
नवरात्रि के आठवें दिन हम सब माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करते हैं। यह दिन पवित्रता, सरलता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि माँ महागौरी का रंग बर्फ़ की तरह उज्ज्वल और श्वेत होता है। वे सफ़ेद वस्त्र धारण करती हैं, उनके चार हाथ हैं – एक में त्रिशूल, एक में डमरू और अन्य दो हाथ वरमुद्रा व अभयमुद्रा में रहते हैं। उनका वाहन वृषभ (बैल) है।
मेरे लिए यह दिन हमेशा बहुत विशेष रहा है। हर साल नवरात्रि के आठवें दिन जब मैं माँ महागौरी की प्रतिमा सजाती हूँ और श्वेत पुष्प चढ़ाती हूँ, तो मेरे मन में एक अद्भुत शांति और विश्वास की भावना पैदा होती है। ऐसा लगता है जैसे माँ खुद मेरे जीवन से नकारात्मकता को दूर कर रही हों और नये अवसरों के लिए राह बना रही हों।
माँ महागौरी का स्वरूप
इस दिन की सबसे ख़ास बात मुझे यही लगती है कि माँ महागौरी का यह स्वरूप हमें भी जीवन में सरल, निर्मल और सकारात्मक बने रहने की प्रेरणा देता है।
माँ महागौरी का स्वरूप
माँ महागौरी का स्वरूप देखने में जितना शांत है, उतना ही शक्तिशाली भी है। उनका रंग बर्फ़ की तरह सफ़ेद और उज्ज्वल है। वे स्वच्छ, सफ़ेद वस्त्र पहनती हैं और उनके आभूषण भी चाँदी जैसे हल्के और चमकदार दिखाई देते हैं। उनके चार हाथ हैं –
एक हाथ में त्रिशूल
एक हाथ में डमरू
शेष दो हाथ अभय और वरमुद्रा में
उनका वाहन वृषभ (सफ़ेद बैल) है, जो धैर्य और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
मैं जब भी माँ महागौरी का यह स्वरूप ध्यान में लाती हूँ, तो अपने घर के पूजा कोने को सफ़ेद फूलों, दीपक और श्वेत वस्त्रों से सजाती हूँ। इससे वातावरण में एक सुकून, ठहराव और निर्मलता आ जाती है। मुझे लगता है यह माँ का संदेश भी है कि हमें जीवन में सरल, निष्कलंक और संयमी बने रहना चाहिए।
माँ का यह स्वरूप हमें यह एहसास दिलाता है कि शांति और सादगी में भी अपार शक्ति होती है।
माँ महागौरी की पूजा-विधि
1. पूजा की तैयारी
सुबह जल्दी उठें और स्नान करें – मैं हर साल अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर, सफ़ेद कपड़े पहनती हूँ। यह मुझे अंदर से शांत और निर्मल महसूस कराता है।
पूजा स्थल की शुद्धि –
गंगाजल या साफ़ जल से जगह को पवित्र करें। मैंने पाया है कि थोड़ी सी गंगाजल छिड़कने से वातावरण तुरंत बदल जाता है।
माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें – सफ़ेद वस्त्र पर माँ महागौरी की प्रतिमा या चित्र रखें।
2. पूजन सामग्री (मेरी बनाई छोटी चेकलिस्ट)
मैं हर साल अष्टमी से दो दिन पहले ये सामान एक ट्रे में तैयार कर लेती हूँ ताकि पूजा के समय भागदौड़ न हो:
गंगाजल
सफ़ेद फूल (गेंदे या बेला/चमेली)
सफ़ेद वस्त्र
रोली, अक्षत (चावल), चंदन
नारियल
सुपारी
फल (विशेषकर केला या मौसमी फल)
हलवा-पूरी और काले चने का भोग
दीपक और रुई की बत्तियाँ
अगरबत्ती/धूप
3. पूजन क्रम
सबसे पहले दीपक जलाकर माँ को ध्यान करें।
उन्हें चंदन, अक्षत, पुष्प और रोली अर्पित करें।
सफ़ेद फूल और नारियल माँ को विशेष रूप से प्रिय हैं, इसलिए उन्हें अवश्य चढ़ाएँ।
कन्याओं को आमंत्रित कर उनका पूजन करें और उन्हें भोजन कराएँ। (मैं यह परंपरा हमेशा निभाती हूँ, इससे घर में एक अनोखी सकारात्मक ऊर्जा आती है।)
अंत में माँ की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
माँ महागौरी की कथा
हिंदू परंपरा के अनुसार माँ महागौरी को नवदुर्गा की आठवीं शक्ति माना गया है। उनकी उपासना से जीवन में शुद्धता, करुणा और अडिग विश्वास आता है।
पुराणों के अनुसार –
एक बार भगवान शिव ने जब माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म के तप की याद दिलाई, तब माता ने स्वयं को घोर तप में लगा दिया। वे जंगलों, पहाड़ों और नदियों में वर्षों तक कठोर तपस्या करती रहीं। इसी तप के कारण उनका शरीर पूर्णत: काला हो गया।
