Lohri 2026: लोहड़ी, जानिए कैसे इस त्योहार से जुड़े हैं सुख और मस्ती के अनकहे राज़!

लोहड़ी पर्व की परंपरागत मनाई जाती उत्सव की छवि जिसमें लोग रंगीन पंजाबी कपड़े पहनकर आग के चारों ओर नाच रहे हैं, और आग के पास तिल, गन्ना और मकई चढ़ाए गए हैं।
लोहड़ी 2026 परंपरागत गीत और नृत्य के साथ आग के चारों ओर खुशी का प्रतीक।

जब भी लोहड़ी पर्व का नाम सुनती हूं ना, तो मेरे मन में सबसे पहले वो अलाव की गरमाहट और ढोल की थाप गूंजने लगती है। मुझे बचपन से ही ये त्योहार बहुत खास लगता रहा है। मैंने हमेशा देखा है कि जैसे ही जनवरी की ठंडी हवा चलती है, वैसे ही मेरे घर में लोहड़ी की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मुझे मूंगफली, रेवड़ी, गजक और तिल से भरे वो थाल बहुत पसंद हैं, लेकिन इस सबके पीछे जो असली खुशी होती है ना, वो अपनों के साथ बैठकर अलाव के पास वक्त बिताने में है।

लोहड़ी पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्‍कि मेरे लिए नए उगते सूरज की तरह एक नई शुरुआत का प्रतीक है। मुझे लगता है कि जब हम पुराने दुखों को उस आग में समर्पित कर देते हैं, तो नयी उमंगों और ऊर्जा से भर जाते हैं। कई बार मैंने सोचा कि क्यों मनाते हैं लोहड़ी? क्या सिर्फ मज़े और मिठाईयों के लिए? लेकिन जब मैंने इसके पीछे की धार्मिक और सांस्कृतिक बातें पढ़ीं तो सच कहूं, मेरी श्रद्धा और भी गहरी हो गई।

इस पोस्ट में मैं आपको वो सब कुछ बताने वाली हूं जो मैंने खुद भी महसूस किया है – लोहड़ी पर्व का इतिहास, इसकी परंपराएं, वैज्ञानिक वजहें, और कुछ ऐसे अनकहे राज़ जो मैंने खुद किताबों और बुज़ुर्गों से सुने हैं। अगर आप भी मेरी तरह त्योहारों से दिल से जुड़ते हैं, तो यकीन मानिए, ये पोस्ट आपके लिए बहुत खास होने वाली है।

🔥 लोहड़ी की आग – शुभ शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक

(मेरी मानो तो लोहड़ी पर्व का मज़ा ही कुछ और है इस त्योहार का मुझे तो भई इंतजार रहता है की कब आए और कब मनाए )

जब भी लोहड़ी पर्व आता है ना, तो मेरे मन में सबसे पहले उस अलाव की गर्माहट का अहसास होता है। मैंने हमेशा महसूस किया है कि इस आग में सिर्फ लकड़ियां नहीं जलतीं, इसमें हमारी पुरानी थकानें, परेशानियां और बीते साल की मुश्किलें भी जलकर राख हो जाती हैं। और फिर उस राख से एक नई शुरुआत होती है – उम्मीदों से भरी, खुशियों से भरी।

लोहड़ी की आग को जलाना सिर्फ परंपरा नहीं है, ये एक आध्यात्मिक संकेत भी है कि अब वक्त है – खुद को फिर से रिचार्ज करने का, अपने परिवार और रिश्तों को और मजबूत करने का। मैंने बचपन में देखा है कि मेरे घर में दादी सबसे पहले तिल, रेवड़ी, गन्ना और मक्का आग में डालती थीं और कहती थीं, “इन चीज़ों को अर्पण करो, ताकि जीवन में भी मिठास बनी रहे।” मुझे तब समझ नहीं आता था, पर आज महसूस होता है कि ये सब बातें सिर्फ रस्में नहीं थीं, ये तो हमारी भारतीय संस्कृति की जड़ें हैं।

🔥 आग की पूजा – परंपरा और विश्वास का संगम

(लोहड़ी की पूजा कैसे करें, लोहड़ी परंपराएं)

