
मकर संक्रांति पर्व 2026 से जुड़ी बाट सारी मत की प्रसंतायें व बातें है जो दिल से शेयर करना चाहती हूँ । जैसे की Makar Sankranti festival भारत के सबसे प्रमुख और आस्था से जुड़े त्योहारों में से एक है। यह हर साल 14 जनवरी को पूरे जोश और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे सूर्य उत्तरायण कहा जाता है – यानी अब दिन बड़े होंगे और सूर्य की ऊर्जा सीधी धरती पर पड़ेगी।
मेरे लिए मकर संक्रांति पर्व का मतलब है सर्दियों की विदाई और एक नई ऊर्जा का स्वागत। साथ ही, ये समय होता है जब नई फसल खेतों से घरों तक आती है – एकदम खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक।
पूरे भारत में मकर संक्रांति पर्व को अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है – जैसे तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, गुजरात में उत्तरायण, और असम में भोगाली बिहू। लेकिन हर जगह इसका मूल भाव एक ही होता है – आभार, नई शुरुआत, और उम्मीद।
ये पर्व मुझे हमेशा एक बात याद दिलाता है – हर ठंडी रात के बाद एक सुनहरी सुबह ज़रूर आती है। शायद इसलिए मकर संक्रांति पर्व को आशा और बदलाव का उत्सव भी कहा जाता है।
🔆 मकर संक्रांति पर्व: एक नई शुरुआत, एक पावन एहसास
मकर संक्रांति पर्व मेरे लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं है… ये हर साल मुझे याद दिलाता है कि कैसे छोटी-छोटी परंपराएं भी हमारी ज़िंदगी में बड़ी positivity ला सकती हैं। जब मैं छत पर खड़ी होकर आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ते देखती हूँ, तो मन भी वैसे ही उड़ने लगता है – आज़ादी की तरफ, खुशी की तरफ।
मकर संक्रांति पर्व भारत के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल जनवरी में आता है, और इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसे सूर्य की उत्तरायण यात्रा की शुरुआत माना जाता है, जो हमें जीवन में आगे बढ़ने, अंधकार से उजाले की ओर जाने की प्रेरणा देता है।
✨ मकर संक्रांति पर्व का महत्व – मेरी नजर से
मकर संक्रांति पर्व मेरे लिए इसलिए भी खास है क्योंकि ये बदलाव का संकेत देता है। जैसे सर्दी का मौसम अब धीरे-धीरे पीछे हटता है और सूरज की गर्मी लौटती है, वैसे ही ये पर्व हमें भी अपनी ज़िंदगी से नेगेटिव चीजों को हटाने और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ने का संदेश देता है।
इस दिन हम तिल-गुड़ बांटते हैं, और कहते हैं – “Til-Gud lo, aur meethi baatein karo”, यानी पुरानी बातें भूलकर प्यार फैलाओ। ये बात मुझे बहुत touching लगती है… इतनी प्यारी परंपरा है ये, जिससे दिलों में मिठास भर जाती है।
🪁 पतंगबाज़ी सिर्फ मज़ा नहीं, एक परंपरा है
मैं जब भी मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाती हूँ, तो मुझे सिर्फ मस्ती नहीं, बल्कि एक जुड़ाव महसूस होता है – अपने बचपन से, अपनी जड़ों से। पतंग उड़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं – इस मौसम में धूप लेना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। और क्या बात है, जब पूरा आसमान “वो काटा!” की आवाज़ से गूंजता है।
🛕 धार्मिक परंपराएं और पुण्य का समय
मकर संक्रांति पर्व के दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और विशेष पूजा का बड़ा महत्त्व होता है। मैं खुद इस दिन थोड़ा बहुत दान ज़रूर करती हूँ – क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया पुण्य सौ गुना फल देता है। और जब मन से कुछ दिया जाता है, तो उसका आनंद ही अलग होता है।
