्थापना की जाती है।
एक मिट्टी का घड़ा (कलश) लेकर उसमें गंगाजल भरें।
कलश के ऊपर आम की पत्तियाँ सजाकर नारियल रखें।
कलश पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर उसके पास जौ बोएँ।
इसे देवी माँ की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
नानी हमेशा कहती थीं कि “कलश केवल एक पात्र नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है।”
माता की आराधना
सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल पर दीपक जलाएँ।
माता दुर्गा का आवाहन करके उन्हें लाल चुनरी, फूल और सुगंधित वस्तुएँ अर्पित करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा या देवी कवच का पाठ करें।
आरती करके माता से आशीर्वाद लें।
पूरे नौ दिनों तक रोज सुबह और शाम आरती करना बहुत शुभ माना जाता है।
व्रत नियम
व्रत करने वाले लोग अनाज, मांसाहार, लहसुन और प्याज से परहेज़ करते हैं।
दिन भर फलाहार किया जाता है और रात को व्रती केवल फल या दूध लेते हैं।
कई लोग केवल जल और फल से ही पूरा व्रत रखते हैं।
व्रत का असली अर्थ है मन और शरीर को नियंत्रण में रखना और पूरी श्रद्धा से पूजा करना।
नानी कहती थीं, “सच्चा व्रत वही है जिसमें तुम अपने मन की बुराइयों को छोड़ो और सादगी से माँ की भक्ति करो।”
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
पूजा के दौरान घर का वातावरण साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए।
पूजा स्थल पर हमेशा घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों, झूठ बोलने या किसी का बुरा करने से बचना चाहिए।
9 Devi & 9 Days
नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन की देवी की अपनी एक कथा, आराधना और विशेषता है। मेरी नानी हमेशा कहती थीं, “इन नौ दिनों में माँ दुर्गा का हर रूप हमें जीवन की एक अलग सीख देता है।”
📜 9 देवियाँ और उनके दिन
- Day 1: शैलपुत्री माता
- Day 2: ब्रह्मचारिणी माता
- Day 3: चंद्रघंटा माता
- Day 4: कूष्मांडा माता
- Day 5: स्कंदमाता
- Day 6: कात्यायनी माता
- Day 7: कालरात्रि माता
- Day 8: महागौरी माता
- Day 9: सिद्धिदात्री माता
हर दिन एक रंग, एक विशेष भोग और एक अलग व्रत कथा जुड़ी होती है। अब हम विस्तार से पहले दिन की देवी—शैलपुत्री माता—के बारे में जानेंगे।
Day 1: शैलपुत्री माता
नवरात्रि का पहला दिन शैलपुत्री माता की पूजा को समर्पित है। शैलपुत्री शब्द का अर्थ है – “पहाड़ की पुत्री” माता का यह स्वरूप हिमालय राज की पुत्री पार्वती के रूप में जाना जाता है।
स्वरूप और विशेषता
माता शैलपुत्री बैल (नंदी) पर सवार रहती हैं।
उनके दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल होता है।
यह रूप सादगी, धैर्य और शक्ति का प्रतीक है।
बचपन में जब मैं नानी से शैलपुत्री माता की कथा सुनती थी तो वो कहती थीं, “बेटा, पहला दिन हमेशा नई शुरुआत का प्रतीक है। शैलपुत्री हमें सिखाती हैं कि चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, धैर्य और विश्वास से सब संभव है।”
कथा
माना जाता है कि पिछले जन्म में माता सती ने राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में वे हिमालय राज की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।
पूजा विधि
Navratri 2025 में पहले दिन की पूजा इस प्रकार करें:
सुबह स्नान करके पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें।
शैलपुत्री माता की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएँ।
माता को सफेद फूल, गंगा जल और घी अर्पित करें।
मंत्र:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥”
माता को घी से बनी वस्तुएँ चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है
महत्व
पहले दिन की पूजा से जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति मिलती है। माना जाता है कि शैलपुत्री माता की आराधना करने से मनुष्य का आत्मबल बढ़ता है और जीवन की नई शुरुआत करने का साहस मिलता है।