इस दिन मैं हमेशा चाहती हूं कि पूरा परिवार एक साथ बैठे। आग के चारों ओर घेरा बनाकर, ढोल की थाप पर पंजाबी गीत गाए जाएं, बच्चे ताली बजाएं और बड़े आशीर्वाद दें। क्योंकि लोहड़ी सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, ये सामूहिक ऊर्जा का उत्सव है। मुझे लगता है, जब हम साथ बैठते हैं, मिलकर हँसते हैं, तो वो आग हमें केवल गर्मी ही नहीं देती – वो हमें साथ रहने की ताकत भी देती है।

यह दिन सचमुच सुख और समृद्धि का प्रतीक है। मैंने खुद अनुभव किया है कि जब हम प्रकृति का आभार मानते हैं – जैसे तिल, गन्ना, मक्का को अर्पण करके – तो हमारे जीवन में भी एक अलग सकारात्मकता आती है।

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🎵 लोहड़ी गीत – हर दिल को छू जाने वाली मधुर ध्वनियाँ

(लोहड़ी पर्व- Lohari fastival ka song toe man mein basa hua hai bas lohari ka intjaar aur aaye song gaagye ki bahar – dil aur dimag dono positive ho jaate hai)

लोहड़ी पर्व की जब भी बात होती है ना, तो मेरे कानों में सबसे पहले “सुंदर मुंदरिए हो!” की गूंज सुनाई देती है। सच बताऊं, लोहड़ी के गीतों के बिना ये पूरा त्योहार अधूरा सा लगता है। मुझे आज भी याद है जब हम सब भाई-बहन मिलकर मोहल्ले में जाकर लोहड़ी के गीत गाया करते थे, और हर दरवाज़े से मूंगफली, रेवड़ी और गजक मिलती थी। वो जो खुशी होती थी ना, वो किसी और चीज़ में नहीं मिलती।

“सुंदर मुंद्रिये”, “आयी लोहड़ी”, “दुल्ला भट्टी वाला” जैसे पारंपरिक गीत सिर्फ गाने के लिए नहीं होते — उनमें एक इतिहास है, एक भाव है, और एक अपनापन है। जब मैं ये गीत सुनती हूं, तो मुझे सिर्फ शब्द नहीं सुनाई देते – एक अपनापन, एक संस्कृति, और एक ऐसा माहौल महसूस होता है जो दिल को छू जाता है।

💬 लोहड़ी गीतों का महत्व – सामूहिक खुशी की शक्ति

मैंने महसूस किया है कि जब हम सब आग के चारों ओर इकट्ठा होकर लोहड़ी के गीत गाते हैं, तो उस पल हर चेहरा मुस्कुरा रहा होता है। कोई भी अकेला महसूस नहीं करता। इन गीतों का जादू ही कुछ ऐसा है – ये एकता, खुशियों और पॉज़िटिव एनर्जी का संदेश देते हैं।

लोहड़ी पर्व पर इन गीतों का महत्व सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है – ये हमारी संस्कृति और परंपरा का जीवंत रूप हैं। मुझे जब भी ये गीत सुनने को मिलते हैं, तो मन करता है कि सब कुछ छोड़कर उसी अलाव के पास बैठ जाऊं और सिर्फ उन लम्हों को महसूस करूं।

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🍲 लोहड़ी का पारंपरिक भोजन और मिठाइयाँ – स्वाद में भी परंपरा बसती है

लोहड़ी पर्व पर सबसे पहले जिस चीज़ का इंतज़ार मुझे होता है, वो होता है सरसों का साग और मक्की की रोटी। सच कहूं तो ये सिर्फ खाने की चीज़ें नहीं हैं – ये उस मिट्टी की खुशबू हैं जहाँ से ये त्योहार जन्मा। मुझे याद है, मम्मी जब लोहड़ी वाले दिन रसोई में जाकर वो गरम-गरम साग बनाती थीं, तो घर में एक अलग सी घुली हुई खुशबू आती थी – जैसी सिर्फ त्योहारों पर आती है

इनके साथ जो चीज़ लोहड़ी को सबसे खास बनाती है वो है – तिल और गुड़ की मिठाइयाँ। मैंने हमेशा देखा है कि लोग इन मिठाइयों को एक-दूसरे को देते हुए यही कहते हैं – “तिल गुड़ खाओ, मीठा मीठा बोलो।” और यकीन मानिए, इसमें सिर्फ स्वाद नहीं, पॉज़िटिव एनर्जी भी होती है।

