मूर्तियों और घंटियों की सफ़ाई: क्या रोज करना अशुभ है?

क्या मंदिर की मूर्तियों और घंटियों को रोज साफ करना अशुभ होता है?
“मेरी एक बहुत करीबी दोस्त Saanvi रोज सुबह मंदिर की मूर्तियों और घंटियों को बड़े भाव से साफ करती है, लेकिन एक दिन किसी ने कह दिया — रोज़ साफ करना अशुभ होता है!”
ये सुनकर मैं खुद भी चौंक गई थी।
क्या सच में भगवान की सेवा में सफाई करना कोई दोष माना जा सकता है?
या फिर ये सिर्फ एक भ्रम है, जो वर्षों से चला आ रहा है?
मुझे लगा — अब इस बात को गहराई से समझना जरूरी है।
इस पोस्ट में हम जानेंगे:
- धार्मिक मान्यताओं में क्या कहा गया है?
- विज्ञान क्या कहता है?
- और सबसे ज़रूरी — क्या मूर्तियों और घंटियों की सफाई रोज़ करनी चाहिए या नहीं?
👉 आइए, इस श्रद्धा और ज्ञान से जुड़े विषय को एक साथ समझते हैं। और घंटियों को रोज साफ करना अशुभ होता है?
मंदिर हमारे जीवन में आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होते हैं। जब भी हम किसी मंदिर में प्रवेश करते हैं, वहां की पवित्रता, वातावरण और दिव्यता हमें एक अलग ही अनुभूति कराती है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि मंदिर की मूर्तियों और घंटियों की सफ़ाई को रोजाना करना अशुभ हो सकता है? इस विषय पर कई मान्यताएं और शास्त्रों के अनुसार नियम बताए गए हैं। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
यह प्रश्न मूर्तियों और घंटियों की सफ़ाई के महत्व को भी उजागर करता है, जो अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
🪔 धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मूर्तियों और घंटियों की सफाई — क्या सही है?
मेरी सखी सान्वी (Saanvi) रोज़ सुबह बड़े श्रद्धा भाव से अपने घर के मंदिर की मूर्तियाँ और घंटियाँ साफ करती थी।
लेकिन एक दिन उसके पड़ोसी ने कहा — “ऐसा मत करो, रोज़ साफ करना अशुभ होता है!”
सान्वी को समझ नहीं आया — क्या सच में?
मुझे भी लगा कि अब इस विषय को धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों नजरिए से समझना ज़रूरी है।
🕉️ धार्मिक दृष्टिकोण से मूर्तियों और घंटियों की सफाई
🔸 मंदिर का पवित्र महत्व
हिंदू धर्म में मंदिर और पूजा स्थल को शुद्ध और ऊर्जावान बनाए रखना एक आस्था का हिस्सा है।
लेकिन बहुत से शास्त्र जैसे स्कंद पुराण, अग्नि पुराण बताते हैं कि
मूर्तियों और घंटियों को बार-बार छूना या साफ करना उचित नहीं माना गया है।
🔹 1. मूर्तियों को बार-बार न छूने का कारण
“मुझे याद है सान्वी ने बताया कि जब उसने एक बार मूर्ति रोज़ धोनी शुरू की, तब उसके घर का माहौल भारी-सा लगने लगा था।”
क्योंकि ये मूर्तियाँ सिर्फ प्रतीक नहीं होतीं —
ये एक विशेष ऊर्जा से चार्ज की जाती हैं, ताकि
- सकारात्मक वाइब्स बनी रहें
- भक्तों को आंतरिक शांति मिले
बार-बार छूने या धोने से वह आध्यात्मिक ऊर्जा disturb हो सकती है।
🔹 2. घंटियों की पवित्रता का सम्मान
घंटियों का उद्देश्य होता है — वातावरण को शुद्ध करना।
मगर जब इन्हें बार-बार हाथ लगाकर साफ किया जाता है,
तो उन पर चढ़ी हुई ऊर्जा तरंगें डिस्टर्ब हो सकती हैं।
🙏 अतः घंटियों की सफाई सप्ताह में एक बार या विशेष पूजा के दौरान ही करना उचित माना गया है।
🔹 3. शास्त्रों के अनुसार मूर्ति की सफाई कब करें?
