Navratri Day 6: माँ कात्यायनी 2025 – पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र

माँ कात्यायनी की शक्ति – सिंह पर सवार, तलवार और कमल पकड़े, दिव्य शांति के साथ युद्धभूमि में साहस और शक्ति का प्रतीक
माँ कात्यायनी, सिंह पर सवार, चार भुजाओं में तलवार, कमल और आशीर्वाद देते हुए मुद्रा में, युद्धभूमि में दिव्य शांति का प्रतीक

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन का अपना ही आध्यात्मिक महत्व है। मैंने जब पहली बार छठे दिन का व्रत किया था, तब महसूस किया कि इस दिन की साधना से भीतर की ऊर्जा और आत्मविश्वास में एक अलग ही बढ़ोतरी होती है। मान्यता है कि माँ कात्यायनी सभी प्रकार के भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश कर भक्तों को शक्ति, सौभाग्य और इच्छित वरदान प्रदान करती हैं।

यह दिन खासतौर पर उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जो विवाहयोग्य हैं या जीवन में किसी बड़ी इच्छा की पूर्ति चाहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि माँ कात्यायनी की सच्चे मन से उपासना करने पर अड़चनें दूर होती हैं और नए अवसर मिलते हैं।

माँ कात्यायनी का स्वरूप

(जब भी मैं इस दिन माँ की तस्वीर या प्रतिमा देखती हूँ तो यही भाव आते हैं)

सिंहवाहिनी

माँ कात्यायनी सिंह पर सवार होती हैं। मुझे लगता है यह साहस और शक्ति का प्रतीक है, इसलिए मैं इस दिन अपने भीतर भी वही दृढ़ता लाने की कोशिश करती हूँ।

चार भुजाएँ

दो हाथों में तलवार और कमल, एक हाथ अभयमुद्रा और दूसरा वरमुद्रा में। जब मैं माँ की यह मुद्रा देखती हूँ, तो मुझे लगता है माँ हमें निर्भय बनने का संदेश देती हैं।

पीले वस्त्र और तेजस्वी आभा –

माँ के पीले वस्त्र और उनका तेज देखकर मुझे हर साल यह प्रेरणा मिलती है कि साधक का मन जितना शुद्ध होगा, उसका आभामंडल उतना ही तेजस्वी होगा।

कात्यायन ऋषि की पुत्री

यह जानकर कि माँ कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या का फल हैं, मुझे भी अपने जीवन में तप और अनुशासन लाने की प्रेरणा मिलती है।

भक्तों को मोक्ष व संतान सुख देने वाली –

जब मैं माँ की कथा पढ़ती हूँ, तो यह भाव आता है कि माँ के आशीर्वाद से हर संकट का समाधान संभव है।

माँ कात्यायनी की कथा

जब भी नवरात्रि आती है, मेरा मन स्वतः ही माँ के छठे रूप — माँ कात्यायनी — की ओर खिंच जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि एक समय महिषासुर नामक दानव ने धरती और स्वर्ग में आतंक मचा दिया था। देवताओं ने मिलकर शक्ति की आराधना की और तब माँ ने “कात्यायनी” रूप में जन्म लिया।

कहते हैं कि ऋषि कात्यायन ने वर्षों की तपस्या के बाद माँ को प्रसन्न किया था। माँ ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। तभी से वे “कात्यायनी” कहलायीं।

माँ कात्यायनी को “आदिशक्ति का छठा रूप” कहा जाता है। जब भी मैं यह कथा पढ़ती या सुनती हूँ, मेरे मन में यह भाव आता है कि माँ सिर्फ राक्षसों का नाश करने वाली नहीं, बल्कि अपने भक्तों की रक्षक और संबल देने वाली भी हैं। यह कथा हमें सिखाती है कि अगर हम सच्चे मन से किसी महान शक्ति को पुकारें, तो वह हमारे जीवन के अंधकार को मिटाकर प्रकाश अवश्य लाती है।

माँ कात्यायनी पूजन के लिए आवश्यक सामग्री

(मैं हर साल इस लिस्ट को तैयार करती हूँ ताकि कुछ छूट न जाए)

पीला या लाल आसन – मुझे लगता है इस दिन यही रंग सबसे शुभ होते हैं, इसलिए मैं विशेष रूप से पीले या लाल कपड़े का आसन बिछाती हूँ।

गंगाजल – घर और पूजा स्थल की शुद्धि के लिए। मैं हमेशा पूजा से पहले गंगाजल छिड़कती हूँ ताकि माहौल पवित्र लगे।

माँ कात्यायनी की प्रतिमा/तस्वीर – इसे मैं पूजा के बीच सबसे आगे रखती हूँ ताकि ध्यान सहज हो।

घी का दीपक – मैं दीपक में घी डालकर जलाती हूँ, इससे मन और घर दोनों में शांति महसूस होती है।