नवरात्रि की सबसे सुंदर बातों में से एक है हर दिन से जुड़ा विशेष रंग। बचपन से ही मुझे याद है कि नानी हर दिन के अनुसार साड़ी का रंग बदलती थीं। हम बच्चे भी उसी रंग के कपड़े पहनकर बहुत खुश होते थे। उनका कहना था कि ये रंग केवल सजावट के लिए नहीं, बल्कि ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक हैं।
Navratri 2025 में भी 9 दिनों के लिए 9 रंग तय किए गए हैं। मान्यता है कि इन रंगों को धारण करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
नौ रंग और उनका महत्व
- पहला दिन – ग्रे (स्लेटी): स्थिरता और आत्मविश्वास का प्रतीक।
- दूसरा दिन – नारंगी (ऑरेंज): ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता।
- तीसरा दिन – सफेद: शांति, पवित्रता और मानसिक सुकून।
- चौथा दिन – लाल: साहस, प्रेम और शक्ति का प्रतीक।
- पाँचवाँ दिन – रॉयल ब्लू: गहराई, विश्वास और स्थिरता।
- छठा दिन – पीला: खुशी, प्रकाश और नई शुरुआत का संकेत।
- सातवाँ दिन – हरा: जीवन, विकास और सामंजस्य।
- आठवाँ दिन – आसमानी (स्काई ब्लू): करुणा और दिव्यता।
- नवाँ दिन – गुलाबी (पिंक): प्रेम, सामंजस्य और शांति।
व्यक्तिगत अनुभव
मैंने खुद अनुभव किया है कि इन रंगों को अपनाने से मनोबल बढ़ता है। एक बार नवरात्रि के दौरान जब मैं थोड़ी उदास थी, नानी ने मुझे पीले रंग की चुनरी पहनने को कहा और बोलीं, “देखना, मन में नया उत्साह आ जाएगा।” सच में, उस दिन पूरे दिन का माहौल बदल गया था।
रंगों का महत्व
रंग केवल फैशन का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि हमारे विचारों और भावनाओं को प्रभावित करते हैं। नवरात्रि में हर रंग हमें माँ के एक अलग स्वरूप और उनकी विशेषता की याद दिलाता है। यही कारण है कि लोग इन दिनों अपने कपड़ों से लेकर सजावट तक में इन रंगों का विशेष ध्यान रखते हैं।
Aarti, Bhajan, Mantra & Kavach Collection
नवरात्रि की सबसे सुखद अनुभूति तब होती है जब घर में सुबह-शाम आरती और भजन गूँजते हैं। मुझे बचपन की वो याद आज भी ताज़ा है जब नानी आरती करती थीं और हम सब बच्चे तालियाँ बजाकर गाते थे। उस समय ऐसा लगता था जैसे पूरा घर माँ की ऊर्जा से भर गया हो।
Navratri 2025 में आप भी अपने परिवार के साथ इन आरतियों, मंत्रों और कवच का पाठ करें। ये न केवल वातावरण को पवित्र करते हैं बल्कि मन को शांति और आत्मविश्वास भी देते हैं।
दुर्गा आरती
“ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥”
(दुर्गा आरती करने से माँ का आशीर्वाद मिलता है और घर में सकारात्मकता बनी रहती है।)
अंबे माता की आरती
“अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्परवाली…”
(नानी हमेशा कहती थीं कि अंबे माता की आरती बिना ताली के अधूरी है।
दुर्गा कवच (संकलन)
दुर्गा सप्तशती में वर्णित दुर्गा कवच का पाठ करने से भय दूर होता है और आत्मबल बढ़ता है।
इसमें माँ के 108 नामों का वर्णन है।
देवी मंत्र
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥”
“ॐ दुं दुर्गायै नमः॥”
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥” (पहले दिन के लिए विशेष मंत्र)
इन मंत्रों का जाप करने से मन एकाग्र होता है और साधक को मानसिक शांति मिलती है।
भजन और कीर्तन
नवरात्रि के दिनों में “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी” जैसे भजन माहौल को भक्तिमय बना देते हैं। मैंने कई बार अनुभव किया है कि जब घर में भजन की ध्वनि गूँजती है, तो जैसे नकारात्मकता अपने आप दूर हो जाती है।
अगर आप केवल नवरात्रि ही नहीं बल्कि पूरे वर्षभर के सभी देवी-देवताओं से जुड़े व्रत, मंत्र, कथाएँ और त्यौहारों की जानकारी पाना चाहते हैं, तो हमारे विशेष ब्लॉग “भक्ति सीरीज़ का महासंग्रह: सभी देवी-देवताओं के व्रत, मंत्र, कथाएँ, त्यौहार और आध्यात्मिक ज्ञान का भव्य संग्रह” को भी ज़रूर पढ़ें।
यह ब्लॉग आपके लिए एक ऐसा भव्य भक्ति संग्रह है, जहाँ हर त्योहार और हर मंत्र के पीछे की गहराई को सरल शब्दों में समझाया गया है।
❓ Section 8: FAQs (प्रश्नोत्तर)
नवरात्रि में कई लोगों के मन में सवाल आते हैं, खासकर पहले बार व्रत रखने वाले या पूजा विधि को लेकर। मैंने यहाँ Navratri 2025 के लिए सबसे सामान्य सवाल और उनके जवाब आपके लिए तैयार किए हैं।
Q1. नवरात्रि में उपवास कैसे करें?
