छठी नवरात्रि 2025 का दिन माँ त्रिपुर भैरवी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। माँ त्रिपुर भैरवी पूजा विधि से जीवन में संतुलन, शक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है। त्रिपुर भैरवी साधकों की इच्छाओं को पूर्ण करने वाली और नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस लेख में हम उनकी पूजा विधि, महत्त्व और उनसे जुड़े आशीर्वादों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माँ त्रिपुर भैरवी का परिचय
त्रिपुर भैरवी शक्ति और तप का प्रतीक हैं। उनका स्वरूप तेजस्वी और शक्तिशाली है। वे साधकों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और स्थिरता प्रदान करती हैं।
माँ त्रिपुर भैरवी के स्वरूप की विशेषताएं
तेजस्वी चेहरा और लाल रंग का परिधान।
हाथों में त्रिशूल, माला, और वरमुद्रा।
उनके चारों ओर दिव्य ऊर्जा का आवरण।
त्रिपुर भैरवी का महत्त्व
जीवन में संतुलन और मानसिक शांति लाने वाली देवी।
साधकों को ध्यान, साधना और ऊर्जा के माध्यम से उन्नति प्रदान करती हैं।
नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करती हैं।
छठी नवरात्रि 2025 का शुभ मुहूर्त
पूजा का श्रेष्ठ समय
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:30 बजे से 6:00 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:45 बजे तक।
माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा विधि
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
लाल कपड़ा
चावल, हल्दी, और कुमकुम
अगरबत्ती और दीपक
ताजे फूल (लाल और पीले रंग के)
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- एक साफ स्थान पर माँ त्रिपुर भैरवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- माँ को लाल कपड़े और फूल अर्पित करें।
- पंचामृत से अभिषेक करें।
- दुर्गा चालीसा और त्रिपुर भैरवी स्तोत्र का पाठ करें।
- आरती करें और अंत में अपनी मनोकामनाएं माँ को समर्पित करें।
माँ त्रिपुर भैरवी के आशीर्वाद
मानसिक शांति और जीवन में संतुलन।
साधना में सफलता और आध्यात्मिक उन्नति।
नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से मुक्ति।
पारिवारिक सुख और आर्थिक समृद्धि।
माँ त्रिपुर भैरवी की साधना के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
साधना के लिए शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
ध्यान के दौरान लाल आसन का उपयोग करें।
मन को एकाग्र रखें और देवी के स्वरूप का ध्यान करें।
माँ त्रिपुर भैरवी के मंत्र
बीज मंत्र
“ह्रीं भैरवी नमः”
इस मंत्र का 108 बार जप करें।
त्रिपुर भैरवी स्तोत्र
“ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।”
त्रिपुर भैरवी से जुड़ी लोक मान्यताएं
उनकी पूजा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
साधक को आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
त्रिपुर भैरवी की साधना विशेषकर तांत्रिक और ध्यान योग में की जाती है।
निष्कर्ष:
छठी नवरात्रि 2025 का यह दिन माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा और साधना के लिए अत्यंत पवित्र है। उनकी कृपा से साधकों को जीवन में संतुलन, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है। माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा विधि और मंत्रों का पालन करके आप अपने जीवन को नकारात्मक शक्तियों से मुक्त कर सकते हैं।
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FAQs (Frequently Asked Questions)
- माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा कब होती है?
माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा छठी नवद्रात्रि के दिन की जाती है। यह दिन विशेष रूप से माँ त्रिपुर भैरवी की उपासना के लिए समर्पित है। इस दिन माँ के आशीर्वाद से जीवन में शांति और संतुलन आता है।
- माँ त्रिपुर भैरवी कौन हैं और उनका महत्व क्या है?
माँ त्रिपुर भैरवी देवी शक्ति का एक रूप हैं, जो संसार के संकटों से मुक्ति दिलाती हैं। उन्हें शक्ति, साहस, और शांति की देवी माना जाता है। वे ब्रह्मांड की तीन शक्तियों, अर्थात् सृजन, पालन और संहार का प्रतिनिधित्व करती हैं। माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख और समृद्धि मिलती है।
- माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा विधि क्या है?
माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा विधि में सबसे पहले शुद्ध वातावरण तैयार करें। फिर, पूजा स्थल पर माँ त्रिपुर भैरवी का चित्र या मूर्ति रखें। दीपक, अगरबत्ती, और पुष्प अर्पित करें। पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
“ॐ त्रिपुर भैरवी स्वाहा”
इस मंत्र का जाप करते हुए आप माँ से शक्ति, साहस और जीवन के कठिन समय से उबरने की प्रार्थना करें। पूजा के अंत में ताम्र पात्र में जल अर्पित करें और धन्यवाद अर्पित करें।
- माँ त्रिपुर भैरवी के कौन से मंत्र जाप करने चाहिए?
माँ त्रिपुर भैरवी के मंत्रों का जाप मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है। प्रमुख मंत्र हैं:
“ॐ त्रिपुर भैरवी स्वाहा”
“ॐ महाक्रूरी महादेवाय स्वाहा”
इन मंत्रों का जाप से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और व्यक्ति को मानसिक शक्ति और शांति मिलती है।
अन्य प्रश्न
- छठी नवरात्रि के दिन कौन से विशेष मुहूर्त होते हैं?
छठी नवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:30 से 6 बजे तक) और संध्याकाल का समय (शाम 6 बजे से 7:30 बजे तक) पूजा के लिए सर्वोत्तम होते हैं। इन समयों में पूजा करने से देवी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
- क्या पूजा के दौरान विशेष व्रत रखना चाहिए?
जी हां, पूजा के दौरान उपवास रखना या संयमित आहार रखना अत्यंत लाभकारी होता है। उपवास से व्यक्ति की मानसिक स्थिति शांत रहती है और वह पूजा के प्रति अधिक समर्पित रहता है। यह आस्था और शक्ति में वृद्धि करने का एक उत्तम तरीका है।
- क्या माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है?
माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे हैं।
जिनके जीवन में तनाव या कठिनाइयाँ हैं।
माँ के आशीर्वाद से साहस, आत्मविश्वास, और शांति प्राप्त होती है।
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