तृतीया नवरात्रि, माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा का एक अहम दिन है। इस दिन माँ त्रिपुरा सुंदरी के उपासना से जीवन में मानसिक शांति, बल और शक्ति की प्राप्ति होती है। तृतीया नवरात्रि पूजा विधि त्रिपुरा सुंदरी को शांति और सुंदरता की देवी माना जाता है। इस ब्लॉग में हम आपको तृतीया नवरात्रि की पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इस दिन की पूजा सही तरीके से कर सकें और माँ त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
माँ त्रिपुरा सुंदरी का महत्व:
माँ त्रिपुरा सुंदरी को शांति, समृद्धि और सुंदरता की देवी माना जाता है।
वे तामसी प्रवृत्तियों को समाप्त करने वाली देवी हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
माँ त्रिपुरा सुंदरी का स्वरूप अत्यंत सुंदर और शांत है। उनका रूप सौंदर्य और शक्ति का संयोग है।
वे विशेष रूप से मानसिक शांति और जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए पूजी जाती हैं।:
पूजा विधि
- स्नान और स्वच्छता:
पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। शरीर को शुद्ध करने के बाद ही पूजा करें। - पूजा स्थल और देवी की प्रतिमा:
पूजा के लिए एक शांत स्थान पर माँ त्रिपुरा सुंदरी की तस्वीर या प्रतिमा रखें। उनका चित्र या मूर्ति सुंदर और साफ-सुथरा होना चाहिए। - दीप और धूप:
पूजा स्थान पर दीपक और धूप जलाएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी के प्रति श्रद्धा बढ़ती है। इसके साथ ही, माँ त्रिपुरा सुंदरी को लाल, सफेद या गुलाब के फूल अर्पित करें। - मंत्र का जाप:
पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
“ॐ त्रिपुरा सुंदरी स्वाहा”
“ॐ ह्लीं त्रिपुरायै नमः”
इन मंत्रों का जाप 108 बार करें।
- फल, फूल और नैवेद्य:
पूजा के दौरान ताजे फल, मिठाई और पुष्प चढ़ाएं। साथ ही, घी का दीपक और कपूर जलाएं। - विशेष मुहूर्त:
तृतीया नवरात्रि के दिन विशेष मुहूर्त होता है। इस समय पूजा करने से देवी त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद मिलता है। सुबह और शाम के समय पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
माँ त्रिपुरा सुंदरी के मंत्र:
त्रिपुरा सुंदरी माँ के मंत्रों का जाप मानसिक शांति और शक्ति की प्राप्ति में मदद करता है।
इन मंत्रों का सही समय और सही तरीके से जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है:
माँ के मंत्र “ॐ त्रिपुरा सुंदरी स्वाहा”
“ॐ ह्लीं त्रिपुरायै नमः”
“ॐ सौम्यायै नमः”
इन मंत्रों का जाप 108 बार करें। इससे माँ त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद प्राप्त होगा और जीवन में सुख-शांति का वास होगा।
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तृतीया नवरात्रि के विशेष मुहूर्त:
पूजा का समय बहुत ही महत्व रखता है।
तृतीया नवद्रात्रि में प्रातःकाल और सांध्य समय पूजा करने के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं।
विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने से अधिक लाभ मिलता है।
इस समय पर की गई पूजा से देवी त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।:
निष्कर्ष
तृतीया नवरात्रि माँ त्रिपुरा सुंदरी के आशीर्वाद से जीवन में मानसिक शांति और शक्ति प्राप्त होती है। पूजा विधि को सही तरीके से करने से आप देवी त्रिपुरा सुंदरी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप, विशेष मुहूर्त का पालन और देवी के प्रति श्रद्धा से आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। इस दिन की पूजा से मनचाही इच्छाओं की पूर्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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FAQs (Frequently Asked Questions)
- माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा कब होती है?
माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा तीसरी नवद्रात्रि (जो 2025 में 29 मार्च को है) के दिन की जाती है। यह दिन माँ त्रिपुरसुंदरी की उपासना के लिए विशेष रूप से समर्पित है।
- माँ त्रिपुरसुंदरी कौन हैं और उनका महत्व क्या है?
माँ त्रिपुरसुंदरी को त्रिपुरा रूपिणी, सुंदरता की देवी और आदिशक्ति माना जाता है। वे शक्ति, सुख, समृद्धि और मानसिक शांति की प्रतीक हैं। माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा से सभी प्रकार के मानसिक और भौतिक संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा विधि क्या है?
माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा विधि में सबसे पहले पूजा स्थल को पवित्र करें। फिर माँ त्रिपुरसुंदरी के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्तियाँ जलाएं। पूजा के दौरान, उनका ध्यान करें और निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
“ॐ त्रिपुरसुंदरी महाक्रूरी स्वाहा”
इसके बाद, माँ को लाल फूल, फल, मिठाई अर्पित करें और उपवास रखें। पूजा के बाद मां के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
- माँ त्रिपुरसुंदरी के कौन से मंत्र जाप करने चाहिए?
माँ त्रिपुरसुंदरी के मंत्रों का जाप बहुत लाभकारी होता है। निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
“ॐ त्रिपुरसुंदरी महाक्रूरी स्वाहा”
“ॐ त्रिपुरसुंदरी महाक्रूरी शान्ति देहि स्वाहा”
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
अन्य प्रश्न
- तीसरी नवद्रात्रि के दिन कौन से विशेष मुहूर्त होते हैं?
तीसरी नवद्रात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त और संध्याकाल का समय पूजा के लिए सर्वोत्तम होता है। इस समय पूजा करने से माँ त्रिपुरसुंदरी का आशीर्वाद जल्दी प्राप्त होता है। पूजा का समय सुबह 4:30 बजे से लेकर 6 बजे तक और शाम को 6 बजे से 7:30 बजे तक सबसे अच्छा माना जाता है।
- क्या पूजा के दौरान विशेष व्रत रखना चाहिए?
हां, पूजा के दौरान उपवास रखना और संयमित आहार ग्रहण करना शुभ होता है। उपवास रखने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं और पूजा में समर्पण का भाव बढ़ता है, जिससे माँ त्रिपुरसुंदरी का आशीर्वाद जल्दी मिलता है।
- क्या माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है?
माँ त्रिपुरसुंदरी की पूजा से विशेष रूप से मानसिक शांति, सुख, समृद्धि, और हर प्रकार के संकट से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही, यह पूजा घर में सुख-शांति और खुशहाली का वातावरण बनाती है।
- तीसरी नवद्रात्रि की पूजा का महत्व क्या है?
तीसरी नवद्रात्रि माँ त्रिपुरसुंदरी के आशीर्वाद को प्राप्त करने का दिन है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति की सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर होती हैं और उसे मानसिक शांति और समृद्धि मिलती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में सफलता और सुख चाहते हैं।
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