
🌼 Sheetla Mata Kaun Hai? | माँ शीतला की पहचान
माँ शीतला हिंदू धर्म में रोगनाशिनी देवी के रूप में पूजी जाती हैं। विशेष रूप से चेचक (smallpox), फोड़े-फुंसी, बुखार और संक्रामक रोगों से रक्षा के लिए इनकी आराधना की जाती है।
उनका स्वरूप शांत, सौम्य और करुणामयी होता है। माँ गधे पर सवार रहती हैं, उनके हाथों में झाड़ू और जल से भरा कलश होता है — जो प्रतीक है स्वच्छता और रोग-निवारण का।
इसलिए Sheetla Ashtami पर माता को ठंडा भोजन (बसौड़ा) अर्पित किया जाता है और उनसे परिवार को रोगों से मुक्त रखने की प्रार्थना की जाती है।
🌼 क्या आपने कभी सोचा है कि Sheetla Ashtami 2026 पर बासी खाना क्यों खाया जाता है?
मेरी सखी सान्वी भी इसी सवाल से परेशान थी। उसने मुझसे पूछा – “क्या ये परंपरा सिर्फ आस्था है, या इसके पीछे कोई बड़ा कारण छुपा है?”
इस पोस्ट में मैं वही जवाब दे रही हूँ जो मैंने उसे दिया था — एकदम साफ, भावनात्मक और वैज्ञनिक दृष्टिकोण से।
Sheetla Ashtami 2026, जो चैत्र कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है, सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि यह शुद्धि, श्रद्धा और संतुलन का पर्व है।
इस दिन माँ शीतला को ठंडा भोजन अर्पित किया जाता है — जो भक्ति के साथ-साथ संक्रमण, तापमान और रोग निवारण से भी जुड़ा हुआ है।
👉 अगर आप भी हर साल इस परंपरा को निभाते हैं लेकिन इसके पीछे की सच्चाई नहीं जानते, तो आगे पढ़ना आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
🕉️ Sheetla Ashtami 2026: धार्मिक मान्यता क्या कहती है?
माँ शीतला को रोगों की देवी माना गया है — विशेषकर चेचक, फोड़े-फुंसी और अन्य संक्रामक रोगों से रक्षा करने वाली शक्ति। हमारे पुराणों और लोक परंपराओं में उन्हें “शीतलता” और “संरक्षण” की देवी के रूप में पूजा जाता है।
एक बार मेरी सखी सान्वी ने मुझसे पूछा, “क्या माँ शीतला को ठंडा भोजन ही क्यों पसंद है?”
मैंने उसे बताया —
इस व्रत का मुख्य उद्देश्य है शरीर और वातावरण को शुद्ध और संतुलित रखना, ताकि हम रोगों से बचे रहें।
🔹 स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि माँ शीतला को पकाया हुआ ठंडा भोजन अर्पित करना चाहिए और उसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
🔹 इस परंपरा का पालन कर गृहस्थ जीवन में संतुलन, रोग-निवारण, और पारिवारिक सुख की कामना की जाती है।
माँ शीतला की पूजा विधि में, चूल्हा नहीं जलाया जाता, और एक दिन पहले ही सारा खाना बनाकर रखा जाता है।
यह मान्यता है कि इस प्रकार का व्रत धैर्य, नियम और श्रद्धा का प्रतीक है — और माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
📅 Sheetla Ashtami 2026 – सही तिथि और पूजा समय
- Sheetla Ashtami 2026 इस वर्ष 10 मार्च 2026 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।
- अष्टमी तिथि शुरू: 10 मार्च 2026, दोपहर 1:24 PM
- अष्टमी तिथि समाप्त: 11 मार्च 2026, शाम 5:49 PM
- पूजा – बासी भोजन चढ़ाने का शुभ समय: लगभग 3:24 PM से लेकर 7:39 PM तक
विवरण | समय |
---|---|
Sheetla Ashtami 2026 | 10 मार्च 2026 |
अष्टमी तिथि प्रारंभ | 10 मार्च, दोपहर 1:24 बजे |
अष्टमी तिथि समाप्त | 11 मार्च, शाम 5:49 बजे |
शुभ पूजन मुहूर्त | 3:24 PM – 7:39 PM |
✨ इस दिन विशेष रूप से ठंडा (बासी) भोजन माँ शीतला को अर्पित किया जाता है और स्वयं भी उसी भोजन को ग्रहण किया जाता है — यह परंपरा शुद्धता, नियंत्रण, और रोग-निवारण की शक्ति को दर्शाती है।
📵 भक्ति में मन कैसे लगाएं और distractions से कैसे बचें? जानिए इस शानदार पोस्ट में –
Devotion Over Distraction – Phone Se Azadi
🌼 शीतला अष्टमी 2026 पर बासी खाना क्यों खाया जाता है? जानिए वो वजह, जो मुझे भी भीतर तक छू गई
क्या आपने कभी सोचा है कि शीतला अष्टमी के दिन हम बासी खाना क्यों खाते हैं?
