
🌅मैंने Sunrise पर ‘Om Chanting’ क्यों शुरू की? — मेरी सच्ची शुरुआत
सुबह का समय हमेशा से मुझे अच्छा लगता था, लेकिन कई सालों तक मैं सिर्फ ये सोचकर सोती रही कि “कल से ज़रूर जल्दी उठूँगी।”
पर सच कहूं… जब तक मेरी आत्मा सच में थक नहीं गई, तब तक मैं जागी ही नहीं।
एक दिन मेरी थकान मेरी आंखों से नहीं — मेरी आत्मा से निकली।
भीतर कुछ बहुत अशांत था। बाहर सब कुछ ठीक था, लेकिन अंदर कुछ खाली-सा लगता था।
📿 और तब मैंने सबसे सरल शब्द सुना — “ॐ”।
कहीं से नहीं, बस भीतर से।
ना कोई किताब, ना कोई गुरु…
बस एक सुबह, सूरज की पहली किरण के साथ मैंने “Om Chanting at Sunrise” शुरू की।
🌞 सूरज उगा… और मेरे भीतर एक नई रोशनी जागी।
मैंने कुछ तय नहीं किया था।
ना कोई नियम बनाया, ना alarm लगाया…
बस मन से एक वादा किया —
“अब हर दिन, मैं खुद को उस प्रकाश में जगाऊँगी… जो बाहर नहीं, मेरे भीतर है।”
🙏Chanting ‘Om’ at Sunrise — मेरी आत्मा की पुकार बन गई
पहले दिन थोड़ी अजीब-सी feeling आई
दूसरे दिन हल्का-सा सुकून
तीसरे दिन जैसे भीतर कुछ खुलने लगा
और चौथे दिन से… जैसे भीतर मौन बोलने लगा
मैं कोई योगी नहीं हूँ। ना ही कोई विद्वान।
मैं एक सामान्य स्त्री हूँ — जो दिनभर की दौड़ में बस सुबह की 15 मिनट शांति ढूंढ रही थी। Om Chanting at Sunrise बस एक आदत सी बन गई।
✨️और उन 15 मिनटों ने मेरी ज़िंदगी बदल दी।
Om Chanting at Sunrise अब ये मेरा नियम नहीं —
मेरा रिश्ता बन चुका है।
“Om Chanting at Sunrise” अब मेरे दिन की शुरुआत नहीं,
मेरे मन की शुरुआत है। 🌸
🌄जब आप sunrise पर ‘ॐ’ जपते हैं — तो सिर्फ आवाज़ नहीं निकलती, एक ऊर्जा उठती है
जब मैंने पहली बार Om Chanting at Sunrise शुरू किया, तो मुझे लगा मैं कुछ spiritual कर रही हूँ।
लेकिन सच कहूँ… मैं नहीं जानती थी कि इसके भीतर कितनी शक्ति है।
उस समय तो बस ये एक शांत अनुभव था।
पर धीरे-धीरे मैंने रोजाना एक subtle बदलाव महसूस करना शुरू किया — एक ऐसा बदलाव जिसे मैं शब्दों में नहीं बाँध सकती, लेकिन वो मेरे हर दिन में उतरने लगा।
✨ “ॐ” की ध्वनि — आपके भीतर की कंपन को छूती है
सांस गहरी होने लगी — जैसे भीतर की घुटन खुल रही हो
Om Chanting at Sunrise से सोचने का तरीका बदलने लगा — पहले जो बात मुझे परेशान करती थी, अब उस पर मन शांत रहता है
मन और मस्तिष्क के बीच एक संतुलन बनने लगा — आवाज़ बाहर थी, लेकिन असर अंदर गहराई तक जा रहा था