🍬 तिल-गुड़ का महत्व – मिठास में छिपा संदेश

लोहड़ी के दिन जब मैं किसी को तिल-गुड़ की मिठाई देती हूं, तो उसमें सिर्फ मिठास नहीं, एक भावना भी होती है – “तुम्हारे जीवन में भी मिठास बनी रहे, दुख जलकर राख हो जाएँ, और हर दिन नई रौशनी लाए।”

तिल और गुड़, आयुर्वेद में भी बहुत शक्तिशाली माने गए हैं, खासकर सर्दी में। लेकिन इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत गहरा है। ये मिठाइयाँ रिश्तों में प्रेम और जीवन में समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।

🔄 लोहड़ी और मकर संक्रांति में अंतर – एक जैसे, फिर भी अलग

(लोहड़ी और मकर संक्रांति में अंतर)

मैं अक्सर लोगों को कहते सुनती हूं कि लोहड़ी और मकर संक्रांति एक ही त्योहार हैं। लेकिन नहीं… मैंने खुद इन दोनों में अंतर को समझा है।

लोहड़ी पर्व मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत में मनाया जाता है, जहाँ आग जलाकर, गीत गाकर, नाचते हुए प्रकृति को धन्यवाद दिया जाता है। वहीं मकर संक्रांति, पूरे भारत में मनाई जाती है, और ये सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक होती है। एक तरफ आग है, दूसरी तरफ सूर्य। लेकिन दोनों ही नई शुरुआत और शुभता के प्रतीक हैं।

👉 अगर आप भी वजन घटाने की शुरुआत करने जा रहे हैं, तो पहले ये ज़रूर जानिए: वजन कम करने से पहले कौन-कौन सी बातें जानना ज़रूरी हैं?

🙏 लोहड़ी के धार्मिक और आध्यात्मिक पहलू – सिर्फ पर्व नहीं, पूजा है

(मैं सही बताऊ तो लोहड़ी का धार्मिक महत्व को समझने के लिए आप तन मन से अगर समझे तो आपको को सच में सुकून मिलेगा )

लोहड़ी सिर्फ एक उत्सव नहीं, एक श्रद्धा है। बचपन में मैंने अपनी माँ को इस दिन लक्ष्मी माता और भगवान सूर्य की पूजा करते देखा है। वे कहती थीं – “आज के दिन जो सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसके जीवन में बरकत आती है।”

इस दिन मैं भी अलाव के सामने बैठकर यही प्रार्थना करती हूं – मेरे घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। और ना सिर्फ मेरे घर में, बल्कि उन सबके जीवन में जिनसे मैं जुड़ी हूं।

🌟 आध्यात्मिक संदेश – हर शुरुआत के साथ उम्मीद का दीपक जलाओ

मेरे लिए लोहड़ी पर्व सिर्फ एक तिथि नहीं, ये एक message है – “पुराने को विदा करो, और नई उम्मीदों को गले लगाओ।”
मैं जब भी अलाव के पास बैठती हूं, तो बस यही सोचती हूं – कि जैसे ये आग हर अंधकार को जला देती है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन की नकारात्मकताओं को त्याग कर आगे बढ़ना चाहिए।

🎉 लोहड़ी 2026 का उत्सव – एकता, अपनापन और उमंग का पर्व

(खुशियां भरी त्योहारों में से एक उत्सव है हमारा प्यार लोहड़ी पर्व)

लोहड़ी पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि ये एक ऐसा खूबसूरत बहाना है जब हम परिवार और दोस्तों के साथ मिल बैठते हैं, हँसते हैं, गाते हैं और बीते साल को अलविदा कहकर नये साल की खुशियों का स्वागत करते हैं।

मैंने खुद महसूस किया है कि जब पूरा परिवार एक साथ लोहड़ी की आग के पास बैठता है, तो उस आग की गर्माहट सिर्फ शरीर को नहीं, रिश्तों को भी गर्मी देती है।
लोहड़ी 2026 को मैं भी अपने पूरे परिवार के साथ खास तरीके से मनाने की तैयारी कर रही हूं — ढोल, गिद्दा, तिल-गुड़ और बहुत सारी मस्ती के साथ।

इस पर्व की सबसे सुंदर बात यह है कि इसमें हर उम्र, हर दिल, हर रिश्ता एक साथ शामिल होता है। यही सामूहिक भावना ही तो लोहड़ी पर्व की असली आत्मा है।

🙋‍♀️ लोहड़ी पर्व से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

❓ लोहड़ी कब मनाई जाती है?

