
नवरात्रि का पहला दिन मेरे लिए हमेशा बहुत खास रहा है। जैसे ही सुबह घर में पूजा की तैयारी होती है, एक अलग-सी शांति और उत्साह महसूस होता है। माँ की महकती हुई अगरबत्तियाँ, दीपक की लौ और वातावरण में फैली भक्ति — सब कुछ आत्मा को छू लेता है। इस दिन हम शैलपुत्री माता पूजा विधि से नवरात्रि की शुरुआत करते हैं।
मुझे बचपन की एक याद आज भी बहुत साफ़ है — मेरी नानी हर नवरात्रि के पहले दिन मुझे अपनी गोद में बैठाकर यही कहती थीं, “बिटिया, शैलपुत्री माँ से जो माँगो, वो सच्चे दिल से माँगो, वरना माँगना ही मत।” उस वक्त शायद मैं इतनी छोटी थी कि माँगने का मतलब भी नहीं समझती थी, लेकिन आज जब बड़े होकर जीवन की चुनौतियाँ देखती हूँ तो उनकी बात का असली अर्थ समझ आती है।
इस ब्लॉग में मैं आपको नवरात्रि Day-1 यानी शैलपुत्री माता पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती और उससे मिलने वाले लाभ सब कुछ step-by-step बताऊँगी। ताकि आप भी घर पर आसानी से पूजा कर सकें और माँ का आशीर्वाद पा सकें।
Complete Navratri 2025 Series – पढ़ें हर दिन की पूजा विधि और मंत्र
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शुरुआत: 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
समापन: 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
विजयादशमी/दशहरा: 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
इस दिन से ही नवरात्रि की शुभ शुरुआत मानी जाती है और इसी दिन हम शैलपुत्री माता की पूजा करते हैं।
शैलपुत्री माता — स्वरूप और महत्व
“शैल” का अर्थ है पर्वत और “पुत्री” का अर्थ है पुत्री। शैलपुत्री माता को हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी माना गया है।
स्वरूप:
दाहिने हाथ में त्रिशूल
बाएँ हाथ में कमल पुष्प
वृषभ (बैल) पर सवार
सिर पर चंद्रमा का आभूषण
गुण: स्थिरता, धैर्य, शांति और मातृत्व का भाव।
महत्व:
इनकी पूजा जीवन में स्थिरता और सफलता लाती हैं।
इन्हें साधना की पहली सीढ़ी मानी जाता हैं।
इनकी पूजा व्रती को आत्मबल और संयम का आशीर्वाद देती हैं।
पूजा सामग्री (साधारण और घर पर उपलब्ध
आइये अब मैं आपको बताती हूँ कि माता शैलपुत्री पूजा विधि के अनुसार पूजा में क्या-क्या चाहिए।
साफ कपड़ा
कलश और नारियल
गंगाजल/शुद्ध जल
अक्षत (चावल)
लाल या गुलाबी फूल
रोली, मौली, सिंदूर
अगरबत्ती और दीपक
फल और हल्का प्रसाद
(Note: मेरी नानी हमेशा कहती थीं कि “पूजा में चीज़ें ज़्यादा हों या कम, श्रद्धा पूरी होनी चाहिए।” इसलिए यदि सब सामग्री न मिले तो मन की सच्चाई ही सबसे बड़ी अर्पण है।)
शैलपुत्री माता पूजा विधि (Step-by-Step)
अब आइए जानते हैं शैलपुत्री माता पूजा विधि step-by-step:
- प्रातः तैयारी
सुबह स्नान कर साफ़ और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
पूजा स्थान को साफ़ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- कलश स्थापना
मिट्टी के बर्तन में गेहूँ या जौ डालकर कलश रखें।
कलश में जल, सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
ऊपर नारियल रखें और मौली से बाँधें।
- माता की मूर्ति/चित्र स्थापना
शैलपुत्री माता की मूर्ति/फोटो को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
दीपक जलाएँ और धूप/अगरबत्ती लगाएँ।
- मंत्र और ध्यान
सबसे पहले संकल्प लें — पूजा किस उद्देश्य से कर रहे हैं।
मंत्र जप करें:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
(21 या 108 बार जप सर्वोत्तम है)
- भोग और आरती
माता को फल, दूध और मिठाई का भोग लगाएँ।
आरती करें और परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें।
मैंने बचपन में अपनी नानी से सुना था कि –
“अगर नवरात्रि की शुरुआत शुद्ध मन और सही विधि से शैलपुत्री माता की पूजा से की जाए, तो बाकी आठ दिन अपने आप सिद्ध होते हैं।”
नानी जब माँ शैलपुत्री की आरती करती थीं, तो पूरा घर जैसे शांति और शक्ति से भर जाता था। यही अनुभव आज भी मुझे पूजा के समय महसूस होता है
शैलपुत्री माता के मंत्र और स्तुति/ आरती
बीज मंत्र
ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
आरती (उद्धरण)
जय शैलपुत्री माँ जय जय शैलपुत्री माँ।
सुख-सम्पत्ति दायिनी, भव-सागर तारिणी माँ॥
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शैलपुत्री माता की कथा
पौराणिक मान्यता है कि शैलपुत्री माता पूर्व जन्म में सती थीं। जब पिता दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया तो सती ने यज्ञ कुंड में अपने प्राण त्याग दिए। अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न हुईं और शैलपुत्री कहलायीं।
बाद में उन्होंने तपस्या कर भगवान शिव को पुनः पति रूप में प्राप्त किया। यही कारण है कि उन्हें साधना की पहली देवी कहा जाता है।