🕯️ मैं आपको बताऊं — ‘Om’ सिर्फ एक शब्द नहीं, वो एक जागृति है
सुबह के समय वातावरण शांत होता है।
और उस समय जब आप “ॐ” जपते हैं, तो ये ध्वनि सिर्फ हवा में नहीं जाती — ये आपके भीतर टकराकर, आपको जगाती है।
“Om Chanting at Sunrise” मेरे लिए एक अलार्म नहीं है — ये मेरी आत्मा की नींद तोड़ने वाली आवाज़ है।
✨️Chanting ‘Om’ at sunrise से मेरे अंदर ये होने लगा:
मन हल्का और साफ़ महसूस होता है
दिनभर की ऊर्जा एक अलग ही positivity लिए रहती है
किसी बात पर गुस्सा आ भी जाए, तो मैं जल्दी शांत हो जाती हूँ
भक्ति में ध्यान और गहराई आने लगी है
🌼ऐसा लगता है जैसे सूरज बाहर उगता है, और “ॐ” के साथ भीतर भी एक सूरज उगता है।
इससे पहले कभी किसी शब्द ने मेरे जीवन में इतना गहरा असर नहीं डाला।
अब तो सुबह सूरज देखे बिना दिन शुरू हो जाए, चल जाता है…
लेकिन बिना “ॐ” बोले दिन अधूरा लगता है।
🌅सुबह-सुबह ‘ॐ’ Om Chanting at Sunrise का मेरा तरीका — बिल्कुल सरल, लेकिन पूरी श्रद्धा से
“Om Chanting at Sunrise” मेरी जिंदगी का वो हिस्सा है जो अब मेरी सांसों की तरह स्वाभाविक हो गया है।
कोई जटिल नियम नहीं, कोई भारी किताबें नहीं — सिर्फ मन, मौन और भक्ति।
मैं आपको बिल्कुल वही प्रक्रिया बता रही हूँ जो मैं हर दिन करती हूँ —
बिना बनावट, बिना दिखावा।
Step-by-Step: मेरी Om Chanting at Sunrise की साधना
✅ Step 1: नींद से पहले मन का संकल्प
रात को सोने से पहले ही मैं मन ही मन एक वादा करती हूँ —
“कल सुबह उठते ही मैं प्रभु से मिलने के लिए खुद को तैयार करूँगी।”
Alarm नहीं — सिर्फ मन का बुलावा।
✅ Step 2: सुबह उठते ही पहले मौन
5:00 या 5:15 के आस-पास मेरी आँख खुलती है।
मैं सबसे पहले 2-3 मिनट मौन बैठती हूँ — बिना फोन छुए, बिना किसी से बात किए।
🌼 इस मौन में मैं दिन को नहीं, खुद को सुनती हूँ।
✅ Step 3: दीपक जलाना
मैं अपने पूजा स्थान या शांत कोने में एक छोटा सा दीया जलाती हूँ।
🕯️ वो प्रकाश मुझे याद दिलाता है कि मैं भी एक ज्योति हूँ —
बाहर का नहीं, भीतर का उजाला चाहिए।
✅ Step 4: शुद्ध श्वास – ध्यानपूर्वक साँस लेना
3 गहरी साँसे लेती हूँ –
धीरे-धीरे inhale करती हूँ, फिर धीरे छोड़ती हूँ।
🌬️ जैसे मन के सारे बोझ हर साँस में निकल जाते हैं।
✅ Step 5: Om Chanting शुरू करना
अब मैं आँखें बंद करके softly, धीरे-धीरे “ॐ” का उच्चारण करती हूँ।
🕉️ Oooooooommmmmmmmm….
