
नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन को मैं हमेशा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाती हूँ, क्योंकि यह दिन मुझे अंधकार पर प्रकाश और भय पर निर्भयता का संदेश देता है।मान्यता है कि माँ कालरात्रि की उपासना करने से साधक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा, भय, संकट और बाधाएँ दूर होती हैं। जब भी मैंने इस दिन व्रत रखा और उनकी आराधना की, मुझे अंदर से अद्भुत साहस और आत्मविश्वास की अनुभूति हुई।
माँ कालरात्रि हमें सिखाती हैं कि हर कठिनाई के पीछे कोई न कोई सकारात्मकता छुपी होती है। बस हमें धैर्य और श्रद्धा के साथ आगे बढ़ना होता है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
माँ कालरात्रि का स्वरूप जितना भयानक दिखता है, उतना ही वह भक्तों के लिए करुणामयी है। उनका वर्ण गहरा काला है, बाल बिखरे हुए हैं, और उनका वाहन गधा है जो सादगी और सहनशीलता का प्रतीक माना जाता है।
चार भुजाओं में से दो में वे वज्र (गदा) और तलवार धारण करती हैं, एक हाथ में वरमुद्रा और दूसरे में अभयमुद्रा होती है, जो दर्शाती है कि माँ अपने भक्तों को भयमुक्त और निर्भय करती हैं।उनके गले में बिजली जैसी चमकदार माला है, और उनके आसपास का आभामंडल असीम ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
जब मैं माँ कालरात्रि के स्वरूप को देखती हूँ तो मुझे ऐसा लगता है मानो माँ अपने पूरे सामर्थ्य से मेरे हर डर को नष्ट कर रही हों।
माँ कालरात्रि पूजा सामग्री सूची
मैं जब भी नवरात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा करती हूँ तो पहले सारी सामग्री एक साथ रख लेती हूँ, ताकि पूजा के समय भागदौड़ न करनी पड़े। आप भी ऐसा करें तो पूजा और मन दोनों शांत रहते हैं।
माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र – बिना इसके पूजा अधूरी लगेगी।
साफ़ कपड़ा/आसन – प्रतिमा या चित्र रखने के लिए।
गंगाजल या स्वच्छ जल – शुद्धिकरण के लिए।
कलश (जल, सुपारी, आम के पत्ते, नारियल सहित)
काले/नीले रंग के फूल – ये माँ को विशेष प्रिय हैं।
धूप, दीपक, घी और रुई की बाती
अन्य पूजा सामग्री
चंदन, रोली, सिंदूर, अक्षत (चावल)
मौली/नाड़ा (लाल/पीला)
भोग के लिए गुड़, नारियल या अन्य मिठाई
फल और पंचमेवा
मंत्र/स्तोत्र की पुस्तक या लिखित पर्ची
आरती की थाली, घंटी
मैंने अनुभव किया है कि जब पूजा सामग्री पूरी और सजी होती है तो पूजा के समय मन और भाव दोनों अधिक गहरे होते हैं।
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और घर के मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। मैं हमेशा इस दिन हल्के रंग के कपड़े पहनकर ही पूजा करती हूँ, ताकि वातावरण शांत और पवित्र बना रहे।
- कलश स्थापना और माँ का ध्यान
– पूजा स्थल पर एक साफ कपड़ा बिछाएँ, उस पर माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र रखें।
– माँ को काले या नीले फूल अर्पित करें, क्योंकि ये उन्हें प्रिय माने जाते हैं।
– गंध, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप से उनकी आराधना करें। - विशेष भोग
– इस दिन jaggery (गुड़) का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
– मैंने कई बार गुड़ और नारियल का भोग अर्पित किया है और महसूस किया कि पूजा के बाद घर का वातावरण और भी शांत हो जाता है। - मंत्र जाप
– पूजा के दौरान माँ कालरात्रि का मंत्र जप करें (आगे मैं मंत्र भी दे दूँगी)।
– अंत में आरती करके प्रसाद बाँटें।
कलश स्थापना और माँ का ध्यान
इस विधि से पूजा करने पर, मेरे अनुभव के अनुसार, मन में एक गहरा आत्मविश्वास और ऊर्जा आती है। यह दिन सचमुच नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता का संचार करता है।
माँ कालरात्रि की कथा
नवरात्रि के सातवें दिन हम सब माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं। जब भी मैं इस दिन की कथा पढ़ती या सुनाती हूँ तो मेरे मन में अद्भुत शक्ति और शांति का अनुभव होता है।
कहा जाता है कि एक समय पर असुरों ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था। देवता और ऋषि-मुनि अत्यंत भयभीत हो गए। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस संकट से मुक्ति दिलाएँ।
तभी माँ दुर्गा ने अपने शरीर से एक भयंकर रूप धारण किया। उनका यह स्वरूप काला था, केश खुले हुए, गले में विद्युत जैसी चमकती माला और हाथों में शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र थे। उनका यह रूप इतना भयावह था कि दुष्टों का दिल काँप उठा। यही रूप कालरात्रि कहलाया।
माँ कालरात्रि ने अपने भयंकर रूप से असुरों का संहार किया और देवताओं को भय से मुक्त किया। इसलिए उन्हें “संकट और भय दूर करने वाली” कहा जाता है।
मैं जब इस कथा को सुनती हूँ तो यही सोचती हूँ कि माँ हमें सिखाती हैं कि कभी-कभी जीवन के संकटों और बुराइयों के सामने हमें भी अपने भीतर की शक्ति और साहस को जगाना पड़ता है। उनका यह रूप हमें निर्भीक और दृढ़ बनना सिखाता है।