मुझे भी पहले यही लगता था कि बस परंपरा है — जैसा सब करते आए हैं, वैसा मैं भी करती रही।
लेकिन एक दिन मेरी सखी सान्वी ने मुझसे सवाल किया —
“क्या सिर्फ मान्यता है ये, या इसके पीछे कुछ गहराई भी है?”
मैंने उसी वक्त खुद से वादा किया कि मैं इस व्रत को सिर्फ निभाऊँगी नहीं, समझूंगी भी। और जब मैंने पढ़ा, जाना, महसूस किया — तो सच मानिए,
माँ शीतला के लिए मेरी श्रद्धा और भी गहरी हो गई।
🙏 धार्मिक आस्था से जुड़ी वो बात, जो मन को छू जाती है
माँ शीतला को सिर्फ एक देवी नहीं,
मैं उन्हें एक माँ की तरह देखती हूँ — जो हमें बीमारी, संक्रमण और बुराई से बचाती हैं।
कहा जाता है कि ठंडा (बासी) खाना अर्पित करने से माँ प्रसन्न होती हैं,
क्योंकि वो चाहती हैं कि हम खाने को संभालना सीखें,
स्वच्छता रखें, और भोजन का अपमान न करें।
इस व्रत में एक सच्चा भाव होता है —
“माँ, हमने कल जो बनाया, वो आज आपके लिए है,
क्योंकि आप सादगी में ही सबसे ज़्यादा बसती हैं।”
📖 वो पौराणिक कथा जो आज भी मेरे रोंगटे खड़े कर देती है
बहुत समय पहले एक नगर में एक स्त्री ने शीतला अष्टमी के दिन गरम खाना पकाया,
और माँ का व्रत तोड़ दिया।
कुछ ही दिनों में वहां महामारी फैल गई —
बच्चे बीमार पड़ने लगे, लोग डर के साये में जीने लगे।
लेकिन जब सबने मिलकर माँ शीतला की पूजा की और
बासी खाना अर्पित किया, तो सब ठीक होने लगा।
इस कहानी को पढ़कर मुझे लगा —
माँ कोई दंड नहीं देतीं, वो बस याद दिलाती हैं कि
कभी-कभी सादगी ही सबसे बड़ा उपचार होती है।
🧪 वैज्ञानिक कारण भी कम दिलचस्प नहीं
गर्मियों की शुरुआत होती है मार्च में — और यही समय है जब खाना जल्दी खराब होता है।
पुराने ज़माने में फ्रिज नहीं था, तो एक दिन पहले खाना बनाकर रखा जाता था ताकि सुबह उसे ठंडा खाकर पाचन आसान रहे।
मुझे अब समझ में आता है कि माँ शीतला सिर्फ धार्मिक नहीं,
वो तो हमारी पहली महिला वैज्ञानिक हैं —
जिन्होंने हमें सदियों पहले सिखाया था कि ताज़गी से ज़्यादा जरूरी है संतुलन और सुरक्षा।
🌿 आयुर्वेद भी यही कहता है
आयुर्वेद में कहा गया है कि
“शीतला भोजन शरीर में पित्त को शांत करता है।”
गर्मियों में जब शरीर गर्म हो जाता है,
तो ठंडा, सादा भोजन उसे शीतलता और संतुलन देता है।
अब जब मैं ये जानती हूँ, तो माँ को ठंडा भोजन अर्पित करना,
मेरे लिए सिर्फ परंपरा नहीं रहा —
वो तो मेरे भाव हैं, मेरा प्रेम है।
🙏 मूर्ति पूजन करते समय इन बातों का ध्यान नहीं दिया, तो पुण्य की जगह हो सकता है दोष!
जानिए मूर्तियों और घंटियों की सफाई का सही तरीका।
🌸 माँ शीतला कौन हैं? मेरी नज़र में…
मेरे लिए माँ शीतला कोई मंदिर की मूर्ति नहीं,
वो तो वो शक्ति हैं जो मेरी दुआओं में बसी हैं।
गधे पर सवार, हाथ में झाड़ू और जल कलश लिए —
माँ का स्वरूप हर बार मुझे ये याद दिलाता है कि
स्वच्छता, संतुलन और सादगी ही जीवन का असली सौंदर्य है।
झाड़ू से वे बीमारी और नकारात्मकता को दूर करती हैं,
और कलश से हमें शांति और कृपा देती हैं।
🌼 पूजा विधि: माँ शीतला को कैसे प्रसन्न करें इस Sheetla Ashtami 2026 में?