जब भगवान शिव उनके इस तप से प्रसन्न हुए, उन्होंने गंगाजल से स्नान करवा कर माता के स्वरूप को अत्यंत उज्ज्वल, गौरवर्णी और दिव्य बना दिया। तभी से वे “महागौरी” के नाम से पूजी जाने लगीं।
इस कथा में यह संदेश छिपा है कि जब हम पूरी निष्ठा और सच्चाई के साथ किसी लक्ष्य के लिए साधना या प्रयास करते हैं, तो दिव्यता और सफलता हमें अवश्य मिलती है।
मैं खुद हर अष्टमी को जब माँ महागौरी की कथा पढ़ती हूँ, तो मेरे अंदर यह भाव जागता है कि मेहनत, संयम और विश्वास ही हमें प्रकाश की ओर ले जाते हैं। यही कारण है कि मैं अपनी पूजा में हमेशा पहले कथा सुनाती हूँ और फिर आरती करती हूँ। इससे वातावरण और भी सकारात्मक हो जाता है।
माँ महागौरी के मंत्र
माँ महागौरी के मंत्र जपने से मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। मैंने खुद महसूस किया है कि जब अष्टमी के दिन शांत मन से ये मंत्र जपे जाते हैं तो घर में एक अलग ही पवित्रता और हल्कापन महसूस होता है।
मुख्य मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः।
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करने का विधान है।
ध्यान मंत्र (पूजा से पहले)
वन्दे वामांगरूढ़ां महागौर्यं महेश्वरीम्।
श्वेतवृषां शुभां दधाना त्रिशूलमृकपद्मकम्॥
जब मैं यह ध्यान मंत्र पढ़ती हूँ तो पहले गहरी साँस लेती हूँ, आँखें बंद करती हूँ और माँ के उज्ज्वल स्वरूप की कल्पना करती हूँ – ऐसा लगता है जैसे पूरा वातावरण श्वेत प्रकाश से भर गया हो।
सिद्धि मंत्र (भक्तों के लिए)
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुभा।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
इस मंत्र का जप जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।
माँ महागौरी की आरती
मैंने जब पहली बार नवरात्रि के अष्टमी दिन माँ महागौरी की यह आरती पूरे मन से गाई थी, तो घर में एक अनोखी शांति और सकारात्मकता फैल गई थी। यह आरती हर बार गाने पर वही पवित्रता का अनुभव कराती है।
जय महागौरी जगत की माता।
तुम्हें नित ध्यानूं मैं विधि विधाता॥
चन्द्रमुखी श्वेताम्बर धारी।
सोने के आभूषण भारी॥
कर में त्रिशूल, गले में माला।
कर में वरमुद्रा, देती भाला॥
गौर वर्ण अत्यन्त सुहाई।
जो तुम्हें देखे वह सुख पाई॥
रिद्धि सिद्धि तुम लाओ द्वारे।
दुःख दारिद्र्य मिटाओ सारे॥
तन मन धन सब है अर्पण।
कर दो माँ अब मुझ पर कृपण॥
जो कोई तुमको ध्यावे।
सब दुःख-बाधा दूर भगावे॥
जय महागौरी जगत की माता।
तुम्हें नित ध्यानूं मैं विधि विधाता॥
इस आरती को नवरात्रि के अष्टमी दिन या रोज़ाना भी गाया जा सकता है। जब मैं यह गाती हूँ तो एक गहरी शांति का अनुभव होता है – ऐसा लगता है जैसे माँ खुद पास बैठकर आशीर्वाद दे रही हों।
माँ महागौरी के विशेष नियम और फल
अष्टमी के दिन जब मैं माँ महागौरी की पूजा करती हूँ, तो हमेशा कोशिश करती हूँ कि नियमों को पूरी श्रद्धा से निभाऊँ। अनुभव से महसूस किया है कि इन नियमों का पालन करने से पूजा और व्रत का प्रभाव और गहरा हो जाता है।
इस दिन क्या-क्या पालन करना चाहिए
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर, साफ़–सुथरे (अधिकतर सफेद) कपड़े पहनना।
घर और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करना।
व्रतधारी फलाहार या सात्विक भोजन ही करें।
माँ को सफेद फूल, नारियल, मिठाई (विशेषकर नारियल की मिठाई या हलवा-पूरी) अर्पित करें।
मन, वचन और कर्म से संयम रखना – झूठ, क्रोध, कटु वचन से बचना।
कन्याओं को आदरपूर्वक आमंत्रित कर भोजन कराना और उन्हें उपहार देना।