आज हम बात करेंगे माँ शैलपुत्री की, जो नवरात्रि की पहली देवी हैं। माँ शैलपुत्री का अर्थ है “पर्वत की पुत्री”। वे सच्चाई, शक्ति और धैर्य की प्रतीक हैं। उनके सिर पर चंद्रमा की माला और हाथ में त्रिशूल और कमल है। वे गौ माता पर सवारी करती हैं और उनका रूप बहुत ही शांत और पवित्र है।
कहते हैं, जब संसार में पाप और अज्ञान बढ़ गए, तो देवताओं ने माता दुर्गा की कृपा के लिए प्रार्थना की। तब माता पार्वती ने तपस्या करके शैलपुत्री रूप धारण किया। उनका उद्देश्य था दुनिया से बुराई और दुख का नाश करना।
माँ शैलपुत्री हमें यही सिखाती हैं कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना बहुत जरूरी है। उनका ध्यान और पूजा करने से जीवन में धैर्य, स्थिरता और शक्ति आती है।
एक प्रसिद्ध कथा है कि महिषासुर ने धरती पर अत्याचार बढ़ा दिया था। देवताओं ने माँ शैलपुत्री से मदद मांगी। माता ने अपने तेज और संयम से शक्ति प्राप्त की, और यही शक्ति बाद में माँ दुर्गा के सभी रूपों में दिखाई दी।
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। भक्त सुबह उठकर शुद्ध मन से दीपक जलाते हैं, उनका ध्यान करते हैं और माँ से आशीर्वाद मांगते हैं।
दोस्तों, माँ शैलपुत्री का रूप सरल, लेकिन बहुत प्रभावशाली है। वे हमें यही सिखाती हैं कि संयम, सच्चाई और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही हम जीवन की हर कठिनाई पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
तो आइए, इस नवरात्रि में हम सब मिलकर माँ शैलपुत्री की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल और सुखमय बनाएं।
Navratri Day 2: माँ ब्रह्मचारिणी 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र पढ़ने के लिए क्लिक करें
व्रत नियम: क्या खाएँ और क्या न खाएँ
खाएँ: साबूदाना, आलू, फल, दूध, सूखे मेवे।
न खाएँ: गेहूँ, चावल, दाल, प्याज, लहसुन, मांस, शराब।
एक समय फलाहार और दिनभर ध्यान और भक्ति।
(नानी कहती थीं कि “व्रत सिर्फ़ भूखा रहना नहीं है, बल्कि अपनी इच्छाओं पर संयम करना है।”)
अगर आप केवल नवरात्रि ही नहीं बल्कि पूरे वर्षभर के सभी देवी-देवताओं से जुड़े व्रत, मंत्र, कथाएँ और त्यौहारों की जानकारी पाना चाहते हैं, तो हमारे विशेष ब्लॉग “भक्ति सीरीज़ का महासंग्रह: सभी देवी-देवताओं के व्रत, मंत्र, कथाएँ, त्यौहार और आध्यात्मिक ज्ञान का भव्य संग्रह” को भी ज़रूर पढ़ें।
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FAQs अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: क्या शैलपुत्री माता पूजा विधि घर पर अकेले कर सकते हैं?
हाँ, श्रद्धा और सच्चे मन से कोई भी कर सकता है।
Q2: क्या व्रत बिना फलाहार के किया जा सकता है?
👉 हाँ, यदि स्वास्थ्य ठीक है तो कर सकते हैं, लेकिन कमजोरी लगे तो हल्का फलाहार लें।
Q3: क्या कलश स्थापना ज़रूरी है?
👉 हाँ, यह शुभ माना जाता है लेकिन परिस्थितियों के अनुसार फोटो पूजा भी मान्य है।
Day 2: माँ ब्रह्मचारिणी 2025- पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र यहाँ पढ़ें
Day 3: माँ चंद्रघंटा 2025- पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र यहाँ पढ़े
Day 4: माँ कूष्मांडा 2025- पूजा विधि, कथा, aarti और मंत्र यहाँ पढ़े
Day 5: माँ स्कंदमाता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
Day 6: माँ कात्यायनी माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र]
Day 7: माँ कालरात्रि माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र
Day 8: माँ महागौरी माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र
Day 9: माँ सिद्धिदात्री माता 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र
माँ सभी की सुनती हैं।
जब भी नवरात्रि आती है तो मेरे मन में सबसे पहले शैलपुत्री माता छवि ही उभरती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी माँ शैलपुत्री वास्तव में भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम हैं। पहले दिन उनकी पूजा करने से लगता है जैसे पूरे नौ दिनों की साधना के लिए एक मजबूत आधार मिल गया हो।
मुझे हमेशा यह अनुभव होता है कि जब हम शैलपुत्री माता सच्चे मन से आराधना करते हैं तो जीवन के कई बोझ अपने आप हल्के हो जाते हैं। उनके चरणों में बैठकर मन को एक अद्भुत शांति मिलती है। यही कारण है कि मैं हमेशा मानती हूँ — नवरात्रि की शुरुआत माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद से ही करनी चाहिए।
मेरी नानी की बात आज भी कानों में गूँजती है — “सच्चे मन से माँ को पुकारो, वरदान अपने आप मिल जाएगा।”
🙏 मेरी आप सबसे यही प्रार्थना है कि इस नवरात्रि शैलपुत्री माता सभी के जीवन में स्थिरता, सुख-समृद्धि और नया उत्साह लेकर आएं।
अब आपकी बारी
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शैलपुत्री माता के आशीर्वाद से हम सबका जीवन मंगलमय हो — यही मेरी हार्दिक कामना है। 🙏
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