🪔 9 मार्च की रात को ही सारा भोजन बना लें — क्योंकि शीतला अष्टमी पर ठंडा यानी बासी भोजन अर्पित करने की परंपरा है।
🍲 सब्जी, पूड़ी, मीठा—जो कुछ भी बनाएं, उसे शुद्धता और श्रद्धा से बनाएँ।
🌅 फिर 10 मार्च 2026 (मंगलवार) की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
🙏 माँ शीतला की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और वही ठंडा भोजन भोग में अर्पित करें।
🌸 पूजन सामग्री में रखें:
- हल्दी
- अक्षत (चावल)
- जल
- पुष्प
- नैवेद्य (बासी भोजन)
🔱 फिर श्रद्धा से “ॐ शीतलायै नमः” मंत्र का जप करें और आरती करें।
👨👩👧👦 इसके बाद परिवार सहित वही ठंडा भोजन ग्रहण करें।
❤️ यदि संभव हो, तो किसी ज़रूरतमंद को भोजन या फल का दान ज़रूर करें — यह माँ को सबसे अधिक प्रसन्न करता है।
📝 नोट: इस पूजा का सबसे बड़ा सार यही है — शुद्ध भावना और सेवा का भाव। जब हम बिना दिखावे के माँ को प्रेम से अर्पण करते हैं, तो वही पूजा सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है।
🌸 शीतला माता की एक और लोककथा: भक्ति और सच्ची श्रद्धा की जीत
🔹 भक्त विधवा और उसकी नन्ही बेटी की कथा
बहुत समय पहले, एक छोटे गाँव में एक गरीब विधवा महिला अपनी छोटी बेटी के साथ रहती थी। उसका जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उसकी भक्ति सच्ची थी। वह हर वर्ष चैत्र अष्टमी को पूरी श्रद्धा से शीतला माता का व्रत रखती थी।
उस वर्ष भी, अष्टमी की पूर्व संध्या पर उसने गेहूं की रोटियाँ, चने की दाल और मीठा बना लिया और रात को ही थाली माँ शीतला के लिए सजा दी।
सुबह वह उठी, स्नान करके पूजा की तैयारी कर ही रही थी कि बाहर कोई दरवाज़ा खटखटाने लगा।
🔹 अतिथि रूप में आई परीक्षा
बाहर एक वृद्धा खड़ी थीं — थकी, भूखी और कांपती हुई आवाज़ में बोलीं:
“बेटी, बहुत भूख लगी है… कुछ खाने को दे दे…”
वह विधवा महिला एक पल को रुकी, फिर मुस्कराकर बोली:
“माँ, मैंने तो सारा खाना माँ शीतला के लिए बनाया था… लेकिन मुझे विश्वास है — माँ हर भूखे में खुद आती हैं। आप ही माँ हैं। कृपया स्वीकार करें।”
उसने श्रद्धा से थाली वृद्धा को दे दी और बेटी से कहा:
“हम आज फल खा लेंगे, लेकिन माँ की सेवा अधूरी नहीं होनी चाहिए।”
🔹 वृद्धा ने दिया आशीर्वाद — और प्रकट हुईं माँ शीतला!
जैसे ही वृद्धा ने पहला कौर खाया, उसका रूप तेजस्वी हो उठा।
वह बोली:
“बेटी! मैं ही शीतला देवी हूँ। आज तूने मुझे सच्ची श्रद्धा से तृप्त किया है।
तेरे घर से कभी अन्न-जल की कमी नहीं होगी और तेरा कुल सदा समृद्ध रहेगा।”
इतना कहकर माँ अदृश्य हो गईं, लेकिन घर में दिव्य प्रकाश फैल गया।
🌺 इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?
- सच्ची श्रद्धा और सेवा ही सबसे बड़ा पूजा-पाठ है।
- माँ शीतला उन पर विशेष कृपा करती हैं जो भूखे की सेवा को अपना धर्म मानते हैं।
- ठंडा भोजन सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि विनम्रता और संयम का प्रतीक है।
🧘🏻♀️ सुबह-सुबह सिर्फ उठना ही काफी नहीं…
सूर्योदय के समय ओम् जप से कैसे बदल सकती है आपकी पूरी दिनचर्या? जानिए अभी।
🌸 Sheetla Ashtami 2026: भक्त श्यामा की कहानी – जब माता स्वयं दरवाज़े पर आईं
क्या कभी आपने सोचा है कि Sheetla Ashtami 2026 सिर्फ परंपरा नहीं — ये माँ शीतला की निजता और कृपा से जुड़ा एक जीवंत अनुभव भी हो सकता है?
