Sheetla Ashtami 2025: इस व्रत में बासी खाना क्यों खाया जाता है? वजह जानिए!

शीतला माता की दिव्य छवि, जहां माता गधे पर सवार हैं और हाथ में झाड़ू व जल से भरा कलश धारण किए हुए हैं। यह छवि माता शीतला के भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
शीतला माता की सुंदर मूर्ति, जो रोगों से रक्षा करने वाली और भक्तों पर कृपा बरसाने वाली देवी हैं।

शीतला अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से बासी भोजन खाने की परंपरा के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिन ताजा खाना क्यों नहीं खाया जाता? इस व्रत की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसके पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और पारंपरिक कारण छिपे हैं। इस लेख में हम शीतला अष्टमी 2025 के व्रत, बासी भोजन की परंपरा और इसके रहस्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। Sheetla Ashtami 2025 बासी खाना, पूजा विधि और कथा भी विस्तार से जानेंगे।

शीतला अष्टमी 2025 कब है?

शीतला अष्टमी 2025 इस वर्ष 22 मार्च, शनिवार को मनाई जाएगी।

यह पर्व होली के बाद अष्टमी तिथि को आता है और शीतला माता की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।

🌿 व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारंभ: 21 मार्च 2025, रात्रि 11:30 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त: 22 मार्च 2025, रात्रि 1:45 बजे

पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 मार्च की सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

शीतला अष्टमी पर बासी खाना क्यों खाया जाता है?

1️⃣ धार्मिक मान्यता

शीतला माता को स्वच्छता और स्वास्थ्य की देवी माना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन माता को बासी भोजन का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और बीमारियों से रक्षा करती हैं।

2️⃣ पौराणिक कथा

प्राचीन काल में एक नगर में एक महिला ने शीतला माता का अपमान किया और व्रत के नियमों का पालन नहीं किया।

इसके परिणामस्वरूप नगर में भयंकर महामारी फैल गई।

जब लोगों ने शीतला माता की पूजा की और बासी भोजन ग्रहण किया, तब महामारी का प्रकोप समाप्त हुआ।

3️⃣ वैज्ञानिक कारण

गर्मियों की शुरुआत में भोजन जल्दी खराब हो सकता है।

पहले के समय में रेफ्रिजरेशन की सुविधा नहीं थी, इसलिए लोग एक दिन पहले भोजन बनाकर ठंडा होने के बाद खाते थे। इससे पाचन तंत्र पर अधिक दबाव नहीं पड़ता था और भोजन दूषित होने से बच जाता था।

4️⃣ आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में बासी भोजन को शीतल प्रभाव देने वाला माना गया है।

गर्मियों में यह शरीर को ठंडक देता है और पाचन में सहायक होता है

शीतला माता कौन है?

शीतला माता को हिंदू धर्म में रोगनाशिनी देवी के रूप में पूजा जाता है।

विशेष रूप से चेचक (smallpox), फोड़े-फुंसी और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए इनकी आराधना की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और कृपालु माना जाता है।

माता शीतला गधे पर सवार रहती हैं और उनके हाथों में एक झाड़ू और जल से भरा कलश होता है।

झाड़ू से वे गंदगी और बीमारियों को दूर करती हैं, जबकि जल कलश से वे भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।

शीतला माता की कथा (विस्तारपूर्वक)

शीतला माता की कथा (विस्तारपूर्वक)

🔹 एक नगर में महामारी फैली

प्राचीन समय की बात है। एक नगर में अचानक महामारी फैल गई। लोग चेचक जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गए।

इस कारण शरीर पर लाल-लाल फफोले और दाने निकलने लगे।

नगर के राजा ने इस समस्या के समाधान के लिए अपने विद्वान पंडितों से उपाय पूछे।

पंडितों ने बताया कि यह सब शीतला माता के अपमान के कारण हुआ है।

राजा को यह सुनकर आश्चर्य हुआ और उसने पूरी कथा जानने की इच्छा जताई।

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🔹 राजा की रानी का अपमान और माता का क्रोध

राजा की रानी अत्यंत धार्मिक थीं। वे मां शीतला की परम भक्त थीं और हर अष्टमी को व्रत रखती थीं।

एक दिन उन्होंने विशेष श्रद्धा से माता का व्रत रखा और उनके लिए पकवान बनाए।

जब रानी माता की पूजा कर रही थीं, तभी राजा वहां पहुंचे।

राजा ने देखा कि रानी एक दिन पहले बनाया हुआ ठंडा भोजन माता को अर्पित कर रही थीं।

इस कारण वे क्रोधित हो गए और बोले—

“यह कैसा अंधविश्वास है? ताजा और गरम भोजन छोड़कर ठंडा खाना चढ़ाने का क्या अर्थ है?”

