षट्तिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन तिल के दान, स्नान, और सेवन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। ‘षट’ का अर्थ है छह और ‘तिला’ का अर्थ तिल है। इस व्रत में तिल का प्रयोग छह प्रकार से—दान, स्नान, हवन, सेवन, उबटन, और पूजा में किया जाता है। षट्तिला एकादशी 2025 के दिन को हिन्दू धर्म में बहुत मानते हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है, और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान विष्णु और दान-पुण्य के कार्यों के लिए समर्पित है।
षट्तिला एकादशी की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, एक धर्मपरायण महिला, जो नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करती थी, ने अपने धन और भोजन को जरूरतमंदों के साथ साझा नहीं किया। उसके इस स्वभाव के कारण, उसकी मृत्यु के बाद उसके घर में अन्न और जल का अभाव हो गया।
एक दिन भगवान विष्णु स्वयं एक साधु के रूप में उसके पास आए और उसे तिल का दान करने को कहा। तिल का दान करते ही उसके जीवन में समृद्धि आ गई। तब भगवान विष्णु ने समझाया कि दान और सेवा का जीवन में कितना महत्व है।
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि शट्तिला एकादशी न केवल दान के महत्व को समझाती है, बल्कि यह व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक सुख प्रदान करती है।
षट्तिला एकादशी का महत्व
- पापों से मुक्ति:
षट्तिला एकादशी के व्रत से पिछले जन्म के पाप समाप्त होते हैं। - दान का महत्व:
इस दिन तिल का दान व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाता है। - मोक्ष की प्राप्ति:
यह व्रत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। - शारीरिक और मानसिक शुद्धता:
तिल का उपयोग शरीर और मन दोनों की शुद्धि के लिए किया जाता है।
विधि: षट्तिला एकादशी 2025 कैसे मनाएं?
षट्तिला एकादशी 2025 तैयारी:
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
- तिल के दान और स्नान की सामग्री एकत्र करें।
पूजन विधि:
- भगवान विष्णु को तिल से बनी सामग्री अर्पित करें।
- तुलसी और तिल का प्रयोग पूजा में करें।
- दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
तिल का उपयोग:
- तिल का उबटन लगाकर स्नान करें।
- तिल के जल से स्नान करें।
- तिल से बनी सामग्री का सेवन करें।
- तिल का हवन करें।
- गरीबों और ब्राह्मणों को तिल दान करें।
षट्तिला एकादशी के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति:
भगवान विष्णु की कृपा से आत्मा शुद्ध होती है। - पारिवारिक समृद्धि:
दान और व्रत से घर में सुख-शांति और धन-धान्य बढ़ता है। - स्वास्थ्य लाभ:
तिल का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। - पुनर्जन्म में सुधार:
इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति का अगला जन्म उत्तम होता है।
षट्तिला एकादशी: आधुनिक संदर्भ में महत्व
आज के समय में जब लोग अपने जीवन में व्यस्त हैं, दान और सेवा की भावना कहीं न कहीं कम हो रही है। ऐसे में षट्तिला एकादशी हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाती है। इस व्रत को करने से न केवल धार्मिक लाभ होते हैं, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।
निष्कर्ष: दान और सेवा का पर्व
षट्तिला एकादशी केवल एक धार्मिक व्रत नहीं है, बल्कि यह मानवता, दान, और सेवा का प्रतीक है। भगवान विष्णु की कृपा पाने और अपने जीवन को पवित्र बनाने के लिए इस व्रत का पालन अवश्य करें।
FAQS षटतिला एकादशी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1: षटतिला एकादशी कब मनाई जाती है?
उत्तर: शटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि आमतौर पर जनवरी या फरवरी माह में आती है।
प्रश्न 2: षटतिला एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर: इस एकादशी का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन तिल का उपयोग और दान करने से पापों का नाश होता है, आत्मा की शुद्धि होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
प्रश्न 3: षटतिला एकादशी व्रत कैसे रखा जाता है?
उत्तर: व्रत रखने वाले को एक दिन पूर्व सात्विक आहार करना चाहिए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें, तिल का सेवन करें, और तिल का दान करें।
प्रश्न 4: षटतिला एकादशी व्रत के नियम क्या हैं?
उत्तर:
- प्याज, लहसुन, अनाज और मांसाहार का सेवन वर्जित है।
- इस दिन केवल तिल का उपयोग और दान करना शुभ माना गया है।
- भगवान विष्णु की पूजा और व्रत पूरी श्रद्धा और नियम से करना चाहिए।
प्रश्न 5: षटतिला एकादशी का नाम ‘शटतिला’ क्यों पड़ा?
उत्तर: ‘षटतिला’ का अर्थ है ‘छह प्रकार से तिल का उपयोग’। इस दिन तिल का दान, तिल से स्नान, तिल का भोजन, तिल का लेप, तिल की माला और तिल के तेल का उपयोग विशेष फलदायक होता है।
अन्य प्रश्न
प्रश्न 6: क्या षटतिला एकादशी व्रत हर कोई कर सकता है?
उत्तर: हां, इस व्रत को कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला, युवा हो या वृद्ध। व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ रखना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या षटतिला एकादशी के दिन तिल का उपयोग अनिवार्य है?
उत्तर: हां, षटतिला एकादशी के दिन तिल का उपयोग और दान करना अनिवार्य माना गया है। तिल के बिना इस व्रत का फल अधूरा माना जाता है।
प्रश्न 8: षटतिला एकादशी व्रत की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: इस व्रत का उल्लेख पुराणों में मिलता है। एक कथा के अनुसार, एक महिला ने तिल का दान नहीं किया, जिससे उसे अगले जन्म में कष्ट सहना पड़ा। भगवान विष्णु ने तिल का महत्व समझाया, तब से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई।
प्रश्न 9: षटतिला एकादशी व्रत का फल क्या है?
उत्तर: इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं, पुण्य की प्राप्ति होती है, और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। तिल का दान धन, सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
प्रश्न 10: क्या षटतिला एकादशी के दिन उपवास अनिवार्य है?
उत्तर: व्रत रखने वालों के लिए उपवास अनिवार्य है। यदि किसी शारीरिक कारण से उपवास करना संभव न हो, तो तिल का दान अवश्य करना चाहिए।
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