मेरी सखी सान्वी ने जब मुझसे पूछा,
“क्या कभी किसी को सच में माता शीतला का दर्शन हुआ है?”
तो मैंने उसे ये कहानी सुनाई — एक ऐसी कथा जो श्रद्धा, सेवा और भक्ति की मिसाल है।
🔹 भक्त श्यामा और माँ शीतला का साक्षात आगमन
बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में श्यामा नाम की स्त्री रहती थी। वह अत्यंत गरीब थी लेकिन उसका मन भक्ति से परिपूर्ण था।
हर साल वह पूरे नियम और श्रद्धा से Sheetla Ashtami व्रत करती, और माँ को बसौड़ा (ठंडा भोजन) अर्पित करती।
एक बार Sheetla Ashtami 2026 जैसे ही पावन दिन आया, श्यामा ने सादगी से खाना बनाया — बिना यह सोचे कि उसके पास कितना है।
वह यही सोचती रही:
“माँ की पूजा भोग से नहीं, भावना से होती है।”
उसी दिन एक वृद्धा उसके दरवाजे आई और बोली:
“बेटी, बहुत भूख लगी है… कुछ मिल सकता है?”
श्यामा ने मुस्कराते हुए कहा:
“आज अष्टमी है… मैंने बसौड़ा बनाया है जो मैं माँ को अर्पित करने वाली हूँ। लेकिन अगर आप चाहें तो वही भोजन पहले आपको दे सकती हूँ, क्योंकि आप भी तो माँ ही हो सकती हैं!”
🔹 माता का प्रसन्न होना और वरदान
वृद्धा ने प्रेम से भोजन लिया और खाते हुए बोली:
“बेटी, तूने जिस श्रद्धा से मुझे भोजन कराया है, मैं उससे अत्यंत प्रसन्न हूँ।”
वह वृद्धा मुस्कराईं और अचानक माँ शीतला के रूप में प्रकट हो गईं।
श्यामा घबरा गई, लेकिन माता ने कहा:
“श्यामा, आज से तुम्हारे घर कभी अन्न या धन की कमी नहीं होगी। तूने दिखाया कि सच्चा व्रत केवल विधि से नहीं, हृदय से होता है।”
इसके बाद माता अंतर्धान हो गईं। अगले दिन से ही श्यामा के घर में बरकत और सुख की वर्षा होने लगी।
🌼 इस Sheetla Ashtami 2026 पर क्या सीखें?
माँ शीतला प्रसन्न हों तो जीवन में सुख और स्वास्थ्य स्वयं आते हैं।
कभी भी श्रद्धा को साधनों से मत तौलो — माँ भावना देखती हैं।
Sheetla Ashtami 2026 केवल ठंडा भोजन नहीं, ठंडी नीयत और शांत भक्ति का पर्व है।
😶🌫️ नजरें चुराना सिर्फ शर्मीलापन नहीं होता…
Avoiding Eye Contact आपके अंदर की क्या कहानी बयां करता है?
🌺 शीतला माता की सवारी और उसका गहरा प्रतीक
Sheetla Ashtami 2026 के इस पावन पर्व पर यह जानना भी ज़रूरी है कि माता शीतला की सवारी और स्वरूप के पीछे क्या गहरा अर्थ छिपा है।
🔸 माता का वाहन – गधा
शीतला माता गधे पर सवार होती हैं। यह कोई साधारण बात नहीं — गधा प्रतीक है धैर्य, सहनशीलता और सादगी का।
यह हमें सिखाता है कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी हमें संतुलन और विनम्रता बनाए रखनी चाहिए।
🔸 झाड़ू और जल का कलश
माता के हाथों में झाड़ू और जल से भरा कलश होता है।
- झाड़ू: प्रतीक है गंदगी और रोगों को दूर करने का।
- जल कलश: दर्शाता है शीतलता, शुद्धि और कृपा की वर्षा।
यानी माता स्वयं सफाई, स्वास्थ्य और संरक्षण की देवी हैं — और उनका हर प्रतीक हमें स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
🌼 Sheetla Ashtami 2026 का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
यह व्रत सिर्फ एक पूजा नहीं — यह एक जीवनशैली है, जो हमारे मन, तन और घर को शुद्ध करता है।
🧡 स्वास्थ्य रक्षा का व्रत
Sheetla Ashtami 2026 पर व्रत रखने और माता की पूजा करने से संक्रामक बीमारियों जैसे चेचक, फोड़े-फुंसी और त्वचा रोगों से रक्षा होती है।
🧡 पारिवारिक सुख-समृद्धि
इस व्रत को करने से माता की कृपा घर पर बनी रहती है।
परिवार में सुख-शांति, आपसी प्रेम और आर्थिक स्थिरता आती है।
🧡 सकारात्मक ऊर्जा और आत्मशुद्धि
यह व्रत मानसिक रूप से भी अत्यंत शुद्धि देता है।
माँ की पूजा से मन में शांति, धैर्य, और भक्ति की भावना जागृत होती है।
“जब सब रास्ते बंद हो जाएं, तो श्रद्धा ही नई राह दिखाती है।”
यह प्रेरणादायक कहानी पढ़कर देखिए।
🙋♀️ Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1. Sheetla Ashtami 2026 कब मनाई जाएगी?