🪔 मकर संक्रांति पर्व – एक संदेश मेरे दिल से आप जैसे अपनों के लिए
मेरे लिए मकर संक्रांति पर्व सिर्फ तिल, गुड़ और पतंगों तक सीमित नहीं है… ये हर उस इंसान की जीत है जो ठंड और अंधकार के बाद फिर से रौशनी की ओर देखता है।
ये पर्व हर साल मुझे सिखाता है कि उम्मीद, ऊर्जा और एक नई शुरुआत हमेशा संभव है – बस दिल में विश्वास होना चाहिए।
अगर आप भी मेरी तरह इस मकर संक्रांति पर्व को दिल से मनाते हैं, तो चलिए इस बार इसे सिर्फ त्योहार ना बनाकर एक अनुभव बना दें — अपने परिवार, बच्चों और आसपास के लोगों के साथ।
☀️ मकर संक्रांति का महत्व – मेरी नज़र से
मकर संक्रांति पर्व का महत्व मेरे लिए सिर्फ एक पर्व का नाम नहीं है, बल्कि सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता, प्रकृति का सम्मान, और नई ऊर्जा का जश्न है। मैं हर साल इस दिन को पूरे मन से जीती हूँ – और मानती हूँ कि ये दिन सचमुच आध्यात्मिक रूप से बहुत शक्तिशाली होता है।
🕉 धार्मिक महत्व – जब दिल से की जाती है सूर्य पूजा
जब मैं सुबह-सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देती हूँ, तो ऐसा लगता है मानो नई उम्मीदों का सूरज खुद मेरी ज़िंदगी में चमक रहा हो।
- मैं हमेशा सूर्य देव की पूजा करती हूँ – ये मेरी परंपरा भी है और आस्था भी।
- मुझे लगता है, इस दिन तिल, गुड़, कंबल और अनाज का दान करने से मन भी हल्का होता है और आत्मा भी शुद्ध।
- और हाँ, अगर मौका मिले तो मैं गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान भी ज़रूर करती हूँ – ताकि शरीर के साथ-साथ मन भी शुद्ध हो जाए।
🌌 खगोलीय महत्व – जब दिन की रौशनी बढ़ने लगती है
मकर संक्रांति का महत्व खगोलीय रूप से भी बहुत खास है।
ये वो दिन होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है – जिसे उत्तरायण कहा जाता है।
इसका मतलब?
- अब दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।
- यानी प्रकाश बढ़ेगा, और अंधकार कम होगा।
मुझे ये बात बहुत प्रेरणादायक लगती है – जैसे कुदरत भी यही कह रही हो: अब वक्त है नई शुरुआत का।
🎉 मकर संक्रांति की परंपराएँ – देश की विविधता में एकता
मकर संक्रांति पर्व का महत्व तब और भी सुंदर लगने लगता है जब मैं देखती हूँ कि देशभर में इसे कितने अनोखे तरीकों से मनाया जाता है। हर राज्य की अपनी रंगत है, लेकिन भावना एक जैसी – खुशी और आभार।
🧣 उत्तर भारत – पतंग और खिचड़ी की खुशबू
मेरे घर की छत पर तो इस दिन पतंगों की जंग चलती है!
- बच्चे, बड़े, सब “वो काटा!” चिल्लाते हैं – और दिल से त्योहार मनाते हैं।
- गुड़ और तिल वाली खिचड़ी बनती है, जिसे हम सबसे पहले सूर्य को अर्पित करते हैं।
- मुझे लगता है, ये खिचड़ी सिर्फ पकवान नहीं, श्रद्धा और प्रेम का स्वाद है।
🪷 दक्षिण भारत – पोंगल की पवित्रता
जब मैं तमिलनाडु की परंपराओं को देखती हूँ, तो पोंगल की खास बातों से बहुत प्रभावित होती हूँ।
- फसल की देवी की पूजा
- नया चावल, गुड़, और दूध से बना पोंगल
- और सबकुछ प्रकृति के प्रति धन्यवाद के रूप में किया जाता है – ये सिखाता है कि हम जो कुछ भी खाते हैं, उसका एक एहसान भी होता है।
🌾 पूर्वोत्तर भारत – भोगाली बिहू की गरमी