हर बार 1 chant लगभग 10 सेकंड का होता है।
मैं इसे 21 बार जपती हूँ —
गिनती नहीं करती, बस महसूस करती हूँ।
हर “ॐ” में एक लहर उठती है, और हर बार जैसे मन शांत होता चला जाता है।
✅ Step 6: मौन में बैठना (3–5 मिनट)
Om chanting के बाद, मैं कुछ मिनट मौन में बैठती हूँ —
ना सोचती हूँ, ना बोलती हूँ — बस रहती हूँ।
📿 ये समय मेरे लिए सबसे कीमती होता है —
जैसे मैं खुद से बात कर रही हूँ… बिना शब्दों के।
✅ Step 7: प्रार्थना और धन्यवाद
आँखें खोलने से पहले मैं भगवान को धन्यवाद देती हूँ —
🙏 “आज के दिन में भी, मुझे शांति, शक्ति और सच्चाई मिलती रहे —
और ये chanting सिर्फ शब्द ना रहे, अनुभव बन जाए।”
🌞 यही है मेरा सरल लेकिन आत्मा से जुड़ा “Om Chanting at Sunrise” का तरीका
📌 इसमें कोई कठिन नियम नहीं है —
आप इसे अपने ढंग से, अपने विश्वास से अपना सकते हैं।
हर सुबह मेरी आत्मा को छू जाती है — ये साधना मेरे लिए एक daily energy booster बन गई है।
🌼जब मैंने ‘Om Chanting at Sunrise’ को अपनाया — तो ये 5 बदलाव मैंने खुद महसूस किए
मैंने कोई चमत्कार की उम्मीद नहीं की थी।
मुझे नहीं लगता था कि सिर्फ “ॐ” जपने से कुछ बड़ा बदलेगा।
लेकिन जब मैंने हर दिन सूरज की पहली किरण के साथ chanting शुरू की,
तो जो हुआ — वो मैंने नहीं सोचा था।
ये बदलाव मेरे शरीर, मन और आत्मा — तीनों में महसूस हुए।
✅ 1. मन शांत होने लगा — बिना किसी ज़ोर के
पहले मेरी सुबहें भागदौड़ में कटती थीं।
अब… दिन की शुरुआत शांति से होती है, और वही शांति पूरे दिन बनी रहती है।
“Om Chanting at Sunrise” ने मुझे भीतर से ठहराव देना शुरू किया।
✅ 2. विचारों की भीड़ कम हो गई
पहले दिमाग में एक साथ 10 बातें चलती थीं।
अब जब भी कुछ उलझता है, मैं बस एक गहरी साँस लेती हूँ और मन ही मन “ॐ” बोलती हूँ।
ये mantra अब मेरे लिए mental clarity की key बन चुका है।
✅ 3. भक्ति गहराई तक उतरने लगी
अब मुझे भक्ति केवल शब्दों या आरती तक सीमित नहीं लगती।
अब वो मेरी हर साँस, हर सुबह और हर अनुभव का हिस्सा है।
“Om Chanting at Sunrise” ने मेरी भक्ति को भावना बना दिया — कर्म नहीं।
✅ 4. शरीर में ऊर्जा और हलकापन महसूस हुआ
मुझे थकावट कम लगने लगी है।
दिन में काम करते हुए भी मैं एक flow में रहती हूँ —
जैसे किसी divine शक्ति का touch मेरे साथ हो।
ये chanting सिर्फ मन का खेल नहीं — ये पूरे शरीर को छूती है।
✅ 5. अपने आप से एक रिश्ता बनने लगा
इस साधना ने मुझे मेरे भीतर की आवाज़ से जोड़ा।
अब जब मैं सुबह “ॐ” जपती हूँ,
तो ऐसा लगता है जैसे मैं खुद से मिलने बैठी हूँ —
बिना दिखावे, बिना किसी और की मंजूरी के।
💖 एक अनुभव जो सिर्फ मेरा है — लेकिन हर कोई इसे पा सकता है
ये बदलाव एक दिन में नहीं आए।
लेकिन जिस दिन आए, उस दिन से मैं वही नहीं रही।
📌 और मैं चाहती हूँ कि आप भी Om Chanting at Sunrise अनुभव को महसूस करें।
🙏जब ‘ॐ’ सिर्फ एक मंत्र नहीं, मेरा भक्ति-राग बन गया
मैंने भक्ति बहुत पहले शुरू की थी — आरती से, मंदिर से, किताबों से।
पर अंदर कुछ अधूरा लगता था।
मुझे लगता था जैसे मैं ईश्वर को ढूंढ़ रही हूँ, लेकिन वो कहीं दूर हैं।