शास्त्र कहते हैं:
- विशेष पर्वों या तिथियों पर ही मूर्तियों को स्नान कराया जाए
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से विशेष पूजन किया जाए
✍️ सान्वी ने भी अब ये नियम अपनाया है — जिससे उसकी भक्ति और भी गहराई से जुड़ गई है।
🔬 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मूर्तियों और घंटियों की सफाई बार-बार
🔹 1. ऊर्जा संतुलन में बाधा
हर रोज़ पूजा में जो मंत्र और ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं,
वो मूर्ति और घंटी में stored रहती हैं।
बार-बार हाथ लगाने या धोने से ये energy field weak हो जाती है।
🔹 2. धातुओं को नुकसान
मूर्तियाँ तांबे, पीतल जैसी धातुओं से बनी होती हैं।
अगर उन्हें रोज़ पानी या chemicals से धोया जाए,
तो उनकी चमक और शुद्धता खोने लगती है।
🔹 3. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नुकसान
पुराने मंदिरों की मूर्तियाँ सांस्कृतिक धरोहर होती हैं।
बार-बार उनकी सफाई करने से
और संरचना
धीरे-धीरे खराब हो सकती है।
उनके ऊपर की रंगत
पत्थरों की नक्काशी
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✅ क्या करें और क्या न करें? (Do’s & Don’ts in मूर्तियों और घंटियों की सफाई)
जब मैंने सान्वी से पूछा कि “अब तू मंदिर की सफाई कैसे करती है?”,
तो उसने जो अनुभव बताया — वो हर भक्त के लिए एक important reminder है।
अगर आप भी अपने पूजा स्थल की सफाई करते हैं,
तो नीचे दिए गए सुझावों और सावधानियों को ज़रूर follow करें:
✔️ क्या करें?
🌼 मंदिर परिसर की नियमित सफाई करें
साफ-सुथरा वातावरण ही आध्यात्मिक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
🕯 पूजा स्थल पर रोज़ धूप और दीप जलाएं
ये नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके वातावरण को शुद्ध करते हैं।
🔔 घंटियों को रोज़ बजाएं, लेकिन प्रेमपूर्वक
घंटी बजाना शुभ होता है, लेकिन उन्हें रोज़ रगड़कर साफ करने की ज़रूरत नहीं होती।
🛁 मूर्तियों को सिर्फ विशेष पर्वों या महापूजा पर ही स्नान कराएं
जैसे कि नवरात्रि, महाशिवरात्रि या जन्माष्टमी पर पंचामृत से अभिषेक करें।
❌ क्या न करें?
🚫 मूर्तियों को बार-बार अनावश्यक रूप से न छुएं
हर स्पर्श से उनकी ऊर्जा कम हो सकती है, इसलिए केवल पूजा के समय ही छुएं।
🚫 घंटियों को रगड़कर या भारी हाथ से साफ न करें
ये उनकी धातु की शक्ति और स्पंदन को नुकसान पहुंचा सकता है।
🚫 ब्रश या हार्श कैमिकल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें
प्राचीन या नाजुक मूर्तियाँ इससे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
🙏 सान्वी ने भी अब यह नियम अपना लिया है और वह कहती है:
“अब मेरी भक्ति और भी शुद्ध महसूस होती है, जब मैं श्रद्धा के साथ सीमाएं समझती हूँ।”
🕉 क्या मूर्तियों और घंटियों की सफाई न करना आलस्य है या आस्था?
बहुत लोग सोचते हैं कि “मूर्ति की सफाई नहीं करना तो आलस्य है!”