असम में भोगाली बिहू मनाया जाता है, जहाँ लोग जलती लकड़ियों के चारों ओर नृत्य करते हैं।
- ये परंपरा मुझे बहुत रोमांचक लगती है – क्योंकि उसमें समुदाय, कला, और संस्कृति तीनों जुड़ी होती हैं।
- मैं मानती हूँ कि इस तरह के त्यौहार हमें अपनों के करीब लाते हैं।
🌸 पश्चिम भारत – तिलगुड़ में छिपी मिठास और सीख
मुझे महाराष्ट्र की ये बात बहुत अच्छी लगती है –
“तिलगुड़ घ्या, गोड गोड बोला”
इस एक वाक्य में पूरी मकर संक्रांति का सार छिपा है – मीठा खाओ, मीठा बोलो।
- महिलाएं एक-दूसरे को तिलगुड़ देती हैं
- रिश्तों में मिठास बढ़ती है
- और सबसे प्यारी बात – बोलचाल की कड़वाहट भी तिलगुड़ की तरह गल जाती है।
✨ मेरे मन से निकला संदेश जस्ट फॉर यू
मकर संक्रांति पर्व का महत्व सिर्फ परंपरा निभाने में नहीं, उसे दिल से जीने में है।
मैं हर साल ये पर्व मनाकर खुद को थोड़ा और सकारात्मक, और थोड़ा और विनम्र महसूस करती हूँ।
चलो इस मकर संक्रांति 2026 पर हम सब सूर्य की तरह चमकें, और अपने भीतर की ठंड को मिठास से पिघलाएं। 💛
🍬 मकर संक्रांति और तिल-गुड़ का महत्व – मेरी नज़र से
मकर संक्रांति और तिल-गुड़ का महत्व मेरे लिए सिर्फ परंपरा नहीं है, ये एक एहसास है – जो हर साल इस पावन पर्व को और भी खास बना देता है। जब मैं मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ बनाती हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे घर के हर कोने में मिठास और शुभ ऊर्जा भर रही हो।
🔥 वैज्ञानिक महत्व जो मुझे हमेशा महसूस होता है
ठंड के मौसम में जब शरीर सुस्त और भारी लगने लगता है, तब मकर संक्रांति और तिल-गुड़ का महत्व और भी बढ़ जाता है। मुझे याद है, जब मैं छोटी थी, मम्मी हर साल तिल के लड्डू बनाती थीं – और कहती थीं, “बेटा, इससे शरीर गर्म रहता है और हड्डियाँ मजबूत होती हैं।”
अब जब मैं खुद बनाती हूँ, तो मुझे समझ आता है कि तिल में मौजूद healthy oils और गुड़ की natural sweetness मिलकर शरीर को जरूरी ताकत और immunity देते हैं। आज भी जब मैं खुद खाती हूँ या अपने घरवालों को खिलाती हूँ, तो एक संतोष होता है कि हम कुछ अच्छा खा रहे हैं, अच्छा दे रहे हैं।
💞 सांस्कृतिक महत्व जो मेरे दिल को छू जाता है
मेरे लिए मकर संक्रांति और तिल-गुड़ का महत्व सिर्फ हेल्थ से जुड़ा नहीं है, बल्कि दिलों को जोड़ने का जरिया भी है। जब मैं किसी को तिलगुड़ देती हूँ और कहती हूँ, “मिठा खाओ, मीठा बोलो“, तो वो सिर्फ एक वाक्य नहीं होता – वो स्नेह, अपनापन और सौहार्द का प्रतीक बन जाता है।
मैंने खुद महसूस किया है कि तिल-गुड़ बांटने से लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं। गिले-शिकवे भूल जाते हैं और एक नई शुरुआत होती है। शायद इसी वजह से मुझे हर साल इस परंपरा का बेसब्री से इंतजार रहता है।
🌟 मकर संक्रांति और तिल-गुड़ का महत्व – एक Positive Energy
मैं जब भी तिल और गुड़ की मिठाइयाँ बनाती हूँ, तो उनमें सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भरने की कोशिश करती हूँ। ऐसा लगता है जैसे हर लड्डू में मैं अपने घरवालों के लिए प्यार और आशीर्वाद बाँट रही हूँ। और यही असली essence है इस पर्व का।
✅ मेरे मन से सिर्फ दो शब्दों में एक सीधा संदेश:
मकर संक्रांति और तिल-गुड़ का महत्व सिर्फ किताबों में पढ़ने वाली बात नहीं है, ये हर उस इंसान की ज़िंदगी का हिस्सा है जो रिश्तों को मिठास से जीता है। मैं मानती हूँ कि इस पर्व की सच्ची खूबसूरती इन्हीं छोटे-छोटे प्यारे एहसासों में छिपी है।