उत्तर: लोहड़ी हर साल 13 जनवरी को मनाई जाती है। यह विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर भारत के कई हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है और सर्दियों के अंतिम चरण का संकेत देता है।

❓ लोहड़ी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?

उत्तर: लोहड़ी पर्व का महत्व न केवल नई फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा है, बल्कि यह सर्दियों के अंत और नई ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक भी है। यह पर्व खासतौर पर किसानों के लिए बहुत अहम होता है, क्योंकि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व माना जाता है

❓ लोहड़ी पर कौन-कौन सी प्रमुख परंपराएँ निभाई जाती हैं?

उत्तर: इस दिन लोग अलाव (अग्नि) जलाते हैं और उसमें गुड़, तिल, मूंगफली, गन्ना, मक्का आदि अर्पण करते हैं। परिवार और दोस्त एक साथ बैठकर लोकगीत गाते हैं, नाचते हैं, और मिठाइयाँ बांटते हैं। यह पर्व लोगों को सामूहिक ऊर्जा और मेलजोल का संदेश देता है।

❓ लोहड़ी के दिन कौन से खास व्यंजन बनाए जाते हैं?

उत्तर: पारंपरिक रूप से सरसों का साग और मक्की की रोटी लोहड़ी के मुख्य व्यंजन होते हैं। इनके अलावा, तिल और गुड़ की बनी मिठाइयाँ, जैसे गजक, रेवड़ी और तिल के लड्डू भी खूब खाई और बाँटी जाती हैं। ये व्यंजन न सिर्फ स्वाद में भरपूर होते हैं बल्कि शुभता और समृद्धि के प्रतीक भी माने जाते हैं।

❓ लोहड़ी और मकर संक्रांति में क्या अंतर है?

उत्तर: बहुत से लोग मानते हैं कि ये दोनों एक ही पर्व हैं, लेकिन इन दोनों में खास अंतर है।

  • लोहड़ी: 13 जनवरी को मनाई जाती है, और इसका मुख्य फोकस अग्नि, लोकगीत, सामूहिकता और फसल का उत्सव होता है। यह मुख्यतः पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत में प्रसिद्ध है।
  • मकर संक्रांति: 14 जनवरी को मनाई जाती है और यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। यह पूरे भारत में भिन्न-भिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है – जैसे पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी, माघी आदि।

दोनों पर्वों का मूल भाव एक ही है — नवीन ऊर्जा, सकारात्मकता और नई शुरुआत।

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🙋‍♀️ लोहड़ी पर्व से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

(लोहड़ी पर्व क्यों है महत्वपूर्ण कुछ प्रश्नों द्वारा समझने की कोशिस करते है )

❓ लोहड़ी के दिन क्या विशेष पूजा की जाती है?

उत्तर: मैंने हमेशा इस दिन को सिर्फ गीत और नृत्य का पर्व नहीं माना — मेरे लिए यह एक आध्यात्मिक दिन भी है।
लोहड़ी के दिन लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं और धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।
मेरे घर में इस दिन सुबह ही साफ-सफाई करके धूप-दीप जलाकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, और रात में अग्नि के पास बैठकर ईश्वर का धन्यवाद किया जाता है — नई शुरुआत और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के लिए।

❓ लोहड़ी क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: जब मैंने पहली बार किसी से पूछा कि लोहड़ी क्यों मनाते हैं, तो जवाब मिला – “जब ठंड खत्म होने लगे और खेतों में फसलें लहराने लगें, तो खुशियाँ बांटी जाती हैं।
और तब से मुझे ये त्योहार और भी खास लगने लगा।

लोहड़ी पर्व दरअसल सर्दी के अंत और रबी की फसल की पहली कटाई का उत्सव है।
यह विशेष रूप से किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन वे अपनी मेहनत और उम्मीदों की पहली झलक देखते हैं और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।

❓ लोहड़ी में कौन-कौन से गीत गाए जाते हैं?

