Gupt navratri 2025: माँ धूमावती की पूजा विधि और अद्वितीय आशीर्वाद

माँ धूमावती की दिव्य छवि, सातवीं नवरात्रि पूजा विधि से जुड़ी एक प्रतीकात्मक और शक्तिशाली देवी
सातवीं नवरात्रि पूजा विधि के अनुसार माँ धूमावती की आराधना से जीवन में संतुलन और शक्ति प्राप्त होती है।

सातवीं नवरात्रि माँ धूमावती को समर्पित है, जो शक्ति और आध्यात्मिक जागृति की देवी हैं। माँ धूमावती को शनि और राहु दोषों को दूर करने, जीवन में संतुलन लाने, और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी माना जाता है। माँ धूमावती पूजा विधि नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मकता को बढ़ाती है। इस ब्लॉग में हम माँ धूमावती के महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उनकी कृपा के लाभों को विस्तार से जानेंगे।

माँ धूमावती का परिचय और महत्त्व

माँ धूमावती दसमहाविद्याओं में से सातवीं देवी हैं। उनका स्वरूप तप और त्याग का प्रतीक है।

स्वरूप:
माँ धूमावती का स्वरूप एक वृद्धा के रूप में दर्शाया गया है, जो हमें संसार की अस्थिरता का बोध कराती हैं।

महत्त्व:

कष्टों और बाधाओं को दूर करती हैं।

अध्यात्म की ओर प्रेरित करती हैं।

ग्रह दोष, विशेषकर शनि और राहु के प्रभाव को कम करती हैं।

अपने भक्तों को शत्रु भय से मुक्त करती हैं।

माता dhumavati की कथा सुनने के लिए क्लिक करें

सातवीं नवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि: 9 फरवरी 2025

शुभ मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:30 से 6:00

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:45

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:15
इन मुहूर्तों में पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

माँ धूमावती पूजा विधि

माँ धूमावती की पूजा सरल लेकिन प्रभावशाली मानी जाती है।

  1. सामग्री तैयारी करें:

काले तिल

नींबू

सरसों का तेल

जौ और गुड़

काले वस्त्र

  1. पूजा प्रक्रिया:

सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।

माँ धूमावती की मूर्ति या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें।

सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

काले तिल और नींबू अर्पित करें।

धूमावती स्तोत्र या बीज मंत्र का जाप करें:
“धूं धूं धूमावती ठः ठः”

प्रसाद के रूप में जौ और गुड़ का भोग लगाएं।

अंत में भक्तिमय आरती करें।

माँ धूमावती बीज मंत्र और स्तोत्र

बीज मंत्र:
“धूं धूं धूमावती स्वाहा”

स्तुति मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”

माँ धूमावती मंत्र सुनने के लिए क्लिक करें

माता धूमावती की कृपा से लाभ

  1. जीवन में शांति और संतुलन आता है।
  2. शत्रु भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  3. करियर और व्यक्तिगत जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।
  4. आध्यात्मिक प्रगति के लिए मार्ग प्रशस्त होता है।

माँ धूमावती की आरती

“जय मां धूमावती जय जय अम्बे।
तू दीनों की रक्षा करे मां, तू भक्तों के दुःख हरे मां॥”

निष्कर्ष:

सातवीं नवरात्रि पर माँ धूमावती की पूजा न केवल हमें आध्यात्मिक बल प्रदान करती है, बल्कि जीवन में संतुलन और सकारात्मकता लाने का मार्ग भी दिखाती है। सातवीं नवरात्रि पूजा विधि यदि विधि-विधान से माँ की आराधना की जाए, तो सभी संकटों का समाधान संभव है।

आठवीं नवरात्रि माँ बगलामुखी की पूजा विधि जानने के लिए 👈यहां क्लिक करें

FAQs (Frequently Asked Questions)

  1. माँ धूमावती की पूजा कब होती है?
    माँ धूमावती की पूजा सातवीं नवरात्रि के दिन की जाती है। यह दिन विशेष रूप से माँ धूमावती की उपासना के लिए समर्पित है। इस दिन माँ की पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि, और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  1. माँ धूमावती कौन हैं और उनका महत्व क्या है?
    माँ धूमावती देवी शक्ति का एक रूप हैं, जिन्हें विध्वंस और नाश की देवी माना जाता है। वे जीवन के तमाम दुखों और कठिनाइयों से उबारने वाली देवी हैं। माँ धूमावती का रूप आमतौर पर एक वृद्ध महिला के रूप में होता है, जो जीवन के अंत और पुनर्जन्म की प्रतीक हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
  1. माँ धूमावती की पूजा विधि क्या है?
    माँ धूमावती की पूजा विधि में सबसे पहले शुद्ध वातावरण में पूजा स्थल तैयार करें। माँ धूमावती की मूर्ति या चित्र रखें और दीपक, अगरबत्ती और लाल फूल अर्पित करें। पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:

“ॐ धूमावती स्वाहा”
इस मंत्र का जाप करते हुए आप माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन के दुखों से मुक्ति की प्रार्थना करें। पूजा के बाद ताम्र पात्र में जल अर्पित करें और धन्यवाद अर्पित करें।

  1. माँ धूमावती के कौन से मंत्र जाप करने चाहिए?
    माँ धूमावती के मंत्रों का जाप मानसिक शांति और जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है। प्रमुख मंत्र हैं:

“ॐ धूमावती स्वाहा”

“ॐ कालायै स्वाहा”
इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता का नाश होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

अन्य प्रश्न

  1. सातवीं नवरात्रि के दिन कौन से विशेष मुहूर्त होते हैं?
    सातवीं नवद्रात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:30 से 6 बजे तक) और संध्याकाल का समय (शाम 6 बजे से 7:30 बजे तक) पूजा के लिए सर्वोत्तम होते हैं। इन समयों में पूजा करने से देवी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
  1. क्या पूजा के दौरान विशेष व्रत रखना चाहिए?
    जी हां, पूजा के दौरान उपवास रखना या संयमित आहार रखना अत्यंत लाभकारी होता है। उपवास से व्यक्ति की मानसिक स्थिति शांत रहती है और वह पूजा के प्रति अधिक समर्पित रहता है। यह आस्था और शक्ति में वृद्धि करने का एक उत्तम तरीका है।
  1. क्या माँ धूमावती की पूजा से विशेष लाभ मिलता है?
    माँ धूमावती की पूजा से मानसिक शांति और नकारात्मकता का नाश होता है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे हैं और जिनके जीवन में तनाव या कठिनाइयाँ हैं। माँ के आशीर्वाद से व्यक्ति को जीवन में संतुलन और शांति मिलती है।
  1. सातवीं नवरात्रि की पूजा का महत्व क्या है?
    सातवीं नवरात्रि माँ धूमावती की पूजा से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

इस दिन की पूजा से व्यक्ति को आत्मविश्वास और समृद्धि मिलती है

यह पूजा खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन के नकारात्मक पहलुओं को बदलना चाहते हैं।

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