
Holashtak 2025 कब से शुरू होगा अशुभ काल, यह सवाल हर साल फाल्गुन मास में लोगों के मन में उठता है। इस समय शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय अशुभ होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप तिथियों की जानकारी लें और इस दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए, यह समझें।
इस लेख में हम जानेंगे:
होलाष्टक 2025 की तिथियां
शुभ कार्यों पर क्यों लगती है रोक
इस दौरान क्या करें और क्या न करें
बचाव के उपाय और धार्मिक महत्व
Holashtak 2025 कब से शुरू हो रहा है?
होलाष्टक 2025 की शुरुआत 10 मार्च 2025, सोमवार से हो रही है।
यह अवधि 17 मार्च 2025, सोमवार तक चलेगी।
यानि, यह 8 दिन का समय अशुभ माना जाता है।
होलाष्टक आरम्भ- 10 मार्च 2025
होलाष्टक समाप्त- 17 मार्च 2025
होलिका दहन- 17 मार्च 2025
रंगों की होली- 18 मार्च 2025
होलाष्टक क्यों माना जाता है अशुभ काल?
Holashtak 2025 कब से शुरू होगा अशुभ काल, जानने के बाद यह समझना भी जरूरी है कि इसे अशुभ क्यों माना जाता है।
धार्मिक मान्यता:
कहा जाता है कि इस दौरान भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था।
प्रह्लाद पर अत्याचार बढ़ गए थे।
बुराई अपने चरम पर थी, इसलिए इसे अशुभ माना गया।
ज्योतिषीय कारण:
इन 8 दिनों में ग्रहों की स्थिति अशांत होती है।
नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती है।
Holashtak 2025 के दौरान क्या न करें?
Holashtak 2025 कब से शुरू होगा, अशुभ काल समझने के बाद, जानें क्या चीजें इस दौरान वर्जित हैं:
विवाह
गृह प्रवेश
नामकरण संस्कार
मुंडन
नया व्यापार शुरू करना
नवीनीकरण या कंस्ट्रक्शन
यह सभी शुभ कार्य अशुभ फल दे सकते हैं।
होलाष्टक 2025 में क्या करें?
हालांकि इस समय शुभ कार्यों पर रोक है, लेकिन पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य करना शुभ माना गया है।
भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा करें।
प्रह्लाद चरित्र का पाठ करें।
जरूरतमंदों को दान दें।
गाय को हरा चारा खिलाएं।
होलिका पूजन करें।
Holashtak 2025 में बचाव के उपाय
Holashtak 2025 कब से शुरू होगा, अशुभ काल जानने के बाद यह उपाय जरूर अपनाएं:
प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
घर में गौमूत्र या गंगाजल का छिड़काव करें।
किसी भी नकारात्मक घटना से बचने के लिए हवन करें।
सुबह और शाम दीप जलाएं।
परिवार के साथ मिलकर सत्संग करें।
होलाष्टक 2025: शुभ कार्य क्यों वर्जित हैं?
Holashtak 2025 कब से शुरू होगा, अशुभ काल जानने के बाद यह सवाल आता है कि शुभ कार्य क्यों रोके जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस समय नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा होती है।
ग्रह-नक्षत्र अशुभ स्थिति में होते हैं।
इन दिनों लिए गए निर्णय भविष्य में परेशानी ला सकते हैं।
होलाष्टक के दौरान किन देवी-देवताओं की पूजा करें?
भगवान विष्णु
नरसिंह अवतार
प्रह्लाद जी
माता लक्ष्मी
हनुमान जी
होलाष्टक और होली का संबंध
होलाष्टक का समापन होली के दिन होता है।
होली अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।
प्रह्लाद की भक्ति और हिरण्यकश्यप की हार का पर्व है।
इस दिन होलिका दहन से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
होलाष्टक 2025 के लिए कुछ विशेष बातें
इस वर्ष होलाष्टक सोमवार को शुरू हो रहा है, जो चंद्रमा से संबंधित दिन है।
मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
परिवारिक कलह की संभावना रहती है।
वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं।
Conclusion
Holashtak 2025 कब से शुरू हो रहा है अशुभ काल, यह जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने से बचा जाता है। 10 मार्च 2025 से 17 मार्च 2025 तक यह अवधि है। धार्मिक मान्यता और ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय अशुभ माना गया है। लेकिन पूजा-पाठ, दान, और भगवान का स्मरण करने से नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है।
इसलिए सतर्क रहें, सावधानियां अपनाएं, और इस पावन समय में धर्म-कर्म से जुड़ें।
FAQs: Holashtak 2025
Holashtak 2025 कब से शुरू हो रहा है?
होलाष्टक 2025 की शुरुआत 10 मार्च 2025, सोमवार से हो रही है और इसका समापन 17 मार्च 2025, सोमवार को होगा।
होलाष्टक कितने दिन का होता है?
य़ह कुल 8 दिन का होता है। यह होली से ठीक आठ दिन पहले शुरू होता है और होलिका दहन के दिन समाप्त होता है।
होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से शुभ कार्य वर्जित होते हैं?
कोई भी शुभ कार्य होलाष्टक के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, नया व्यापार शुरू करना, मकान निर्माण जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
होलाष्टक को अशुभ क्यों माना जाता है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस समय भक्त प्रह्लाद पर अत्याचार चरम पर था। वहीं, कामदेव का दहन भी इसी समय हुआ था। इसके अलावा ज्योतिष के अनुसार इस समय ग्रहों की स्थिति अशुभ मानी जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।
होलाष्टक में क्या करना शुभ माना जाता है?
इस दौरान भगवान विष्णु, नरसिंह भगवान और हनुमान जी की पूजा करना, प्रह्लाद चरित्र का पाठ करना, होलिका पूजन, दान-पुण्य करना और जरूरतमंदों की मदद करना शुभ माना जाता है।
अन्य प्रश्न
क्या होलाष्टक के दौरान यात्रा करना उचित है?
धार्मिक रूप से यात्रा पर कोई सख्त रोक नहीं है, लेकिन इस समय सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है।
होलाष्टक में ग्रह-नक्षत्रों का क्या प्रभाव पड़ता है?
मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, सूर्य और राहु-केतु जैसे ग्रह अशांत स्थिति में होते हैं। इस कारण व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, विवाद और आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं।
होलाष्टक में नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय क्या हैं?
हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में गंगाजल का छिड़काव करें, हवन करें, दीपक जलाएं, दान करें और धार्मिक कार्यों में मन लगाएं। इससे नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
क्या होलाष्टक पूरे भारत में मनाया जाता है?
मुख्य रूप से होलाष्टक उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में अधिक महत्व रखता है। दक्षिण भारत और अन्य राज्यों में इसका प्रभाव कम देखने को मिलता है।
होलाष्टक और होली का क्या संबंध है?
होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन होता है। यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। भक्त प्रह्लाद की भक्ति और हिरण्यकश्यप की हार की कहानी इस पर्व का आधार है। होली के दिन रंगों के साथ उल्लास मनाया जाता है, जिससे सारी नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।
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