उत्तर: सुंदर मुंदरिए हो! — जब भी यह गूंजता है, मेरे पैरों में अपने आप थिरकन आ जाती है।
लोहड़ी पर्व पर “सुंदर मुंद्रिये”, “आये लोहड़ी”, “दुल्ला भट्टी वाला” जैसे पारंपरिक पंजाबी गीत गाए जाते हैं।

ये सिर्फ गीत नहीं होते, बल्कि एकजुटता, सांस्कृतिक गर्व और पारिवारिक खुशियों के प्रतीक होते हैं।
मैंने महसूस किया है कि जब सब लोग मिलकर ये गीत गाते हैं तो हर दिल एक साथ धड़कता है।

❓ क्या लोहड़ी सिर्फ पंजाब में मनाई जाती है?

उत्तर: नहीं, बिल्कुल नहीं। मैंने खुद दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लोहड़ी पर्व को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाते देखा है।
हालांकि इसका जन्मस्थान पंजाब है, लेकिन आज यह पर्व हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में भी परिवार और सामूहिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

❓ लोहड़ी पर कौन सा नृत्य किया जाता है?

उत्तर: मुझे लोहड़ी का वो हिस्सा सबसे ज्यादा पसंद है जब ढोल बजता है और सब लोग भांगड़ा और गिद्धा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

भांगड़ा (पुरुषों का नृत्य) और गिद्धा (महिलाओं का नृत्य) – दोनों ही पंजाब की सांस्कृतिक आत्मा हैं।
ये नृत्य न सिर्फ मनोरंजन हैं, बल्कि खुशी व्यक्त करने का पारंपरिक तरीका भी हैं।
जब पूरा माहौल ढोल की थाप पर झूमता है, तो लगता है जैसे पूरा ब्रह्मांड हमारे साथ जश्न मना रहा हो।

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🎯 निष्कर्ष

लोहड़ी पर्व का संदेश हमारे जीवन के लिए

जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो हर साल की लोहड़ी पर्व की यादें मेरे चेहरे पर एक मुस्कान छोड़ जाती हैं। ये पर्व सिर्फ अलाव, तिल-गुड़ और नाच-गाने का नाम नहीं है – ये सामूहिक ऊर्जा, परिवारिक प्रेम और एक नई शुरुआत का प्रतीक है। मैंने महसूस किया है कि इस दिन सिर्फ लकड़ियाँ नहीं जलतीं, हमारे बीते साल की थकावटें, समस्याएं और नकारात्मकताएं भी उसी अलाव में राख हो जाती हैं।

लोहड़ी पर्व 2026 हम सभी के लिए खुशियों से भरा, रिश्तों को और मजबूत करने वाला और आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला हो – यही मेरी दिल से कामना है।
मैं चाहती हूं कि जैसे तिल और गुड़ मिठास लाते हैं, वैसे ही हम भी अपने जीवन में मीठे विचार, मीठे रिश्ते और सकारात्मक सोच लेकर आगे बढ़ें।

तो आइए इस लोहड़ी पर सिर्फ रस्में न निभाएं, बल्कि इस पर्व के हर प्रतीक, हर परंपरा और हर गीत को दिल से अपनाएं।
क्योंकि लोहड़ी पर्व हमें सिखाता है — खुश रहो, मिलकर रहो, और हर शुरुआत को दिल से मनाओ।

बस अब आखिर में 1 छोटा स मैसेज आपके लिए:

अगर मेरी ये बातें आपके दिल को छू गई हों, तो इस पोस्ट को अपने परिवार और दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें।
हो सकता है, आपकी एक शेयर से किसी और की लोहड़ी 2026 और भी खास बन जाए।
आइए, इस बार की लोहड़ी सिर्फ अपनों के साथ न मनाएं, बल्कि ज्ञान और परंपरा को भी साथ लेकर चलें।
👇 नीचे comment करके मुझे बताएं – आपकी लोहड़ी की सबसे प्यारी याद कौन-सी है?

🎉 मेरी तरफ़ से आपको और आपके पूरे परिवार को लोहड़ी पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
इस लोहड़ी 2026 पर आपके जीवन में भी खुशियाँ, ऊर्जा और अपनों का साथ यूँ ही बना रहे। ❤️

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