फिर एक दिन मैंने “Om Chanting at Sunrise” शुरू किया।
और ईश्वर बाहर नहीं — भीतर मिलने लगे।
🌅सूरज उगता रहा, और मेरी भक्ति भी
अब मेरी भक्ति सिर्फ एक “कार्य” नहीं रही।
अब वो एक daily inner journey बन चुकी है।
अब मैं भगवान को डोंगे में नहीं, अपने ध्यान में महसूस करती हूँ।
“ॐ” के हर जप के साथ — जैसे कोई दरवाज़ा खुलता है।
🕉️ ‘Om’ ने मेरी भक्ति को शब्दों से अनुभव की ओर मोड़ा
पहले मैं ईश्वर को बोलती थी, अब मैं उन्हें सुनती हूँ
पहले मैं प्रार्थना करती थी, अब मैं प्रार्थना में उतरती हूँ
पहले भक्ति कभी-कभी होती थी, अब वो हर दिन की शुरुआत बन चुकी है
📿 Chanting at sunrise ने मुझे ईश्वर के करीब नहीं — अपने करीब पहुँचाया
क्योंकि भक्ति की शुरुआत भीतर की यात्रा से होती है।
और ये यात्रा मैंने “ॐ” से शुरू की।
अब जब मैं Om Chanting at Sunrise करती हूँ,
तो वो सिर्फ शब्द नहीं होता —
वो एक रिश्ता होता है।
💫 मेरी भक्ति अब गाने की नहीं, जीने की चीज़ बन गई है।
और मैं चाहती हूँ कि
हर पाठक जो ये पोस्ट पढ़ रहा है — वो भी खुद की भक्ति को भीतर महसूस करे, बाहर नहीं ढूँढे।
🕔 अगर आप जानना चाहते हैं कि सुबह 5 बजे उठकर मेरी भक्ति की यात्रा कैसे शुरू हुई और उस एक छोटे से routine ने मेरी पूरी ज़िंदगी को कैसे शांत और ऊर्जावान बना दिया — तो मेरी दिल से लिखी गई ये पोस्ट ज़रूर पढ़ें:
👉 The 5AM Bhakti Routine That Changed My Life Forever
FAQ Section: Common Questions About Om Chanting at Sunrise
❓ 1. क्या Om Chanting at Sunrise करने के लिए किसी गुरु की ज़रूरत होती है?
बिल्कुल नहीं।
मैंने भी किसी गुरु या किताब से नहीं सीखा।
ये एक भीतर की आवाज़ थी, जिसे मैंने सुना और निभाया।
बस मन में श्रद्धा होनी चाहिए — बाकी सब अपने आप होता है।
❓ 2. क्या Sunrise ज़रूरी है या किसी भी समय Om Chanting कर सकते हैं?
आप कभी भी कर सकते हैं, लेकिन sunrise का समय सबसे पवित्र और शक्तिशाली होता है।
सुबह का वातावरण शांत होता है, और उस समय Om Chanting का प्रभाव बहुत गहरा महसूस होता है।
मैंने खुद यही अनुभव किया है।
❓ 3. क्या Om Chanting at Sunrise के लिए कोई विशेष आसन या स्थान जरूरी है?
नहीं।
मैं अक्सर अपने घर के एक कोने में, ज़मीन पर चटाई बिछाकर बैठती हूँ।
आसानी और सच्चाई से किया गया जप — सबसे बड़ा साधन होता है।
❓ 4. एक बार में कितनी बार “ॐ” जपना चाहिए?
मैं रोज़ाना 21 बार “ॐ” का उच्चारण करती हूँ —
लेकिन संख्या से ज़्यादा ज़रूरी है भाव और एकाग्रता।
आप 11 बार शुरू करें, फिर धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं।
❓ 5. क्या chanting करते समय कोई ख़ास visualization करना चाहिए?
ज़रूरी नहीं, पर अगर आप चाहें तो सूरज की रोशनी, शिवलिंग, या बस प्रकाश की कल्पना कर सकते हैं।
मैं अक्सर अपनी साँसों पर ध्यान देती हूँ — और chanting को एक लहर की तरह महसूस करती हूँ।
❓ 6. क्या “ॐ” का उच्चारण ज़ोर से करना ज़रूरी है?
मैं धीरे-धीरे मध्यम स्वर में chant करती हूँ।
कभी-कभी सिर्फ मन ही मन भी करती हूँ।
जोर नहीं — जोर से जुड़ाव ज़रूरी है।
❓ 7. क्या यह मानसिक तनाव में मदद करता है?