उत्तर: उपवास में सात्त्विक भोजन करें। दिनभर फल, दूध, हलवा, साबूदाना या व्रत वाले आटे की रोटियाँ खा सकते हैं। मुख्य बात है कि मन को शांत रखें और भक्ति भाव के साथ पूजा करें।
Q2. किन चीज़ों से बचना चाहिए?
उत्तर: मांसाहार, शराब, प्याज, लहसुन और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। व्रत का असली अर्थ केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं है, बल्कि मन और शरीर को नियंत्रण में रखना भी है।
Q3. क्या हर कोई दुर्गा सप्तशती पाठ कर सकता है?
उत्तर: हाँ, श्रद्धा और आस्था के साथ कोई भी पाठ कर सकता है। पाठ के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती।
Q4. Navratri 2025 में कौन-कौन से रंग धारण करने चाहिए?
उत्तर: हर दिन के लिए अलग रंग तय है। पहला दिन ग्रे, दूसरा नारंगी, तीसरा सफेद और इसी तरह नौवें दिन गुलाबी। इन रंगों को धारण करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा मिलती है।
Q5. क्या नवरात्रि में रोज़ाना आरती और भजन करना जरूरी है?
उत्तर: हाँ, आरती और भजन करने से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। भक्ति भाव के साथ किया गया पाठ ज्यादा फलदायी होता है।
Q6. बच्चों के लिए नवरात्रि व्रत कैसे सरल बनाया जा सकता है?
उत्तर: बच्चों के लिए फलाहारी भोजन और छोटी-छोटी भक्ति गतिविधियाँ रखी जा सकती हैं। जैसे छोटे भजन, रंगीन पूजा सामग्री, और माता की कहानियाँ सुनाना।
Q7. क्या Navratri 2025 में मंत्रों का जाप करना जरूरी है?
उत्तर: हाँ, मंत्रों का जाप मन को एकाग्र करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। परंतु, यह अनिवार्य नहीं, श्रद्धा और भक्ति मुख्य हैं।
Q8. व्रत रखने के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: संयमित भोजन, समय पर पूजा, सकारात्मक सोच और परिवार के साथ भक्ति में लगना। नकारात्मक या तकरार वाली बातें व्रत के दौरान न करें।
Navratri 2025 हमारे लिए केवल नौ दिन का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शक्ति, अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इस ब्लॉग में हमने नवरात्रि की शुरुआत, पूजा विधि, नौ देवियों की कहानियाँ, आरती, भजन, मंत्र और कवच के बारे में विस्तार से जान लिया।
जैसा कि नानी हमेशा कहती थीं – “माँ दुर्गा की भक्ति से घर और मन दोनों शुद्ध होते हैं। अगर आप सच्चे मन से पूजा करते हैं तो माँ हर दुख-दर्द दूर करती हैं।”
नवरात्रि केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारे अंदर की बुराइयों को हराने, जीवन में अनुशासन लाने और सकारात्मक सोच अपनाने का अवसर है। इस बार Navratri 2025 में इन नौ दिनों को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएँ।
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इस तरह, Navratri 2025 आपके लिए सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और शक्ति का मार्ग भी बने।
Day 1: माँ शैलपुत्री 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र यहाँ पढ़े
Day 2: माँ ब्रह्मचारिणी 2025- पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र यहाँ पढ़ें
Day 3: माँ चंद्रघंटा 2025- पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र यहाँ पढ़े
Day 4: माँ कूष्मांडा 2025- पूजा विधि, कथा, aarti और मंत्र यहाँ पढ़े
Day 5: माँ स्कंदमाता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
Day 6: माँ कात्यायनी माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
Day 7: माँ कालरात्रि माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
Day 8: माँ महागौरी माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
Day 9: माँ सिद्धिदात्री माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
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