👉 यह व्रत 22 मार्च 2026, रविवार को मनाया जाएगा। पूजा का श्रेष्ठ समय सुबह 6:00 बजे से 12:00 बजे तक रहेगा।
Q2. शीतला अष्टमी पर बासी खाना क्यों खाया जाता है?
👉 धार्मिक मान्यता के अनुसार, माँ शीतला को ठंडा भोजन प्रिय है। यह परंपरा संक्रमण और गर्मी में फैलने वाले रोगों से रक्षा के उद्देश्य से शुरू हुई थी।
Q3. क्या इस दिन खाना नहीं बनाना चाहिए?
👉 जी हाँ। शीतला अष्टमी के दिन खाना नहीं पकाया जाता। 21 मार्च की रात को भोजन बनाकर ठंडा होने दिया जाता है और अगले दिन माँ को अर्पित किया जाता है।
Q4. क्या बच्चे और बुज़ुर्ग भी व्रत रख सकते हैं?
👉 हाँ, लेकिन उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुए फलाहार या आंशिक व्रत रखना बेहतर होता है। आस्था और श्रद्धा मुख्य तत्व हैं।
Q5. क्या शीतला माता की पूजा घर पर की जा सकती है?
👉 हाँ, आप घर पर माँ शीतला की प्रतिमा या चित्र के सामने पूजा कर सकते हैं। साफ-सफाई और श्रद्धा का पूरा ध्यान रखें।
🧘 निष्कर्ष (Nishkarsh)
Sheetla Ashtami 2026 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं — यह संस्कार, सदाचार और स्वास्थ्य का संगम है।
माँ शीतला की पूजा से न केवल बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, बल्कि यह व्रत हमें स्वस्थ जीवन, पारिवारिक शांति और आत्मिक संतुलन भी देता है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि परंपरा में छिपा विज्ञान और भक्ति का संगम ही हमें संपूर्ण जीवन देता है।
💖 दिल से निकला अंतिम संदेश (Emotional CTA)
🌸 क्या आप भी चाहते हैं कि माँ शीतला का आशीर्वाद आपके जीवन में बना रहे?
तो इस Sheetla Ashtami 2026 पर एक छोटा सा व्रत, एक सच्चा संकल्प और माँ के चरणों में थोड़ी सी श्रद्धा ज़रूर अर्पित करें।
👇 अगर यह जानकारी आपके मन को छू गई हो, तो नीचे कमेंट करके “जय शीतला माँ” ज़रूर लिखें — और इस पोस्ट को अपनी सखी, बहन, माँ या परिवार के साथ शेयर करें।
शायद यही भक्ति का सच्चा रूप है। 🌺🙏
Follow us on Facebook Fauna Frontier
🌸 अगर आप भी शांति, उद्देश्य और भक्ति से जुड़ा हुआ कंटेंट पसंद करते हैं —
तो आप मेरे YouTube चैनल को भी ज़रूर देखें।
वहाँ भी मैंने दिल से जुड़ी कुछ खास बातें और भावनात्मक क्षण साझा किए हैं —
जो शायद आपके दिल को भी छू जाएं। 🙏 👉 Click Here to visit. @Devotion Fit 👈के लिए यहां क्लिक करें
🎬 अगर आप मनोरंजन और सीख दोनों का खूबसूरत मेल चाहते हैं,
तो मेरे दूसरे YouTube चैनल को ज़रूर देखें।
वहाँ आपको मस्ती भी मिलेगी और नई बातें सीखने को भी,
जो आपका दिल भी लगाए और दिमाग भी जगाए। 🌟— Just click Fauna Frontier to explore and enjoy!
Pingback: Chaitra Purnima 2025: एक दिन, जो आपके जीवन का भाग्य बदल सकता है!