रानी ने राजा को समझाने की बहुत कोशिश की कि शीतला माता को ठंडा भोजन प्रिय है और यह उनकी पूजा का एक नियम है। लेकिन राजा ने इसे स्वीकार नहीं किया और गुस्से में आकर पूजा में बाधा डाल दी।

माता शीतला का अपमान होते ही नगर में महामारी फैल गई।

राजा, उनके परिवार और प्रजा सभी भयंकर रोगों से पीड़ित हो गए।

🔹 राजा की पश्चाताप और माता की कृपा

राजा ने जब चारों ओर हाहाकार सुना, तो वे घबरा गए। उन्होंने विद्वानों से उपाय पूछा, तो उन्होंने कहा—

“राजन! आपने माता शीतला का अपमान किया है, इसलिए यह विपत्ति आई है।

यदि आप माता से क्षमा मांगें और विधिपूर्वक व्रत करें, तो नगरवासियों को रोगों से मुक्ति मिलेगी।”

राजा ने तुरंत शीतला माता की मूर्ति स्थापित कर विधिपूर्वक व्रत और साथ ही पूजन किया।

उन्होंने माता को ठंडे भोजन का भोग अर्पित किया। माता शीतला प्रसन्न हो गईं और अपनी कृपा से समस्त नगरवासियों को रोगों से मुक्त कर दिया।

शीतला माता की दूसरी लोककथा

🔹 भक्त के घर माता का आगमन

एक बार की बात है, एक गांव में श्यामा नाम की महिला रहती थी। वह बहुत गरीब थी लेकिन साथ ही धर्मपरायण थी। वह नित्य मां शीतला की पूजा करती और अष्टमी के दिन व्रत रखती।

एक दिन माता शीतला ने उसकी परीक्षा लेने का विचार किया। वे एक वृद्ध महिला का रूप धारण कर श्यामा के घर पहुंचीं और भोजन मांगा।

श्यामा ने कहा—
“मां! आज अष्टमी का व्रत है। मैंने ठंडा भोजन (बसौड़ा) बनाया है, वही माता शीतला को भोग लगाकर आपको खिला सकती हूं।”

वृद्धा ने हंसते हुए कहा—
“ठीक है बेटी, मुझे वही भोजन दो।”

श्यामा ने श्रद्धा से माता को भोजन कराया। माता शीतला अत्यंत प्रसन्न हुईं और उसे वरदान दिया—

“बेटी! आज से तुम्हारे घर में कभी धन और अन्न की कमी नहीं होगी।”

यह कहकर माता अंतर्धान हो गईं। अगले दिन से श्यामा के घर धन-धान्य की वर्षा होने लगी और वह अत्यंत सुखी हो गई।

व्रत की पूजा विधि (Sheetla Ashtami Vrat Vidhi 2025)

  1. स्नान एवं संकल्प: प्रातः जल्दी उठकर शीतल जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. माँ शीतला की पूजा: माता की मूर्ति या चित्र को जल से स्नान कराकर स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
  3. बासी भोजन का भोग: माँ को बासी रोटी, दही, बाजरा, मीठा भोजन आदि का भोग लगाएं।
  4. स्वच्छता का विशेष ध्यान: इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता, इसलिए एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लिया जाता है।
  5. कथा वाचन: शीतला माता की व्रत कथा का पाठ करें।
  6. दान-पुण्य: इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्र दान करें।

शीतला माता की सवारी और उसका महत्व

माता का वाहन गधा है। यह प्रतीक है धैर्य, सादगी और कठोर परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता का। माता के हाथ में झाड़ू और जल का कलश होता है, जो स्वच्छता और रोग निवारण का संकेत देते हैं।

शीतला अष्टमी का महत्व

स्वास्थ्य रक्षा: इस व्रत के प्रभाव से संक्रामक रोगों से बचाव होता है।
पारिवारिक सुख-समृद्धि: माता की कृपा से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
सकारात्मक ऊर्जा: यह व्रत मानसिक शांति और आत्मशुद्धि प्रदान करता है।

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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) Sheetla Ashtami 2025 बासी खाना

  1. शीतला अष्टमी 2025 का व्रत कौन-कौन कर सकता है?

इस व्रत को सभी महिलाएं और पुरुष कर सकते हैं, खासकर वे लोग जिनके परिवार में छोटे बच्चे हैं।

  1. इस दिन कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं?

इस दिन बासी रोटी, दही, बाजरा, मीठे चावल, पूआ, और ठंडे व्यंजन खाए जाते हैं।

  1. शीतला अष्टमी का व्रत करने से क्या लाभ होता है?

यह व्रत रोगों से रक्षा, मानसिक शांति, परिवार की सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है।

निष्कर्ष (Sheetla Ashtami 2025 बासी खाना)

Sheetla Ashtami 2025 एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो स्वास्थ्य, स्वच्छता और परंपरा से जुड़ा हुआ है। इस दिन बासी भोजन का सेवन केवल एक धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारणों से भी लाभकारी है। माँ शीतला की पूजा करने से संक्रामक रोगों से सुरक्षा और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत के नियमों को अपनाकर हम अपने जीवन को स्वस्थ और शुभ बना सकते हैं।

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