अक्षत (चावल), रोली, सिंदूर, चंदन – इनसे मैं माँ को श्रृंगार कराती हूँ, ये मेरे लिए माँ के प्रति सम्मान का भाव है।

पीले और लाल फूल – मैं हर बार कोशिश करती हूँ ताज़े फूल ही चढ़ाऊँ, मुझे लगता है इससे माँ को और आनंद मिलता है।

शहद और मिश्री – परंपरा है कि माँ को यह अर्पित किया जाए, मैं भी इसे हर साल अपनी पूजा में शामिल करती हूँ।

फल और प्रसाद – पूजा के बाद मैं परिवार के साथ यह बाँटती हूँ, जिससे एक अपनापन महसूस होता है।

पूजन क्रम (स्टेप-बाय-स्टेप, मेरे अनुभव के साथ)

1. स्नान व स्वच्छ वस्त्र – मैं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हूँ और हल्के पीले या लाल रंग के कपड़े पहनती हूँ।

2. पूजा स्थल की शुद्धि – गंगाजल छिड़ककर जगह को पवित्र बनाती हूँ।

3. कलश स्थापना – कलश में जल, आम के पत्ते और नारियल रखकर स्थापना करती हूँ।

4. माँ की प्रतिमा/तस्वीर की स्थापना – प्रतिमा को आसन पर रखकर दीपक जलाती हूँ।

5. ध्यान व मंत्रोच्चार – मैं इस समय “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जप करती हूँ।

6. अर्पण – फूल, अक्षत, चंदन, शहद, मिश्री अर्पित करती हूँ।

7. आरती – अंत में माँ की आरती गाती हूँ, यह क्षण मेरे लिए सबसे भावुक होता है।

8. प्रसाद वितरण – परिवार के साथ प्रसाद बाँटती हूँ और माँ से आशीर्वाद मांगती हूँ।

माँ कात्यायनी के मंत्र

(मैं हर नवरात्रि इन मंत्रों को पढ़ते समय जो महसूस करती हूँ, वह भी साथ-साथ लिखा है)

1. मूल मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
(यह सबसे सरल और मुख्य मंत्र है। मैं जब इसे बोलती हूँ तो मेरे मन में तुरंत माँ के प्रति श्रद्धा और अपनापन महसूस होता है।)

2. ध्यान मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शारद्वाराध्यसेविता।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
(इस मंत्र का जप करते समय मुझे माँ के तेजस्वी स्वरूप की कल्पना करनी बहुत अच्छी लगती है। ऐसा लगता है जैसे माँ अपने हाथों से मेरे जीवन की बाधाएँ दूर कर रही हैं।)

3. स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
(इस मंत्र को तीन बार बोलने से मुझे एक गहरी शांति का अनुभव होता है, जैसे माँ मेरी हर चिंता को सुन रही हों।)

कन्या-कल्याण हेतु मंत्र

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥
(यह मंत्र खास तौर पर कन्याओं के लिए बताया जाता है। जब भी मैं इसे सुनती हूँ, मुझे लगता है कि माँ सच में अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।)

माँ कात्यायनी की आरती

(मैं हर साल नवरात्रि के छठे दिन इस आरती को गाती हूँ। जैसे ही घण्टी बजती है और यह आरती गूँजती है, मेरे घर का वातावरण एकदम पवित्र और ऊर्जा से भर जाता है।)

🔔 आरती

जय कात्यायनी माँ जय जय महेश्वरी। 
जग पालन करती हो, हो भक्तों की ईश्वरी॥ 

सिंह सवारी कर के, आओ मेरे द्वार। 
मुझ पर कृपा करो माँ, दूर करो दुख भार॥ 

चार भुजाएँ शोभित, वर–अभय दायिनी। 
सिंहासिन हो माँ, शुभ फल की दायिनी॥ 

रतनजड़ित मुकुट माँ, सोहे जगदम्बा। 
भक्तों के मन में माँ, बसी हो अंबा॥ 

भक्ति भाव से गाऊँ, आरती तुम्हारी। 
मुझ पर कृपा करो माँ, बनो रखवाली हमारी॥

(यह आरती पारम्परिक है, लेकिन आप चाहें तो इसे अपने स्वर और भाव से और भी व्यक्तिगत बना सकती हैं। मैं जब इसे गाती हूँ तो अंत में माँ से अपनी छोटी-छोटी मनोकामनाएँ भी जोड़ देती हूँ।)

विशेष नियम और फल – माँ कात्यायनी

(यह भाग मैंने अपनी तैयारी और अनुभव के साथ लिखा है, ताकि पाठकों को भी वही अपनापन महसूस हो जो मुझे माँ की उपासना करते समय होता है।)

इस दिन क्या-क्या पालन करना चाहिए

सात्त्विक आहार – मैं हर साल छठे दिन बिना प्याज-लहसुन का, हल्का और सात्त्विक भोजन लेती हूँ। इससे मन और शरीर दोनों हल्के रहते हैं।