🧘♀️ 40 की उम्र के बाद भी फिट और ग्लोइंग रहना मुमकिन है।
मैंने अपने हार्मोन बैलेंस और स्किन के लिए कुछ छोटे-छोटे बदलाव किए —
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🪁 पतंगबाजी: मकर संक्रांति का अनोखा आकर्षण, मेरे लिए एक यादगार एहसास
मेरे लिए पतंगबाजी मकर संक्रांति का आकर्षण नहीं, बल्कि बचपन की सबसे खूबसूरत यादों का हिस्सा है। हर साल जैसे ही मकर संक्रांति पास आती है, मेरी छत रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाती है और मन आसमान में उड़ता महसूस होता है।
सुबह से ही मैं और मेरे घरवाले छत पर पहुंच जाते हैं – हाथ में चक्की, आंखों में जोश और दिल में उम्मीद। “वो काटा!” की आवाज़ जब गूंजती है, तो एक अलग ही खुशी मिलती है, जो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।
🌤 पतंगबाजी का संदेश – उड़ान, उम्मीद और ऊर्जा
मेरे लिए पतंगबाजी सिर्फ खेल नहीं, ज़िंदगी की ऊँचाइयों को छूने की प्रेरणा है। जब मेरी पतंग ऊपर उड़ती है, तो मैं खुद को भी ऊँचा उठता महसूस करती हूँ – जैसे हर मुश्किल को पार कर, मैं भी कुछ बन सकती हूँ।
पतंगबाजी मकर संक्रांति का आकर्षण इसलिए भी है क्योंकि ये लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है। मोहल्ले में हर छत पर बच्चे, बड़े, महिलाएं – सभी एक साथ हँसी-मज़ाक करते हैं, और इसी में त्योहार की असली खुशी छिपी होती है।
🍚 मकर संक्रांति का भोजन और पकवान – स्वाद, संस्कृति और स्नेह
अगर आप मुझसे पूछो कि मकर संक्रांति का असली स्वाद क्या है, तो मैं बिना झिझक कहूँगी – तिल और गुड़। लेकिन सिर्फ मिठास नहीं, इस दिन बनने वाले पारंपरिक व्यंजन घर की रसोई को भी त्योहार बना देते हैं।
मेरे घर में जो पकवान हर साल ज़रूर बनते हैं:
🍬 तिल के लड्डू – घर की सबसे पहली मिठास
🍫 गुड़ पापड़ी – ठंड में गर्म मिठाई का जादू
🥣 खिचड़ी – हल्की, स्वादिष्ट और पौष्टिक
🥛 दही-चिवड़ा – बिहार और पूर्वी भारत की खास पहचान
हर राज्य में कुछ ना कुछ अलग बनता है, लेकिन एक बात समान होती है – अपनेपन का स्वाद।
🌞 मकर संक्रांति का संदेश और महत्व – मेरे दिल की बात
मकर संक्रांति का संदेश मेरे लिए सिर्फ एक रीति नहीं, बल्कि ज़िंदगी का एक खूबसूरत पाठ है। ये पर्व मुझे हर बार सिखाता है कि:
✅ नई शुरुआत को खुले दिल से अपनाओ
✅ पुरानी परेशानियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ो
✅ सकारात्मक सोच से हर मुश्किल आसान हो सकती है
✅ प्रकृति और उसकी देन – फसल, सूर्य, मौसम – का सम्मान करना जरूरी है
✅ और सबसे जरूरी – प्यार, दया और साझेदारी ही असली इंसानियत है
मैं जब अपने बच्चों को ये बात बताती हूँ, तो उन्हें सिर्फ त्यौहार नहीं, एक जीवन मूल्य समझाने की कोशिश करती हूँ।
💬 मेरे दिल से सच्चे शब्दों में..
इस मकर संक्रांति 2026, चलो सिर्फ पतंग न उड़ाएं — अपने सपनों, रिश्तों और उम्मीदों को भी ऊँचाई दें।
थोड़ा तिल-गुड़ बाँटें, और ढेर सारा प्यार भी।
आपका हर दिन ऊँचा उड़ता रहे, जैसे आपकी पतंग – Happy Makar Sankranti! 🪁🌞💛
📿 मंदिर से जुड़ी और मान्यताओं को जानें: घंटियों की आवाज से जुड़े रहस्य – मंदिर में घंटी बजाना सुभ या असुभ
❓ मकर संक्रांति 2025: मेरे जैसे लोगों के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
📅 मकर संक्रांति कब मनाई जाती है?