इससे मिलने वाले आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ
माँ महागौरी की पूजा से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।
व्रत-पूजा से जीवन में शांति, सुख और ऐश्वर्य आता है।
साधक को आत्मविश्वास और नारी शक्ति का आशीर्वाद मिलता है।
विवाह योग्य कन्याओं के लिये अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति का भी आशीर्वाद माना गया है।
मेरा निजी अनुभव
जब मैंने पहली बार अष्टमी के दिन कन्या पूजन किया था, तब मुझे भीतर से एक अनोखी संतुष्टि और हल्कापन महसूस हुआ। जैसे माँ महागौरी ने अपने आशीर्वाद से मन को भी स्वच्छ कर दिया हो। इस दिन नियमों को पालन करते हुए मैं सच में यह महसूस करती हूँ कि माँ के सामने जो भी मांगो, वह पूरी होती है – बशर्ते भाव सच्चा हो।
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❓ माँ महागौरी – अष्टमी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अष्टमी के दिन माँ महागौरी की पूजा कब करनी चाहिए?
सुबह सूर्योदय के बाद स्नान कर के, पूजा स्थल को साफ़ करके, नये कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। कोशिश करें कि दोपहर तक पूजा सम्पन्न हो जाये।
क्या इस दिन उपवास ज़रूरी है?
अगर आप स्वास्थ्यवश या अन्य कारणों से व्रत नहीं कर सकते, तो भी सात्विक भोजन करके और श्रद्धा से पूजा करके माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
माँ महागौरी को कौन सा रंग और फूल पसंद है?
माँ को सफेद रंग बहुत प्रिय है। सफेद कपड़े, सफेद फूल और सफेद प्रसाद (जैसे नारियल, खीर या हलवा) अर्पित करना शुभ माना जाता है।
कन्या पूजन अष्टमी पर करना चाहिए या नवमी पर?
दोनों दिन कन्या पूजन किया जा सकता है, पर अधिकतर लोग अष्टमी पर ही करते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि कन्याओं को आदरपूर्वक आमंत्रित करें, उन्हें भोजन कराएँ और उनकी पूजा करें।
इस दिन क्या माँगना सबसे फलदायी होता है?
माँ महागौरी से मानसिक शांति, जीवन में शुद्धता, बाधा निवारण, वैवाहिक सुख और समृद्धि की प्रार्थना करना विशेष फलदायी माना जाता है।
क्या विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
हाँ, “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जप करना बहुत शुभ है। इसे 108 बार या जितनी श्रद्धा हो उतनी बार कर सकते हैं।
निष्कर्ष: माँ महागौरी अष्टमी से मिलने वाली दिव्य प्रेरणा
माँ महागौरी की अष्टमी का दिन मेरे लिए हमेशा आस्था, पवित्रता और आत्मिक शांति से जुड़ा रहा है। हर साल जब मैं इस दिन माँ की पूजा करती हूँ, तो भीतर से एक नई ऊर्जा, उम्मीद और सुकून का अनुभव करती हूँ। सफेद वस्त्रों में सजी माँ का सौम्य स्वरूप और उनका कोमल आशीर्वाद मेरे जीवन में सकारात्मकता और नई दिशा देता है।
यदि आप भी इस दिन श्रद्धा और भक्ति से माँ की आराधना करेंगे, तो जीवन के हर क्षेत्र में शुद्धता, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। अष्टमी के दिन न केवल व्रत और पूजन करें, बल्कि कन्याओं को आदर देकर और दान-पुण्य कर माँ की कृपा प्राप्त करें।
मेरा मानना है कि माँ महागौरी की पूजा सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो हमें अंदर से नयी शक्ति देता है।
आप भी माँ महागौरी की कृपा का अनुभव करें
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर माँ महागौरी की पूजा करने का संकल्प लें।
अपने घर, परिवार और समाज में सकारात्मकता फैलाएँ।
मैंने जब माँ महागौरी की साधना की, तो मुझे भी अद्भुत शांति और ऊर्जा मिली।
आप भी इस लेख को अपने प्रियजनों के साथ शेयर करें, ताकि हर घर तक माँ महागौरी की कृपा पहुँचे।
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