लेकिन मैंने जब सान्वी से यह बात शेयर की, तो उसने एकदम साफ कहा:
“ये सिर्फ आलस्य नहीं, ये आस्था की गहराई है।
जब आप श्रद्धा से सीमाएं समझते हैं – वही सच्ची पूजा होती है।”
असल में, मूर्तियाँ केवल पत्थर नहीं होतीं —
वो ऊर्जा का ऐसा केंद्र होती हैं जो सतत मंत्र, ध्यान और श्रद्धा से activate रहती हैं।
अगर हम उन्हें हर रोज़ सिर्फ वस्तु की तरह छूते या धोते रहेंगे,
तो वो स्पंदन, वो दिव्यता धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है।
🔍 यही कारण है कि प्राचीन शास्त्रों में “अभिषेक केवल विशेष अवसरों पर करें” का निर्देश मिलता है।
🪔 प्रश्न: क्या मंदिर की मूर्तियों की रोज सफाई करनी चाहिए?
उत्तर:
नहीं, शास्त्रों के अनुसार मूर्तियों की रोज़ सफाई नहीं करनी चाहिए।
इन्हें केवल विशेष तिथियों, पर्वों या महापूजन के समय जल या पंचामृत से स्नान कराना चाहिए।
रोज छूने या धोने से उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा में कमी आ सकती है।
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🔮 क्या मूर्तियों की आत्मा होती है? – एक रहस्यमयी दृष्टिकोण (Mysterious Energy of Sacred Idols)
मुझे याद है एक बार सान्वी ने मुझसे पूछा —
“क्या भगवान की मूर्तियों में सच में कोई ऊर्जा होती है?”
उसका सवाल सीधा था, लेकिन जवाब बहुत गहरा।
शास्त्रों में कहा गया है कि जब किसी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है,
तो वो केवल एक पत्थर नहीं रह जाती — वह दैवीय ऊर्जा का भंडार बन जाती है।
🪔 मूर्ति = ऊर्जा का केंद्र
आपके घर या मंदिर में रखी मूर्ति कोई सामान्य वस्तु नहीं होती।
वो आपके हर मंत्र, ध्यान, श्रद्धा और सकारात्मक सोच को absorb करती है।
अब सोचिए, अगर उसे रोज़ाना detergent या brush से साफ किया जाए —
तो क्या वो ऊर्जा वैसी ही रहेगी?
बिलकुल नहीं।
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💡 मूर्ति-संवेदनशीलता का वैज्ञानिक रहस्य (Scientific Angle You Didn’t Know)
विज्ञान के अनुसार भी धातु और पत्थर की वस्तुएं एक खास प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न करती हैं।
मंदिरों में किया जाने वाला आरती का दीपक घुमाना, घंटी बजाना और धूप जलाना — सब का मकसद है इन मूर्तियों को सक्रिय और ऊर्जावान बनाए रखना।
जब मूर्ति को बार-बार धोया या छुआ जाता है, तो ये subtle energy disturb हो सकती है।
यह एक ऐसी चीज है जो आंखों से दिखती नहीं —
लेकिन मन और ऊर्जा के स्तर पर बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ती है।
👁🗨 क्या आपने इन संकेतों को अनुभव किया है?
अगर आपने कभी पूजा के बाद…
- मानसिक शांति
- तेज निर्णय लेने की शक्ति
- या मन की एकाग्रता
महसूस की हो —
तो समझ लीजिए कि मूर्ति से निकलने वाली ऊर्जा ने आपका साथ दिया है।
अब आप ही सोचिए —
क्या उस मूर्ति को केवल एक डेकोरेशन पीस की तरह रोज़ाना धोना सही होगा?