मकर संक्रांति 2026 हर साल की तरह इस बार भी 14 जनवरी को मनाई जाएगी। ये वो दिन होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है — जिसे हम उत्तरायण भी कहते हैं। मुझे हर साल इस तारीख का बेसब्री से इंतज़ार रहता है!
🌞 मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व क्या है?
मेरे घर में मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा ज़रूर होती है। इस दिन को शुभ माना जाता है और तिल, गुड़, वस्त्र या अनाज दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मैंने खुद महसूस किया है कि ये दान दिल को एक अलग ही सुकून देता है।
🧭 मकर संक्रांति को उत्तरायण क्यों कहा जाता है?
मुझे जब पहली बार पता चला कि मकर संक्रांति से सूर्य उत्तर की ओर बढ़ने लगता है, तो बहुत अच्छा लगा। इसका मतलब होता है कि अब दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं — यानी रोशनी और ऊर्जा का नया दौर शुरू होता है। यही वजह है कि इसे उत्तरायण कहा जाता है।
🍬 मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ क्यों खाया जाता है?
तिल-गुड़ मेरी मकर संक्रांति की जान हैं!
- वैज्ञानिक रूप से, ये शरीर को ठंड में गर्मी देते हैं।
- सांस्कृतिक रूप से, ये मिठास और प्यार का प्रतीक हैं।
जब मैं किसी को तिलगुड़ देकर “मीठा खाओ, मीठा बोलो” कहती हूँ, तो उसमें सिर्फ स्वाद नहीं, भावना भी होती है।
🪁 मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का क्या महत्व है?
मेरे लिए पतंगबाज़ी सिर्फ मनोरंजन नहीं, जीवन की ऊँचाइयों को छूने का प्रतीक है। जब मैं अपनी पतंग उड़ाती हूँ, तो लगता है जैसे सपने भी उड़ रहे हों। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर्व का सबसे बड़ा आकर्षण पतंगबाज़ी ही है।
🌍 मकर संक्रांति भारत में कैसे मनाई जाती है?
भारत की विविधता ही इसकी खूबसूरती है। मैंने अलग-अलग राज्यों में इसे अलग रंगों में मनते देखा है:
- तमिलनाडु – पोंगल
- गुजरात – उत्तरायण
- असम – भोगाली बिहू
- उत्तर प्रदेश-बिहार – खिचड़ी पर्व
हर जगह एक ही भावना – खुशी और आभार।
🤝 मकर संक्रांति पर दान का क्या महत्व है?
मैं हमेशा मानती हूँ कि इस दिन का असली मतलब सिर्फ खाना-पीना नहीं, बल्कि दान और सेवा है।
तिल, गुड़, कंबल और अनाज का दान करके हम सिर्फ किसी की मदद नहीं करते, बल्कि खुद को भी आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करते हैं। मुझे जब भी किसी को कुछ देती हूँ, एक सच्चा आत्मिक सुख मिलता है।
📌 सर्दियों में बाल ज़्यादा झड़ रहे हैं?
मैंने जब हार्मोनल इम्बैलेंस से परेशान होकर घरेलू इलाज अपनाया, तो बालों में फर्क दिखा।
👉 ये 7 असरदार तरीके मैंने खुद अपनाए – ज़रूर एक बार पढ़ें।
🔎 अन्य सवाल जो मुझसे अक्सर पूछे जाते हैं और में दिले से उनका उत्तर देती (FAQs)
🍱 मकर संक्रांति का मुख्य भोजन क्या है?