माँ कालरात्रि का मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
या विस्तृत रूप में –
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ॐ कालरात्र्यै नमः।
📿 जप की संख्या
नवरात्रि के सातवें दिन इस मंत्र का 11, 21 या 108 बार जप करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
🌸 लाभ
इस मंत्र के जप से भय, शत्रु और बाधाएँ दूर होती हैं, आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
माँ कालरात्रि की आरती
आरती –
जय अम्बे गौरी, माँ जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु अविचारी॥
जय अम्बे गौरी, माँ जय श्यामा गौरी…
चरणों में नाथा, धन-धान्य की बाढ़ा।
भक्तजन के दुःख हरती, माँ कालरात्रि॥
जय अम्बे गौरी, माँ जय श्यामा गौरी…
सिंह वाहिनी श्यामा, शत्रु निकंदिनी।
भक्तों को सुखदायी, कल्याण प्रदायिनी॥
जय अम्बे गौरी, माँ जय श्यामा गौरी…
जय अम्बे गौरी, माँ जय श्यामा गौरी…
तुम बिन कौन हमारी, कठिनाइयाँ टाले।
जो भी शरण में आये, उसकी नौका पार लगाए॥
जय अम्बे गौरी, माँ जय श्यामा गौरी…
🌸 कब गाएँ:
नवरात्रि के सातवें दिन (माँ कालरात्रि के पूजन के समय) आरती करने से भय, रोग और कष्ट मिटते हैं और साधक को अदम्य साहस और शक्ति की प्राप्ति होती है।
🌸 कैसे करें:
दीपक जलाकर, फूल और अक्षत चढ़ाकर, इस आरती को श्रद्धा और भक्ति से गाएँ।
विशेष नियम और फल (माँ कालरात्रि – सप्तम दिवस)
इस दिन क्या पालन करना चाहिए
सात्विकता बनाए रखें – इस दिन मन, वचन और कर्म को पवित्र रखें।
धैर्य और साहस का संकल्प लें – माँ कालरात्रि साहस की देवी हैं, इसलिए इस दिन निडरता और सच्चाई का संकल्प करना श्रेष्ठ माना जाता है।
काले तिल का दान – परंपरा के अनुसार काले तिल या काले वस्त्र का दान करना शुभ होता है।
संध्या पूजन – दिन के अलावा संध्या समय भी विशेष पूजन करने का विधान है।
दीपक का महत्व – माँ के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना भय और रोग को दूर करता है।
इससे मिलने वाले आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ
निडरता और शक्ति की प्राप्ति – साधक को आत्मबल और मानसिक साहस मिलता है।
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा – घर और मन से नकारात्मकता व भय दूर होता है।
जीवन में स्थिरता – कठिन परिस्थितियों में धैर्य, विवेक और स्थिरता बढ़ती है।
रोग निवारण और स्वास्थ्य लाभ – श्रद्धा से की गई आराधना मानसिक शांति और स्वास्थ्य में सहायक होती है।
🌸 मेरा व्यक्तिगत अनुभव
जब मैंने पहली बार माँ कालरात्रि की पूजा पूरे नियम और श्रद्धा से की थी, तो मेरे मन के पुराने भय और घबराहट कम हो गए थे। ऐसा लगा जैसे भीतर से नई ऊर्जा और साहस मिल गया हो। आज भी सप्तम दिन मैं यही नियम अपनाती हूँ और हर बार अद्भुत शांति और शक्ति का अनुभव करती हूँ।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा क्यों की जाती है?
सातवाँ दिन शक्ति के सबसे उग्र और रक्षक स्वरूप – माँ कालरात्रि को समर्पित है। यह दिन साधक को निडरता, साहस और मानसिक दृढ़ता देता है।
माँ कालरात्रि की पूजा में कौन-सी सामग्री आवश्यक होती है?
गुलाब या लाल फूल, काले तिल, शुद्ध घी या सरसों का तेल का दीपक, अक्षत, लाल कपड़ा, नारियल, नैवेद्य और माँ के लिए विशेष मंत्र।
क्या इस दिन उपवास करना आवश्यक है?
यह व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर करता है। उपवास करने से मन और शरीर शुद्ध रहते हैं, लेकिन बिना उपवास के भी श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा की जा सकती है।
माँ कालरात्रि की आराधना से क्या लाभ होते हैं?
भय, शत्रु, नकारात्मक शक्तियों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा का भाव बढ़ता है
इस दिन संध्या समय पूजा का क्या महत्व है?
माँ कालरात्रि का संध्या पूजन विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
क्या साधारण गृहस्थ भी यह पूजा कर सकते हैं?
हाँ, श्रद्धा और भक्ति से किया गया कोई भी पूजन साधक को फल देता है। विशेष मंत्र या जटिल विधियों की आवश्यकता नहीं होती
माँ कालरात्रि की उपासना से आंतरिक शक्ति का जागरण
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा करते हुए मैंने हमेशा यह अनुभव किया है कि यह दिन मुझे डर और नकारात्मकता से बाहर निकालकर एक नई ऊर्जा देता है। जब-जब मैंने श्रद्धा से इनकी आराधना की, मेरे जीवन के कठिन समय में भी साहस और आत्मविश्वास बना रहा। माँ का यह रूप हमें याद दिलाता है कि अंधकार के बाद ही प्रकाश आता है। इस दिन उनकी पूजा करने से हमें मानसिक दृढ़ता, निडरता और सुरक्षा की अनुभूति होती है।
आपका भी अनुभव क्या है?
क्या आपने भी नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा या व्रत किया है?
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