हां, पूरी तरह।
मैंने खुद महसूस किया है कि “Om Chanting at Sunrise” से
तनाव कम होता है, मन शांत होता है, और सोच में साफ़गोई आती है।
❓ 8. क्या बच्चे या बड़े सभी इसे कर सकते हैं?
बिल्कुल।
“ॐ” universal sound है — हर उम्र, हर धर्म, हर विचारधारा के लिए उपयुक्त।
यह कोई धर्म नहीं — आत्मिक ऊर्जा का अनुभव है।
❓ 9. क्या Om Chanting at Sunrise रोज़ाना करना ज़रूरी है?
आप जितनी consistency रखेंगे, असर उतना गहरा होगा।
मैंने जब इसे रोज़ किया, तब इसका जादू समझ में आया।
एक-दो दिन छोड़ भी दें, तो guilt नहीं — लेकिन वापसी ज़रूर करें।
❓ 10. क्या Om Chanting at Sunrise के कोई नियम या निषेध है?
नहीं।
यह अभ्यास मन से होता है, नियमों से नहीं।
श्रद्धा, मौन, और सच्चे भाव — बस यही चाहिए।
जब मैंने “ॐ” जपना शुरू किया, तब कुछ बदला नहीं — मैं खुद बदलने लगी।
“Om Chanting at Sunrise” मेरे लिए सिर्फ एक प्रार्थना नहीं रही —
ये मेरे दिन की पहली साँस, पहला भाव, और पहला रिश्ता बन गई है।
अब जब सूरज उगता है,
तो मैं बाहर नहीं — अपने भीतर एक रोशनी को देखती हूँ।
🌼 मैंने इस अभ्यास से जो पाया है, वो शब्दों में नहीं — सन्नाटे में मिलता है।
वो सन्नाटा, जहाँ शांति बोलती है
वो मौन, जहाँ मन खुद से मिल पाता है
वो ध्वनि, जो बाहर नहीं — अंदर गूंजती है
“Om Chanting at Sunrise” ने मुझे सिखाया कि
भक्ति loud नहीं होती — वो subtle होती है।
वो धीरे-धीरे हमें तोड़ती नहीं, संवारती है।
🙏 अब जब भी मैं थक जाती हूँ…
तो ना किसी को कॉल करती हूँ, ना कहीं जाती हूँ।
बस बैठती हूँ,
साँस लेती हूँ…
और “ॐ” जपती हूँ।
हर बार, जैसे खुद को वापस पा लेती हूँ।
📿 अगर मेरी ये यात्रा आपको थोड़ी भी छू गई हो,
तो मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ —
एक बार… एक सुबह… आप भी “ॐ” जपें — खुद के लिए।
शायद वो भी एक ऐसी सुबह बन जाए…
जो आपकी पूरी ज़िंदगी बदल दे — जैसे मेरी बदल गई।
Om Chanting at Sunrise मैंने किया… अब आपकी बारी है।
अगर आपने ये पोस्ट यहाँ तक पढ़ी है,
तो शायद आपकी आत्मा भी किसी अंदर की शांति को पुकार रही है।
तो चलिए…
🌅एक दिन तय करें — बस एक दिन।
सुबह जल्दी उठिए।
एक दीपक जलाइए।
और खुद से कहिए —
“आज मैं सिर्फ अपने लिए बैठ रहा हूँ।”
फिर softly… धीरे-धीरे…
“ॐmmmmmmmmmm…”
कोई बड़ी तैयारी नहीं चाहिए।
कोई परफेक्ट आसन नहीं चाहिए।
सिर्फ सच्चा मन चाहिए।
📿 *“Om Chanting at Sunrise” एक आदत नहीं —
ये एक अनुभव है।
और वो अनुभव…
आपका इंतज़ार कर रहा है।*
🤍 शुरुआत कीजिए, एक नई सुबह से।
और जब आप खुद कुछ महसूस करें…
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शायद किसी और की सुबह भी बदल जाए।
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