💬 जानिए सान्वी के अनुभव से – जब उसने मूर्ति को छूना कम किया…
सान्वी बताती है कि पहले वह रोज मूर्ति को साबुन और ब्रश से साफ करती थी।
लेकिन जब उसे यह शास्त्रीय जानकारी मिली, तो उसने यह बंद कर दिया।
और तब से उसे हर बार पूजा में एक गहरी ऊर्जा और connection महसूस हुआ।
उसे अब मूर्ति से “presence” महसूस होती है — जैसे कोई सच में सुन रहा हो।
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📌 Summary (Nishkarsh)
मूर्तियों और घंटियों की सफाई सिर्फ एक शारीरिक क्रिया नहीं —
बल्कि यह आपकी श्रद्धा, ऊर्जा और ज्ञान का प्रतिबिंब है।
🙏 जब आप श्रद्धा से सीमाएं समझते हैं और मूर्तियों की शक्ति को सम्मान देते हैं,
तो मंदिर आपके जीवन का ऊर्जा केंद्र बन जाता है।
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🙋♀️ FAQs – मूर्तियों और घंटियों की सफाई से जुड़े जरूरी सवाल
❓ क्या रोजाना मूर्तियों और घंटियों की सफाई करना गलत है?
कुछ लोग रोज मंदिर में जाते ही मूर्तियों और घंटियों को साफ करने लगते हैं। लेकिन मैंने धार्मिक ग्रंथों में पढ़ा कि मूर्तियों और घंटियों की सफाई बार-बार करना उनकी ऊर्जा शक्ति को कम कर सकता है। इसलिए, इसे सिर्फ विशेष पर्वों या तिथियों पर ही करें।
❓ क्या मूर्तियों को रोज छूना सही है?
मूर्तियों और घंटियों की सफाई जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है उन्हें सही तरीके से संभालना। रोजाना स्पर्श करने से उनकी धार्मिक शक्ति पर असर पड़ सकता है। मैंने तो सीखा है कि सिर्फ पूजा के समय या विशेष विधान के दौरान ही मूर्तियों को स्पर्श करना चाहिए।
❓ क्या हर पूजा के बाद घंटियों को भी साफ करना चाहिए?
नहीं, हर पूजा के बाद घंटियों को रगड़-रगड़ कर साफ करना जरूरी नहीं है। मूर्तियों और घंटियों की सफाई में संतुलन जरूरी है। अगर रोजाना थोड़ी धूल है तो सूखे कपड़े से हल्के हाथों से साफ करें, लेकिन ओवर-क्लीनिंग न करें।
❓ वैज्ञानिक दृष्टि से क्या सच है?
विज्ञान कहता है कि किसी भी वस्तु की ऊर्जा को disturb करना उसकी natural frequency को कमजोर करता है। और मैंने भी महसूस किया है कि जब मूर्तियों और घंटियों की सफाई जरूरत से ज्यादा की जाती है, तो मंदिर का वह vibe थोड़ा कम महसूस होता है।
❓ मूर्तियों और घंटियों की सफाई कैसे करें?
मैं तो हमेशा पंचामृत या गंगाजल का ही प्रयोग करती हूं। मूर्तियों और घंटियों की सफाई के लिए कैमिकल या टिश्यू जैसी चीजों का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शुद्धता बनी रहनी चाहिए, तभी मूर्ति पूजा का सही फल मिलता है।
❓ मंदिर की मूर्तियों और घंटियों की सफाई कब करें?
विशेष पर्वों, जैसे राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि या नवरात्रि जैसे अवसरों पर ही मूर्ति की विशेष सफाई की जाती है। आम दिनों में सिर्फ पूजा स्थल को साफ रखना ही पर्याप्त होता है।
❓ क्या मूर्ति को स्प्रे या सॉफ्ट कपड़े से साफ कर सकते हैं?
यदि मूर्ति पर धूल है तो साफ, सूखा और नरम कपड़ा इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन सख्ती से रगड़ने या रसायन छिड़कने से बचें, क्योंकि इससे मूर्ति की धार्मिक शक्ति और शिल्प को नुकसान हो सकता है।
🕉️ क्या आप भी मानते हैं कि हर मूर्ति में एक दिव्य ऊर्जा होती है?
तो चलिए, इस श्रद्धा को सिर्फ शब्दों तक सीमित न रखें —
सही जानकारी और सही विधि से पूजन करें, और अपने अनुभव हमें ज़रूर बताएं।
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