पीले या गुलाबी वस्त्र – शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन पीले या गुलाबी रंग पहनना शुभ होता है। मैंने भी हर साल पीले रंग की चुनरी रखी है।

माँ के मंत्र और आरती का जप – सुबह और शाम “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जप करने से घर में शांति और सकारात्मकता महसूस होती है।

कन्याओं का पूजन – छोटी बालिकाओं को भोजन कराना और उपहार देना, माँ को प्रसन्न करने का प्रिय उपाय माना गया है।

उपवास / दान / नियम

इस दिन मैं प्रायः फलाहार करती हूँ और शाम को संध्या आरती के बाद कुछ हल्का भोजन लेती हूँ।

जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन देना माँ की कृपा को आकर्षित करता है।

अपने मन को क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक भावनाओं से दूर रखना भी एक बड़ा नियम है, जिसे मैं कोशिश करती हूँ निभाने की।

इससे मिलने वाले आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ

मानसिक शांति और सकारात्मक सोच बढ़ती है।

घर-परिवार के बीच सामंजस्य और सुख-शांति का अनुभव होता है।

शिक्षा, करियर और विवाह से जुड़े अड़चनें धीरे-धीरे कम होने लगती हैं — यह मैंने भी अपने जीवन में महसूस किया है।

व्यक्तिगत अनुभव

“जब मैंने यह नियम अपनाए तो…”

“पहली बार जब मैंने नवरात्रि में माँ कात्यायनी के दिन इस तरह उपवास और मंत्रजप किया, तो मुझे अंदर से एक अनोखी ऊर्जा मिली। परिवार में चल रही छोटी-छोटी उलझनें भी धीरे-धीरे सुलझने लगीं। इस अनुभव ने मुझे और भी श्रद्धावान बना दिया।”

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❓ FAQs – माँ कात्यायनी (नवरात्रि छठा दिन)

1. माँ कात्यायनी की पूजा कब की जाती है?

माँ कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। मैं हर साल इस दिन सुबह-सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर पूजा करती हूँ।

2. माँ कात्यायनी की आराधना का मुख्य लाभ क्या है?

कहा जाता है कि माँ कात्यायनी की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। व्यक्तिगत रूप से भी मैंने पाया है कि इस दिन की पूजा करने से घर में अजीब-सी शांति और हल्कापन महसूस होता है।

3. इस दिन उपवास कैसे रखें?

यदि संभव हो तो फलाहार या केवल सात्त्विक भोजन करें। मैं प्रायः दिनभर फल और दूध ही लेती हूँ और शाम को संध्या आरती के बाद हल्का भोजन करती हूँ।

4. इस दिन कौन सा रंग पहनना शुभ है?

पीला या गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है। मैं भी हर साल इस दिन पीला दुपट्टा या साड़ी पहनती हूँ, इससे माँ के प्रति श्रद्धा और भी बढ़ जाती है।

5. क्या कन्याओं को भोजन कराना आवश्यक है?

हाँ, शास्त्रों में कहा गया है कि कन्याओं को भोजन और उपहार देकर माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मैं भी इस दिन कम-से-कम एक छोटी बच्ची को मिठाई या फल अवश्य देती हूँ।

6. क्या केवल मंत्र जप करने से भी लाभ होता है?

बिलकुल। यदि समय कम हो तो भी “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जप करें। मैंने भी कुछ साल ऐसा किया और मन में वही शांति और सकारात्मकता महसूस की।

माँ कात्यायनी की कृपा का अनुभव

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा ने हमेशा मेरे जीवन को एक अलग ही ऊर्जा दी है। जब भी मैंने श्रद्धा से उपवास और मंत्र-जप किया, ऐसा लगा मानो भीतर का डर और उलझनें धीरे-धीरे कम हो रही हों।
माँ के इस स्वरूप से हमें साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मकता मिलती है।
मेरे लिए यह दिन सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि खुद को माँ की शरण में सौंपने का अवसर है।
यदि आप भी इस दिन पूरे मन से उनकी पूजा करें, तो आपको भी वही शांति और शक्ति महसूस होगी, जो मैं हर साल अनुभव करती हूँ।

आप भी माँ कात्यायनी की कृपा पाएँ

अगर यह लेख पढ़कर आपको भी प्रेरणा मिली हो तो इस बार नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा को पूरे मन से अपनाएँ।
मंत्र जपें, कन्याओं को भोजन कराएँ, और माँ से अपने मन की बात साझा करें।
मैं हर साल ऐसा करती हूँ और महसूस करती हूँ कि माँ मेरे हर संकट को हल्का कर देती हैं।
आप भी अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ यह प्रयास करें – माँ कात्यायनी निश्चित ही आपको आशीर्वाद देंगी।

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