अगर आप मुझसे पूछें कि मकर संक्रांति पर्व पर सबसे ज़्यादा स्वाद किस चीज़ में है, तो मैं कहूँगी – तिल और गुड़ की मिठास में।
मेरे घर में हर साल ये चीज़ें ज़रूर बनती हैं:
- तिल के लड्डू
- गुड़ पापड़ी
- खिचड़ी
- दही-चूड़ा
हर चीज़ में घर की ममता और परंपरा झलकती है। ये सिर्फ खाने का हिस्सा नहीं, पूरे त्योहार का एहसास होते हैं।
🕉️ मकर संक्रांति के दिन कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
मैं इस दिन कुछ विशेष पवित्र काम करना कभी नहीं भूलती। मेरे घर में जो परंपराएँ निभाई जाती हैं, वो हैं:
- सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव की पूजा
- संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान
- तिल-गुड़ और खिचड़ी का भोग लगाना
- और दिल से दान करना – चाहे वो कंबल हो, अनाज हो या कुछ और
ये सब करने से मुझे लगता है कि मेरा मन और आत्मा दोनों शुद्ध हो जाते हैं।
🌌 क्या मकर संक्रांति का खगोलीय महत्व है?
हां, और मेरे लिए ये सबसे रोचक बात है।
मकर संक्रांति वो समय है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
इस खगोलीय बदलाव के बाद:
- दिन लंबे होने लगते हैं
- रातें छोटी हो जाती हैं
- और नई ऊर्जा का दौर शुरू होता है
ये बदलाव सिर्फ खगोल का नहीं, हमारे जीवन का भी संकेत होता है – अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का।
🌍 मकर संक्रांति पर कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?
मैंने खुद महसूस किया है कि इस एक पर्व के इतने रूप हैं कि हर राज्य इसे अपनी संस्कृति के अनुसार मनाता है:
- पोंगल – तमिलनाडु
- उत्तरायण – गुजरात
- लोहड़ी – पंजाब
- भोगाली बिहू – असम
- खिचड़ी पर्व – उत्तर प्रदेश, बिहार
हर नाम अलग, पर भावनाएं एक – कृतज्ञता और खुशी।
🔥 मकर संक्रांति पर्व और लोहड़ी पर्व में क्या अंतर है?
ये सवाल मुझे कई बार पूछा गया है।
तो चलिए, आसान भाषा में समझाती हूँ:
- लोहड़ी – 13 जनवरी को मनाई जाती है, खासकर पंजाब और हरियाणा में। इसमें आग जलाकर गीत गाए जाते हैं और गुड़-रेवड़ी बाँटी जाती है।
- मकर संक्रांति – 14 जनवरी को पूरे भारत में मनाई जाती है। इसमें सूर्य पूजा, दान, स्नान और पतंगबाज़ी की परंपरा होती है।
दोनों अपने-अपने ढंग से खास हैं, और मैंने दोनों को जीकर देखा है।
✈️ क्या मकर संक्रांति पर यात्रा शुभ मानी जाती है?
हाँ बिल्कुल!
मैंने खुद कई बार इस दिन किसी पवित्र स्थान पर जाने की योजना बनाई है, क्योंकि यह दिन नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।
अगर आप कोई ट्रिप प्लान कर रहे हैं, तो मकर संक्रांति पर्व 2026 एक शानदार समय है।
👧 बच्चों के लिए मकर संक्रांति पर कौन सी गतिविधियाँ होती हैं?
बच्चों के लिए इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण है — पतंगबाज़ी।
मैंने खुद अपने बच्चों को पतंग उड़ाना सिखाया है, और जब वो “वो काटा!” चिल्लाते हैं, तो मेरी खुशी दुगुनी हो जाती है।
साथ ही, तिल-गुड़ के लड्डू भी उन्हें बहुत पसंद आते हैं – और यही तो त्योहार की मिठास है।
🧠 मकर संक्रांति से जुड़ा कोई रोचक तथ्य बताएं।
बिलकुल!
मकर संक्रांति भारत का एकमात्र त्योहार है जो हर साल एक ही तारीख यानी 14 जनवरी को मनाया जाता है।
बाकी अधिकतर पर्व चंद्र कैलेंडर के अनुसार बदलते रहते हैं, लेकिन मकर संक्रांति सौर कैलेंडर पर आधारित है।
मुझे ये बात हमेशा से Fascinating लगी है।
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🌞 आपका क्या मतलब है मकर संक्रांति से?
मैंने तो अपनी तरफ से मकर संक्रांति पर्व का महत्व, उसकी परंपराएँ और अंदर छुपे संदेश को दिल से लिखा है…
अब मुझे बताइए, आपके लिए इस त्योहार का क्या मतलब है?
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